रंगमंच के दिग्गज आलोक चटर्जी का निधन, थिएटर जगत में शोक की लहर


प्रसिद्ध रंगमंच कलाकार और एनएसडी गोल्ड मेडलिस्ट आलोक चटर्जी का निधन हो गया। उनके निर्देशन और अभिनय ने भारतीय रंगमंच को नई ऊंचाइयां दीं। जानें उनके जीवन और उपलब्धियों के बारे में।


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भोपाल Published On :

भारत के प्रमुख रंगमंच कलाकार और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) के स्वर्ण पदक विजेता आलोक चटर्जी का आज सुबह निधन हो गया। उनकी मृत्यु की खबर रंगकर्मी सिग्मा उपाध्याय ने सोशल मीडिया के माध्यम से साझा की। उन्होंने बताया कि रात करीब 3 बजे आलोक चटर्जी ने अस्पताल में अंतिम सांस ली। यह जानकारी आलोक चटर्जी की पत्नी शोभा चटर्जी ने भी पुष्टि की।

लंबे समय से बीमार चल रहे आलोक चटर्जी के स्वास्थ्य में इन्फेक्शन और कई अंगों के काम न करने के कारण गंभीर गिरावट आई थी। उनके निधन से रंगमंच जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

रंगमंच को समर्पित जीवन

दमोह, मध्य प्रदेश में जन्मे आलोक चटर्जी रंगमंच की दुनिया के प्रतिष्ठित नामों में से एक थे। आठवीं कक्षा तक दमोह में पढ़ाई करने के बाद उन्होंने जबलपुर और फिर भोपाल में शिक्षा प्राप्त की। अपनी अभिनय यात्रा को नई ऊंचाई देने के लिए उन्होंने नई दिल्ली स्थित एनएसडी से प्रशिक्षण लिया। वहां उन्हें स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया, जो ओम पुरी के बाद किसी अभिनेता को दिया गया दूसरा गोल्ड मेडल था।

चटर्जी न केवल एक अभिनेता थे, बल्कि अपने निर्देशन और शिक्षण के लिए भी प्रसिद्ध थे। वह एनएसडी के साथी और मशहूर अभिनेता इरफान खान के सहपाठी रह चुके थे।

प्रमुख नाटक और उनका योगदान

आलोक चटर्जी ने कई यादगार नाटकों का निर्देशन और उनमें अभिनय किया। शेक्सपियर के ‘ए मिड समर नाइट्स ड्रीम’ और आर्थर मिलर के ‘डेथ ऑफ ए सेल्समैन’ में उनके निर्देशन और अभिनय ने रंगमंच प्रेमियों को मंत्रमुग्ध किया। विष्णु वामन शिरवाडकर के नाटक ‘नट सम्राट’ में उनकी भूमिका को आज भी सराहा जाता है। इसके अलावा ‘शकुंतला की अंगूठी’, ‘स्वामी विवेकानंद’, और ‘अनकहे अफसाने’ जैसे नाटक उनकी उपलब्धियों में शामिल हैं।

आलोक चटर्जी का कहना था, “मैं रंगकर्म के लिए जिया हूं। यदि मुझे फिल्मी दुनिया में जाना होता, तो मैं पुणे के फिल्म संस्थान का रुख करता। रंगमंच मेरे खून में है और मैंने एनएसडी का नमक खाया है, जो मेरे जीवन का आधार है।”

सम्मान और उपलब्धियां

आलोक चटर्जी को उनके अद्वितीय योगदान के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया। एनएसडी ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए गोल्ड मेडल दिया था। वर्ष 2019 में, उन्हें भारत की राष्ट्रपति द्वारा संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

रंगमंच के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को देखते हुए उन्हें मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय (एमपीएसडी) का निदेशक भी नियुक्त किया गया था। उन्होंने अपने निर्देशन और शिक्षण के जरिए नई पीढ़ी के कलाकारों को प्रेरित किया।

रंगमंच की अपूरणीय क्षति

आलोक चटर्जी का निधन भारतीय रंगमंच जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। उनकी कला और शिक्षण ने न केवल रंगमंच को समृद्ध किया, बल्कि उन्हें एक सच्चा रंगकर्मी बनाया। उनकी यादें और उनके द्वारा रचित रंगमंचीय धरोहर हमेशा हमारे साथ रहेंगी।

 



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