इंदौर। अमेज़न प्राइम की वेब सीरीज़ तांडव का विरोध जारी है। यह विरोध हिन्दू देवी-देवताओं पर की जा रही टिप्पणी के कारण बताया जाता है। हालांकि फिल्म के जिस सीन में यह बात की जा रही है उसे देखने पर पता चलता है कि दरअसल यह विरोध केवल हिन्दू देवताओं पर नहीं है बल्कि पिछले कुछ वर्षों से चर्चाओं में रहे दिल्ली के जवाहर लाल विश्वविद्यालय और वहां के छात्र नेताओं को लेकर भी था।
वेब सीरीज़ के पहले ही एपिसोड में एक्टर ज़ीशान अयूब अपने कॉलेज में एक नाटक कर रहे होते हैं। वे मंच पर भगवान शिव के कैरेक्टर में दिखते हैं। मंच संचालक उनसे पूछता है कि भोलेनाथ कुछ करिए। रामजी के फॉलोअर्स तो लगातार सोशल मीडिया पर बढ़ते ही जा रहे हैं।
इस पर ज़ीशान अयूब कहते हैं, क्या करूं अपनी प्रोफाइल पिक चेंज कर दूं। इस पर मंच संचालक कहता है कि इससे कुछ नहीं होगा। आप कुछ अलग करिए। इसके बाद मंच संचालक कहता है कि कैंपस के सारे विद्यार्थी देशद्रोही हो गए हैं और आज़ादी-आज़ादी के नारे लगा रहे हैं। इसके तुरंत बाद दर्शक ख़ूब तालियां बजती हैं।
ये सीन जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की याद दिलाता है। वेब सीरीज़ का यह सीन छात्र नेताओं कन्हैया कुमार और उमर खालिद की याद दिलाता है। दो-तीन साल पहले जेएनयू का वह मामला खासा चर्चाओं में रहा था और देशभर में उसे एक बड़ा मुद्दा बनाया गया। जेएनयू में आज़ादी-आज़ादी के नारों को कई समाचार चैनलों ने दिखाया था।
इसके अलावा कुछेक और सीन है जिनका विरोध किया जा रहा है। इस सीन में एक प्रोफेसर लड़की से कहता है कि जब एक छोटी जाति का आदमी एक ऊंची जाति की औरत को डेट करता है न तो वह बदला ले रहा होता है, सिर्फ उस एक औरत से।
भाजपा के नेता भले ही इस फिल्म में दिखाए गए इस दृश्यों का विरोध कर रहे हों, लेकिन आलोचकों को इनसे खास फर्क नहीं पड़ रहा है। उनके मुताबिक इन दृश्यों में कुछ भी ऐसा नहीं है जिसका इतना विरोध किया जाए।