कॉमेडियन कुणाल कामरा ने बोम्बे उच्च न्यायालय में FIR रद्द कराने की याचिका दायर की


स्टैंड-अप कॉमेडियन कुनाल कामरा ने एकनाथ शिंदे पर की गई टिप्पणियों को लेकर दर्ज FIR को रद्द कराने के लिए बोम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है। जानिए पूरे विवाद की पृष्ठभूमि और कानूनी कार्रवाई की स्थिति।


DeshGaon
बड़ी बात Published On :

लोकप्रिय हास्य अभिनेता और विचारक, कुणाल कामरा ने हाल ही में महाराष्ट्र उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ की गई टिप्पणियों के संबंध में मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज FIR को चुनौती देते हुए बोम्बे उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। कामरा का दावा है कि उनके द्वारा किए गए टिप्पणियाँ संविधान द्वारा प्रदान किए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करती हैं। इस विवाद में उन्होंने यह तर्क दिया है कि उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, व्यवसायिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a), 19(1)(g) तथा 21 के अंतर्गत संरक्षित हैं।

 

परिचय और विवाद की पृष्ठभूमि

कुनाल कामरा, जो अपनी बेबाक और खुली भाषा शैली के लिए जाने जाते हैं, ने मार्च 23 को ‘नया भारत’ शीर्षक से एक स्टैंड-अप वीडियो जारी किया था जिसमें उन्होंने एकनाथ शिंदे की नीतियों और राजनीतिक विभाजन को लेकर व्यंग्य किया था। इस वीडियो में उन्होंने शिंदे के साथ-साथ शिव सेना और उध्दव ठक्कराय के राजनीतिक परिदृश्य पर तीखा कटाक्ष किया। वीडियो के प्रसारण के बाद विवाद का माहौल गंभीर हो गया और शिंदे के समर्थकों ने प्रदर्शन स्थल पर आक्रमण करते हुए उसे नष्ट कर दिया। इस घटनाक्रम के तुरंत बाद, मुंबई पुलिस ने कामरा के खिलाफ FIR दर्ज कर ली।

 

मुख्य समाचार और कानूनी कार्रवाई

कामरा ने बोम्बे उच्च न्यायालय में याचिका दायर करते हुए कहा कि उनके खिलाफ दर्ज FIR उनके मौलिक अधिकारों पर आक्रमण है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें तीन बार समन भेजने के बावजूद भी पेश होने का मौका नहीं दिया। अदालत में दायर याचिका में कामरा ने बताया कि उनके द्वारा की गई टिप्पणियाँ केवल राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी थीं, जिनका उद्देश्य किसी की व्यक्तिगत छवि को आहत करना नहीं था।

 

इस मामले में FIR विभिन्न धाराओं के अंतर्गत दर्ज की गई है, जिनमें सार्वजनिक उपद्रव और मानहानि के आरोप शामिल हैं। शिव सेना के एक सदस्य द्वारा की गई शिकायत के आधार पर यह FIR दर्ज की गई थी। इसके अतिरिक्त, मुंबई पुलिस ने मामले में अन्य स्थानों पर भी आरोप दर्ज किए हैं, जिसमें मनमद, जालगांव जमोद और नंदगांव से संबंधित FIR शामिल हैं। कामरा का कहना है कि इस मामले में राजनीतिक दबाव और स्वार्थी इच्छाओं का हस्तक्षेप है, जिससे उन्हें न्यायिक सहायता प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

 

राजनीतिक प्रतिक्रिया और सामाजिक प्रतिक्रिया

इस मामले पर राजनीतिक क्षेत्रों में विभिन्न प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। जहां कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कामरा ने अपने अधिकारों के तहत एक महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर किया है, वहीं अन्य मत देते हैं कि सार्वजनिक व्यक्तियों को अपनी बातों में अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। सामाजिक मीडिया पर भी इस मामले को लेकर चर्चा तेज है और दोनों पक्षों से समर्थन मिल रहा है।