इंदौर। मंत्री उषा ठाकुर के ख़िलाफ़ सरकारी काम में बाधा डालने की शिकायत करने वाले वनकर्मी राम सुरेश दुबे को इसके लिए बड़ा ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है। वन मंत्री विजय शाह पहले ही मामले की जांच के आदेश दे चुके हैं। और अब ख़बरों की मानें तो वन विभाग शिकायतकर्ता वनपाल राम सुरेश के ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई कर सकता है।
मंत्री के ख़िलाफ़ शिकायत से पहले दुबे ने इस बारे में अपने अधिकारियों को बताया या नहीं यह तो कहा नहीं जा सकता लेकिन उन्होंने शासकीय शिकायत को सार्वजनिक ज़रूर किया। बताया जाता है कि उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इसे प्रसारित किया था और यह तथ्य भी उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई का कारण बन सकता है।
यह संभावित कार्रवाई दुबे द्वारा मंत्री ठाकुर के खिलाफ़ उनके द्वारा की गई हालिया शिकायत पर नहीं होगी बल्कि ख़ुद दुबे के ख़िलाफ़ की गई उनके प्रमोशन संबंधी पुरानी शिकायतों पर होगी। ठाकुर का मामला सामने आते ही ये शिकायतें एक बार फिर ख़बरों में तैरने लगी हैं।
बुधवार को वन विभाग के मुख्यालय के एक दल महू में शिकायत की जांच करने के लिए पहुंच रहा है। दल किसके ख़िलाफ़ जांच करने के लिए आ रहा है यह फिलहाल साफ नहीं लेकिन संभवतः यह जांच राम सुरेश दुबे के खिलाफ़ ही होगी क्योंकि वन विभाग पहले ही उषा ठाकुर को अपनी शिकायत से बाहर कर चुका है।
शिकायतों के मुताबिक राम सुरेश दुबे पर आरोप है कि उन्होंने फर्ज़ी दस्तावेज़ लगाकर दो बार आउट ऑफ टर्म प्रमोशन लिये हैं। उनके खिलाफ शिकायतें 31 दिसंबर 2019 और 17 जनवरी 2020 को की गईं थीं। ख़बर है कि इन शिकायतों के आधार पर अब दुबे के खिलाफ कार्रवाई तय है।
मंत्री उषा ठाकुर और उनके सर्मथकों के ख़िलाफ दुबे का आवेदन भले ही पुलिस ने स्वीकार न किया हो लेकिन दुबे इस बात को लेकर डटे रहे और लगातार कहते रहे कि मंत्री उषा ठाकुर पहुंची और उनके सर्मथकों ने वाहन छुड़वाने के लिये अभद्रता भी की। दुबे के मुताबिक मंत्री के ख़िलाफ़ शिकायत करने से पहले उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से इस बारे में बात की थी।
मंगलवार 12 जनवरी को दुबे ने मीडिया को दिये अपने बयान में कहा था कि उन्हें धमकियां मिल रहीं हैं और डराया भी जा रहा है। ऐसे में अगर उन पर अब किसी पुरानी शिकायत पर विभागीय कार्रवाई होती है तो इसका सीधा सा संबंध मौजूदा मामले ही जोड़कर देखा जाएगा।