इंदौर। किसान आंदोलन के बीच सरकार किसानों की बेहतरी की बात तो कर रही है लेकिन इसके लिए ज़मीन पर फिलहाल कुछ ख़ास नहीं किया जा रहा है। मालवा क्षेत्र में आलू के किसानों की परेशानी पर शायद ही सरकार का ध्यान जा रहा है। आलू के किसान हर दिन घाटे का सामना कर रहे हैं और ये घाटा लगातार बढ़ भी रहा है।
आलू उत्पादक किसान परेशान हैं। आलू की नई फसल के साथ उन्हें पहले ही घाटा हो रहा था लेकिन अब हर रोज़ाना यह घाटा बढ़ता ही जा रहा था। फिलहाल मंडी में आलू 8-10 रुपये प्रति किलो पर आ गया है। इस तरह किसान को प्रति बीघा पर करीब बारह हजार रुपये तक का नुकसान हो रहा है।
मालवा के खेतों में आलू लगातार निकाला जा रहा है। इंदौर मंडी में इन दिनों करीब पच्चीस से तीस हजार कट्टे आलू पहुंच रहा है। केंद्र सरकार पहले ही भूटान से आलू आयात कर चुकी है और कई दूसरे क्षेत्रों से भी फसल आनी शुरु हो चुकी है ऐसे में आलू की आवक तेज है लेकिन मांग पहले जितनी नहीं रही। हालांकि अभी भी बीज का आलू करीब बीस रुपये प्रति किलोग्राम के दाम पर ही है। बुआई के समय यह बीज आलू करीब 30-40 रुपये तक प्रति किलोग्राम था।
आलू उत्पादक किसानों की मुश्किलें रोज़ाना बढ़ रहीं, जानिए क्या है उनकी मौजूदा परेशानियां…
लगातार कम हो रहे दाम किसानों के लिए चिंता का सबब बन चुके हैं ऐसे में वे अब सरकार की ओर राहत की उम्मीद में देख रहे हैं। किसानों का कहना है कि सरकार बीज के आलू के दाम नियंत्रित किए जाएं और बाजार में भी बिक्री के लिए दाम तय किए जाएं। ऐसे में ये किसान भी आलू के लिए न्यूनतम सर्मथन मूल्य चाहते हैं। हालांकि मध्यप्रदेश सरकार ने सब्ज़ियों पर एमएमसपी के दायरे में लाने के लिए योजना तैयार कर ली है।