महू। महू छावनी परिषद द्वारा नगर में ठेला लगाकर व्यवसाय करने वालों को सब्जी मार्केट में ठेला लगाने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही प्रति ठेला पांच हजार रुपये की राशि जमा कराने व प्रतिमाह एक हजार रुपये बतौर शुल्क देने का आदेश भी दिया है।
ठेला लगाने वाले लोगों द्वारा सोमवार को इस आदेश का विरोध किया गया और हाथठेला लेकर परिषद पहुंचकर इसका विरोध किया। इससे पहले विरोध कर रहे लोगों ने परिषद के मुख्य गेट पर धरना दिया। बाद में कार्यालय के गेट पर भी धरना दिया। ठेले वालों व हॉकर्स के विरोध को देखते हुए छावनी परिषद की सीईओ ने उनसे चर्चा की और उनसे ज्ञापन लिया।
बता दें कि महू छावनी परिषद ने कुछ दिन पूर्व नगर में ठेला लगाकर व्यवसाय करने वालों को निर्देश दिया था कि वे अपने ठेले शहर से हटाकर नए सब्जी मार्केट में लगाएं। इसके लिए पांच हजार रुपये की राशि जमा करानी होगी व प्रतिमाह एक हजार रुपये किराया देना होगा।
शहर में तकरीबन तीन सौ ठेले लगते हैं जिन पर सब्जी, फल, कपड़े आदि सामान बेचा जाता है। इसमें तो कई ऐसे भी है जिनकी तीन-तीन पीढ़ियां ठेले पर व्यवसाय कर परिवार पाल रहे हैं। ठेला लगाने वालों का कहना है कि नए सब्जी बाजार में जितनी जगह दी जा रही है वह काफी कम है। जगह कम होने से यहां अक्सर विवाद की स्थिति बनेगी।
परिषद ने सिर्फ मैदान बना दिया है। वहां अन्य किसी प्रकार की सुविधा नहीं है। गरीब ठेला लगाने वालों के लिए पांच हजार रुपये की राशि जमा कराने व प्रतिमाह एक हजार रुपये किराया देना काफी मुश्किल है।
ठेले वालों का कहना है कि हम शहर में फेरी लगाकर व्यवसाय करते हैं जिस कारण यातायात में बाधा नहीं होती और ना ही किसी प्रकार का अतिक्रमण।
शहर में अधिकांश ठेले एमजी रोड, गोकुलगंज, हाट मैदान में स्थायी रूप से खड़े रहकर व्यवसाय करते हैं जिस कारण यातायात में तो बाधा होती ही है। साथ ही इनके कारण कई बार विवाद की स्थिति भी बन चुकी है क्योंकि कुछ ठेले वाले द्विअर्थी शब्दों का उपयोग करते हैं। विरोध करने वालों में कुछ ऐसे भी हैं जो सड़क व अपनी दुकान के सामने ठेला लगाने के बदले पैसे वसूलते हैं जबकि कुछ ठेले किराये पर देकर लगवाते हैं।
ठेले वालों ने सोमवार को यह विरोध प्रदर्शन युवा कांग्रेसी नेता पुनीत शर्मा के नेतृत्व में किया, जो डीमलैंड से खुद फल का ठेला लेकर परिषद के कार्यालय तक पहुंचे। परिषद के मेन गेट को बंद कर चौकीदार ने इन्हें रोक लिया। इस पर शर्मा ठेले वालों के साथ वहीं धरने पर बैठ गए।
कार्यालय अधीक्षक सतीश अग्रवाल व राजस्व अधीक्षक मुकेश प्रजापित ने काफी समझाया कि दो-चार लोग अंदर जाकर सीईओ से चर्चा कर लें, लेकिन वह नहीं माने। बाद में सभी ठेला लेकर अंदर गए जहां सीईओ मनीषा जाट को एक ज्ञापन सौंप कर अपनी समस्या बताई व विचार कर निर्णय लेने की मांग की।