इंदौर। आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश में स्टांप ड्यूटी और भी महंगी होने वाली है। रियल स्टेट सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा दी जा रही स्टाम्प ड्यूटी में दो प्रतिशत की छूट 31 दिसंबर को खत्म हो रही है।
दैनिक भास्कर के लिए इंदौर के पत्रकार संजय गुप्ता की रिपोर्ट इस मामले पर प्रकाश डालती है। इस छूट के बंद होने से राज्य में स्टांप ड्यूटी 7.5 प्रतिशत से 9.5 प्रतिशत हो जाएगी। जो कि देशभर में केवल मेघालय से कम होगी जहां वर्तमान समय में स्टांप ड्यूटी 9.9 प्रतिशत है।
मध्यप्रदेश में घोषित तौर पर 7.5 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी है इसमें तीन प्रतिशत पंजीयन शुल्क भी जोड़ा जाता है ऐसे में रजिस्ट्री का कुल खर्च करीब 10.5 प्रतिशत हो जाता है। उत्तरपूर्वी राज्यों में यह ड्यूटी 8 से 9.9 प्रतिशत तक है। ऐसे में शासन से इस छूट को जारी रखने की अपील की जा रही है।
खबर के मुताबिक क्रेडाई, पंजीयक वकीलों और कई संगठनों ने राज्य सरकार से इस छूट को जारी रखने की मांग की है। इन सभी ने शासन से अपील की है कि यदि छूट देना संभव नहीं है तो महाराष्ट्र जैसा प्रावधान कर दिया जाए कि जहां 31 दिसंबर तक वर्तमान प्रावधान के अनुसार जो स्टाम्प ड्यूटी चुका है वह 31 मार्च 2021 तक अपनी संपत्ति के दस्तावेज पंजीबद्ध करा सकता है। हालांकि प्रदेश सरकार अगर इसे कम रखने का फैसला लेती है तो नागरिकों को काफी राहत मिलेगी और यदि ऐसा नहीं होता है तो ज़ाहिर है यह लोगों की जेब पर भारी पड़ने वाला है।
यह प्रावधान शासन ने मार्च अंत में लॉकडाउन लगने के दौरान भी किया था और बाद में लोगों ने अनलॉक के बाद संपत्ति दस्तावेज पंजीबद्ध कराए थे। इसके अलावा भी देखें तो मप्र में टैक्स का बोझ कई वस्तुओं पर ज्यादा है। इनमें सबसे अधिक चर्चा पेट्रोल की होती है जो अधिक वैट के चलते देश का सबसे महंगा है वहीं डीजल की ज्यादा कीमतों में भी मप्र देश में तीसरे नंबर पर आता है।
ख़बर बताती है कि कैसे कई राज्यों जैसे कर्नाटक, गोवा, पश्चिम बंगाल ने संपत्ति की कीमत के स्लैब बनाकर स्टाम्प ड्यूटी लगाई हुई है। जैसे कर्नाटक में 35 लाख से अधिक कीमत की संपत्ति पर पांच प्रतिशत तक स्टांप ड्यूटी लगती है। इसके नीचे 21 से 35 लाख की संपत्ति पर तीन प्रतिशथ और इससे कम की संपत्ति पर केवल दो प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी लगती है।
गोवा में 50 लाख से अधिक कीमत पर साढ़े तीन फीसदी स्टांप ड्यूटी लगती है, इससे अधिक पर चार प्रतिशत और एक करोड़ से अधिक मूल्य पर पांच प्रतिशत स्टांप ड्यूटी लगती है। वहीं पंजाब, राजस्थान, बिहार, यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा आदि राज्यों में संपत्ति यदि महिलाओं के नाम पर है तो यहां स्टांप ड्यूटी में राहत मिलती है। यहां महिलाओं से पुरूषों की तुलना में स्टांप ड्यूटी दो फीसदी तक कम ली जाती है।
प्रदेश में स्टांप ड्यूटी में छूट समाप्त होने का सबसे अधिक असर इंदौर में होगा जहां सबसे अधिक सौदे होते हैं। यहां हर माह करीब 1100 करोड़ रुपये के सौदे होते हैं।रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर में स्टाम्प ड्यूटी की छूट के बाद से ही इंदौर में हर माह औसतन 1100 करोड़ की 10500 संपत्तियों के सौदे हो रहे हैं। इससे सरकार को हर माह 100 से 105 करोड़ की आय हो रही है, जो पहले औसतन 95 करोड़ के करीब होती थी।
मप्र में केवल नगरीय और ग्रामीण सीमा के स्लैब ही स्टाम्प ड्यूटी पर लगते हैं, यहां महिला-पुरूष या संपत्ति कीमत पर कोई अलग से छूट नहीं है। शहरी सीमा में 5 फीसदी ड्यूटी, 1 % नगरीय शुल्क, 1% पंचायत कर, 0.5% उपकर, 7.5% स्टाम्प ड्यूटी, साथ ही तीन प्रतिशत पंजीयन शुल्क, इस तरह कुल शुल्क 10.5% हो जाता है। एक करोड़ की संपत्ति पर 10.50 लाख रुपए। वहीं 1 जनवरी से नगरीय शुल्क फिर 3% हो जाएगा और कुल शुल्क 12.50%, यानी एक करोड़ रुपए की संपत्ति पर 12.50 लाख रुपए। इसके अलावा ग्रामीण सीमा में नगरीय शुल्क नहीं लगता है, इस तरह वहां खुल शुल्क 9.50 प्रतिशत है।
इन राज्यों में इतनी है स्टांप ड्यूटी
- महाराष्ट्र 3 %
- मेघालय 9.9%
- मिजोरम 9.0%
- नागालेंड व असम 8.25%
- केरल 8.0%
- मप्र 7.50%
- यूपी, पंजाब 7.0%
- झारखंड में 4%
- गुजरात में 4.9%
- हिमाचल, छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश 5%