इंदौर। देशभर में स्वच्छता के मामले में नंबर एक पॉजिशन पर लगातार तीन साल से कब्जा बनाए रखने वाले इंदौर शहर के लिए साल 2020 कैसा रहा। आइए जानते हैं साल 2020 में इंदौर शहर ने क्या खोया और क्या पाया।
कोरोना काल में इंदौर शहर में मरीजों की संख्या हमेशा से ही ज्यादा रही। यहां अभी भी कोरोना मरीजों की संख्या 300-400 है, लेकिन शहर में डॉक्टरों की टीम ने काफी अच्छे से काम किया। अभी भी कोरोना मरीजों की देखभाल काफी अच्छे से की जा रही है। इसके साथ ही पुलिसकर्मियों ने भी कोरोना काल में काफी काबिले तारीफ काम किया है।
इंदौर शहर में कोरोना के बढ़ते मरीजों की वजह से शहर को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की सौगात मिली जहां कोरोना मरीजों का इलाज काफी अच्छे से किया जा रहा है। यह अस्पताल कई तरह की आधुनिक मशीनों से लैसे है, जिससे मरीजों का इलाज करना डॉक्टरों के लिए भी काफी आसान हुआ है।
ड्रग माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए इंदौर जिला प्रशासन से ड्रग मुक्ति के लिए अभियान शुरू किया था जो अभी तक जारी है। पहली बार इंदौर शहर में एक साथ छह पब व बार सील किए गए। प्रशासन की इस आक्रामक कार्रवाई को देखकर लगता है कि शहर में अब प्रशासन अपने एक्शन मोड में आ चुका है।
शहर में प्रशासन ने एक अच्छी पहल यह भी कि जिसमें 21 वर्ष से कम उम्र के युवाओं को अब शराब की दूकान से शराब नहीं मिल पाएगी। यह मुहिम कम उम्र में शराब की लत लगने से बचाने के लिए चलाई गई है।
इंदौर शहर में पितृ पर्वत पर हनुमानजी की 72 फीट ऊंची और 72 फीट चौड़ी मूर्ति स्थापित की गई है जिसका वजन करीब 90 टन है। इस मूर्ति के साथ ही शहर को देव दर्शन का एक और स्थान मिल गया है। मूर्ति पर जो लेजर लाइट लगाई गई है, वह जर्मनी से मंगवाई गई है। इस मूर्ति की अनुमानित लागत करीब 10 करोड़ रुपये है।
शहर के एरोड्रम थाना क्षेत्र में नाबालिग किशोरी द्वारा अपने बॉयफ्रेंड के साथ मिलकर अपने सैफ जवान पिता और माता का धारदार हथियारों से मर्डर कर दिया। इस दिल दहला देने वाली घटना ने सारे शहर के साथ-साथ समूचे प्रदेश को भौंचक कर दिया था।