नई दिल्ली। इलाहबाद हाई कोर्ट द्वारा डॉ कफील खान की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत रद्द किए जाने फैसले को उत्तर प्रदेश सरकार ने 12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर चुनौती दी है।
The Uttar Pradesh Government has filed a special leave petition in the #SupremeCourt against the September 1 judgment of the Allahabad High Court which quashed the detention of Dr.#KafeelKhan under the National Security Act (#NSA).
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यूपी सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि डॉ खान का गंभीर अपराध करने का इतिहास रहा है और इसी वजह से उन्हें सेवा से निलंबित किया गया, केस (FIR) दर्ज हुईं और उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगा।
हाईकोर्ट ने 1 सितंबर को अपने आदेश में कहा था डॉक्टर कफील खान की हिरासत “गैरकानूनी” थी। इसी फैसले में अदालत ने कह था कि, डॉक्टर के भाषण ने नफरत या हिंसा को बढ़ावा देने के लिए कोई प्रयास नहीं दिखाई देता है।
चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह की डिवीजन बेंच ने कहा था कि,”भाषणकर्ता ने निश्चित रूप से सरकार की नीतियों का विरोध किया और ऐसा करते हुए कई विशेष उदाहरण दिए हैं, हालांकि उनसे हिरासत की आशंका प्रकट नहीं होती है। प्रथम दृष्टया, भाषण पूरा पढ़ने से घृणा या हिंसा को बढ़ावा देने के किसी भी प्रयास का खुलासा नहीं होता है। इससे अलीगढ़ शहर की शांति के लिए भी खतरा नहीं है। यह राष्ट्रीय अखंडता और भाषण नागरिकों के बीच एकता का आह्वान करता है। यह भाषण किसी भी तरह की हिंसा का विरोध करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जिला मजिस्ट्रेट ने भाषण के चयनात्मक हिस्सें को पढ़ा है और चयनात्मक हिस्से का उल्लेख किया है और भाषण के वास्तविक इरादे को नजरअंदाज किया है।”
अदालत ने तुरंत डॉक्टर कफील को रिहा करने का आदेश दिया था।
गौरतलब है कि, मथुरा की एक जेल से रिहा किए जाने के बाद, उन्होंने कहा था कि वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहेंगे कि वह उन्हें राज्य चिकित्सा सेवाओं में नौकरी दे दें।
बता दें कि, डॉ कफील खान को जनवरी 2020 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के खिलाफ दिए गए एक भाषण के तहत जनवरी 2020 में मुंबई से गिरफ्तार किया गया था। पीडियाट्रिक्स प्रोफेसर को बाद में कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 के तहत ‘शहर में सार्वजनिक व्यवस्था में अव्यवस्था फैलाने और अलीगढ़ के नागरिकों के भीतर भय और असुरक्षा का माहौल पैदा करने’ के आरोप के साथ केस दर्ज किया गया था।
कफील खान की मां नुजहत परवीन की ओर से दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को पहली बार 1 जून, 2020 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट इस विषय के लिए एक ‘उचित मंच’ है।
डॉ खान को 30 जनवरी की रात मुंबई पुलिस की मदद से एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया था। वो मुंबई एंटी-CAA प्रदर्शनों में हिस्सा लेने पहुंचे थे। 13 फरवरी को उनके खिलाफ NSA के तहत एक डिटेंशन ऑर्डर पास किया गया था। इस कानून के तहत डॉ खान की हिरासत दो बार बढ़ी थी।