राजगढ़। मुख्यालय पर पुलिस की विशेष निगरानी के बावजूद यातायात नियमों का किस तरह से मखौल उड़ाया जा रहा है, इसकी बानगी यहां लगने वाले साप्ताहिक हाट-बाजार के दौरान आसानी से देखी जा सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों से तीन से चार सवारियों की क्षमता वाले ऑटो रिक्शा में लदकर आने वाले 15 से 20 लोगों को देखकर लग रहा है राजगढ़ जिला मुख्यालय पर इन्हें देखने, टोकने व रोकने वाला कोई नहीं हैं। ओवर लोडिंग का आलम यह कि ऑटो रिक्शा की छतों के साथ आजू-बाजू में लटककर दस से बीस सवारियां सफर करते हुए देखी जा सकती है। बेहद ऊबड़-खाबड़ घुमावदार एकल सड़कों पर चलने वाले इन ऑटो रिक्शा संचालकों के साथ ही इनमें सफर करने वाले ग्रामीणों को भी अपनी जान की परवाह नहीं है।
लोगों का मानना है कि लापरवाही पर लगाम नहीं लगी तो क्षेत्र में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। सप्ताह में बुधवार के दिन राजगढ़ आने वाले ऐसे ओवरलोड ऑटो रिक्शा की संख्या से 20 से ज्यादा बताई जा रही है।
इधर मामले में यातायात पुलिस का कहना है कि संबंधित ऑटो रिक्शा संचालकों को नोटिस दिए गए हैं कि वह इस प्रकार का जोखिम भरा यात्री परिवहन न करें। यातायात थाना प्रभारी योगेंद्र मरावी के अनुसार नोटिस के बाद भी नियमों को तोड़ने वाले ऑटो रिक्शा संचालकों को पकड़कर नियमानुसार जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी।
ग्रामीण रूट पर यात्री बसों का संचालन न होना है मुख्य कारण
दरअसल जिला मुख्यालय पर कालीपीठ क्षेत्र के करीब दो दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीण साप्ताहिक हाट-बाजार में खरीदारी करने आते हैं। इस क्षेत्र में दिन भर में इक्का-दुक्का यात्री बसें ही चलती है। ऐसे में ग्रामीणों को राजगढ़ तक आने के लिए ऑटो रिक्शा में झूलकर-लटककर या छत पर बैठकर सफर करना मजबूरी है। पुलिस के निर्देश हैं कि ऑटो चालक यात्रियों की जान से खिलवाड़ करें। इधर ऑटो संचालकों का कहना है कि ग्रामीण खुद ही इस तरह लटककर सफर करते हैं। मनाही करने पर अक्सर झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैं।