मालवा की माटी की गूँज बेल्जियम में: भुवनेश कोमकली ने यूरोपियन यूनियन पार्लियामेंट में बिखेरा सुरों का जादू


मालवा की माटी से जुड़े शास्त्रीय गायक भुवनेश कोमकली ने बेल्जियम के यूरोपियन यूनियन पार्लियामेंट में अपनी स्वर लहरियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह अवसर इसलिए भी खास था क्योंकि उन्हें कुमार गंधर्व की जन्मशती वर्ष में विशेष आमंत्रण मिला था। उनके साथ तबले पर रोहित मुजुमदार और हारमोनियम पर स्वरूप दीवान की संगत ने इस प्रस्तुति को और भी गरिमामय बना दिया।


मोहन वर्मा मोहन वर्मा
कलाकार का कोना Published On :

यों तो भारतीय गायकों, संगीतज्ञों का सुदूर विदेशों में जाकर प्रस्तुति देना कोई नई बात नहीं है। देवास के ख्यात शास्त्रीय गायक पंडित कुमार गंधर्व के सुपौत्र और मुकुल शिवपुत्र के सुपुत्र भुवनेश कोमकली न केवल कई बार कई-कई देशों में अपने शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दे चुके हैं बल्कि विदेशी धरती पर महत्वपूर्ण सम्मानों से नवाजे भी जा चुके हैं।

मगर इस बार बेल्जियम के ब्रुसेल्स में स्थित यूरोपियन यूनियन पार्लियामेंट में प्रस्तुति देने का अवसर उनके लिए इसलिए भी मायने रखता है कि एक तो पहली बार किसी भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायक को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था, दूसरे यह कुमार जी का जन्मशती वर्ष है, इसलिए भी बेल्जियम में भुवनेश कोमकली का गायन विशेष महत्त्व रखता है।

16 अक्टूबर 2024 की शाम विशेष रूप से पार्लियामेंट के सदस्यों के लिए ही आयोजित इस कार्यक्रम में सभी यूरोपियन देशों के प्रतिनिधि (लगभग 27 देशों के) शामिल हुए।

नई दिल्ली की संस्था सहर इंडिया के सहयोग से भारतीय दूतावास बेल्जियम के ब्रुसेल्स में स्थित यूरोपियन यूनियन पार्लियामेंट में हुए इस गरिमामयी आयोजन में भुवनेश कोमकली ने अपने गुरुओं विदुषी वसुंधरा कोमकली और पंडित मधुप मुदगल को प्रणाम कर पंडित कुमार गंधर्व जी की सांगीतिक रचनाओं को यूरोपियन यूनियन पार्लियामेंट में प्रस्तुत कर मानवंदना की।

 

इस अवसर पर ब्रुसेल्स स्थित यूरोपियन यूनियन इंडिया एसोसिएशन और द स्पेनिली ग्रुप के अध्यक्ष श्री सैंड्रो गोजी विशेष अतिथि के रूप में और यूरोपीय संघ में भारत के राजदूत श्री सौरभ कुमार कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में उपस्थित रहे।

इस यात्रा में संगत कलाकारों के रूप में तबले पर रोहित मुजुमदार, हारमोनियम पर स्वरूप दीवान के अलावा सहगान और मंजीरे पर वर्षिता बन्सीवाल थीं, जिन्हें भी मुख्य गायक भुवनेश कोमकली के साथ उपस्थित श्रोताओं की भरपूर सराहना मिली।

यहाँ यह उल्लेख समीचीन होगा कि भुवनेश कोमकली देश और विदेश में भी कई महत्वपूर्ण संगीत समारोहों में न केवल शिरकत कर चुके हैं बल्कि कई पुरस्कारों से भी नवाजे जा चुके हैं। उनके खाते में सवाई गंधर्व संगीत समारोह, विष्णु दिगंबर जयंती, बंदिश समारोह, तानसेन समारोह, बैंगलोर हब्बा संगीत समारोह, संकट मोचन संगीत सम्मेलन, दुर्गियाना संगीत समारोह अमृतसर, सप्तक अहमदाबाद, शामिल हैं।

भारतीय संगीत कला और संस्कृति के प्रतिनिधि रूप में मालवा की धरती से भुवनेश कोमकली, सुदूर मॉरीशस, नेपाल, अमरीका, कनाडा और सिंगापुर जैसे देशों में जाकर अपनी स्वर लहरियों के जादू से संगीत प्रेमियों को भाव विभोर कर चुके हैं। भुवनेश कोमकली को भारत सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा स्कालरशिप भी प्राप्त हुई है।

2009 का षण्मुखानंद शिरोमणि अवार्ड, कर्नाटक सरकार द्वारा 2010 में मल्लिकार्जुन मंसूर युवा पुरस्कार, 2012 में बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार प्राप्त करने के साथ आपने हिन्दी फिल्म देवी अहिल्या में संगीत भी दिया है।

इन तमाम उपलब्धियों के साथ वे लगातार देशभर में अपने गुरु पंडित कुमार गंधर्व और श्रीमती वसुंधरा कोमकली से सीखे अपने गायन से संगीत प्रेमियों को आनंदित करते रहते हैं। बहरहाल मालवा की माटी देवास से सुदूर बेल्जियम के यूरोपियन यूनियन पार्लियामेंट में माननीय सांसदों के बीच प्रस्तुति के लिए भुवनेश कोमकली को बधाई और शुभकामनाएं।