नरसिंहपुरः ‘अच्छे दिन’ के लिए किसानों ने दी जमीन, अब कर रहे रजिस्ट्री निरस्त करने की मांग


ग्रामीणों का कहना है कि सरकार देखे, मदद करे और यह जरूरी है कि जब कंपनी का कोई अता-पता नहीं है तो हम लोगों के द्वारा कंपनी को दी गई रजिस्ट्री निरस्त कर दी जाए और हम ग्रामीणों को एक बार फिर किसान बना दिया जाए।


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Updated On :
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नरसिंहपुर। जमीन के बदले कंपनी में काम देने के वादे पर टुडे एनर्जी पावर प्रोजेक्ट कंपनी ने नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव तहसील में सिलारी, झांसी घाट खमरिया की ग्रामीणों की उस जमीन को औने-पौने दामों में खरीदा जो उन्हें रोजी-रोटी के लिए कभी सरकार ने पट्टे में दी थी।

लोगों ने भी इस सपने के साथ कंपनी को जमीन उपलब्ध कराई थी कि परिवार के किसी एक सदस्य को यहां नौकरी मिलेगी तो जीवन सुधरेगा। साल दर साल महंगी हो रही खेती-बाड़ी और नहीं निकल रही लागत से एक रास्ता निकलेगा, लेकिन ग्रामीणों का यह सपना दिवास्वप्न ही बन कर रह गया।

करीब आठ-दस साल पहले टुडे एनर्जी पावर प्रोजेक्ट ने जिला प्रशासन की मदद से ग्रामीणों को 1975 और उसके बाद मौजा सिलारी, झांसी घाट, खमरिया गांवों में पट्टी पर मिली सरकारी जमीन को रजिस्ट्री बैनामा के जरिए अधिग्रहित कर लिया।

कंपनी ने वादा भी किया था कि कंपनी खड़ी करने तक बेरोजगारी भत्ता देंगे। कंपनी ने जमीन अधिग्रहण करने के कुछ समय तक वादा निभाया भी, लेकिन पिछले पांच साल से कंपनी जमीन पर कोई कार्य नहीं कर सकी है।

कंपनी ने लोग भी अब वहां नहीं पहुंच रहे हैं। हालात यह हैं कि बेरोजगारी भत्ता नहीं मिल रहा है और नौकरी तो दूर की कौड़ी है। खेती-बाड़ी भी नहीं हो पा रही है, इससे तंग हुए ग्रामीण ‘भूमि बचाओ-जिंदगी बचाओ’ संगठन के नाम पर लामबंद हुए हैं।

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बीते दिनों संगठन ने गांव में रैली निकाली और तहसील मुख्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने एसडीएम को ज्ञापन दिया कि पिछले पांच साल से हम बेरोजगार हैं। शासन-प्रशासन से लेकर न्यायपालिका तक अपना माथा पटक रहे हैं, लेकिन कहीं से कोई समाधान नहीं मिल रहा है। आंदोलन की राह पकड़ते हैं तो हमारे परिवारों के पेट की भूख को कोई नहीं देखेगा।

मजबूरी में अपने खेतों में जंगल को साफ करके फ़िर खेती कर रहे हैं, लेकिन साधन नहीं हैं। गरीब किसान सरकार से खाद-बीज, बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं ले पा रहे हैं क्योंकि अब जमीन कंपनी के नाम है। पीड़ित ग्रामीणों की मांग है कि उन्हें खाद, बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं दी जाएं ताकि परिवारों का पालन पोषण कर सकें।

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ग्रामीणों का कहना है कि सरकार देखे, मदद करे और यह जरूरी है कि जब कंपनी का कोई अता-पता नहीं है तो हम लोगों के द्वारा कंपनी को दी गई रजिस्ट्री निरस्त कर दी जाए और हम ग्रामीणों को एक बार फिर किसान बना दिया जाए।

भूमि बचाओ- जिंदगी बचाओ संगठन झांसी घाट के संगठन संयोजक शारदा प्रसाद, संतोष कुमार, राजेंद्र, हेमराज सिंह, मानक लाल और अन्य का कहना है कि सरकार और प्रशासन एक बार फिर उन्हें वही किसान बना दे, जो खेतों में हल जोतता है, फसल उगाता है। संगठन ने राज्यपाल के नाम एसडीएम को ज्ञापन दिया है।



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