ऐतिहासिक पर्यटन नगरी मांडू को एक और अंतरराष्ट्रीय आयोजन का गौरव प्राप्त होने जा रहा है। जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता के बाद, अब 27 नवंबर को मांडू में यूरेशियन समूह के 250 से अधिक प्रतिनिधियों का आगमन होगा। 25 देशों के ये डेलिगेट्स मांडू के ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करेंगे और भारतीय संस्कृति के अद्भुत अनुभव का आनंद लेंगे। यूरेशियन ग्रुप की 5 दिवसीय बैठक 25-29 नवंबर तक इंदौर में आयोजित हो रही है। इस दौरान 27 नवंबर को डेलिगेट्स मांडू भ्रमण पर आएंगे। प्रशासन ने इस अवसर को यादगार बनाने के लिए व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। सड़कों के दोनों ओर गाजर घास की सफाई कराई जा रही है। विशेष स्वच्छता अभियान चलाकर महलों के आसपास की दुकानों को हटाया गया है। इसके अलावा, मूलभूत सुविधाओं में सुधार के लिए कई व्यवस्थाएं की जा रही हैं।
भारतीय परंपरा और सांस्कृतिक झलक का अनुभव
डेलिगेट्स का स्वागत भारतीय परंपरा के अनुसार किया जाएगा। आदिवासी लोक संस्कृति की झलक मांडू में दिखाई देगी, जिसमें मादल की थाप और कुर्राट का प्रदर्शन शामिल होगा। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से मांडू की समृद्ध विरासत को पेश किया जाएगा। भोजन में देसी-विदेशी व्यंजनों के साथ स्थानीय मालवी पकवानों का स्वाद मेहमानों को परोसा जाएगा। रात्रि भोज मालवा रिसॉर्ट में आयोजित होगा, जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे।
महलों का भ्रमण और लाइट एंड साउंड शो
डेलिगेट्स दोपहर में मांडू पहुंचेंगे और जहाज महल, हिंडोला महल जैसे ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करेंगे। इसके बाद लाइट एंड साउंड शो के माध्यम से मांडू के गौरवशाली इतिहास को दिखाया जाएगा। रात को ये दल सड़क मार्ग से इंदौर वापस लौटेगा।
स्वच्छता और पर्यटन सुविधाओं पर जोर
कलेक्टर प्रियंक मिश्रा के नेतृत्व में मांडू में सफाई और व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। नगर परिषद स्वच्छता अभियान को पूरी गंभीरता से लागू कर रही है। महल क्षेत्र और प्रमुख पर्यटन स्थलों को सुसज्जित किया जा रहा है। रास्तों पर रंगोली बनाने और आतिथ्य स्थलों को सजाने का कार्य भी प्रगति पर है।
स्थानीय पर्यटन के विकास पर सवाल
हालांकि, पर्यटन विशेषज्ञों का मानना है कि मांडू जैसे ऐतिहासिक स्थल पर अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम होने के बावजूद सरकार मांडू उत्सव जैसी परंपराओं को बढ़ावा नहीं दे रही है। मांडू, जो यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट की टेंटेटिव सूची में शामिल है, यहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव साल भर देखने को मिलता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि अंतरराष्ट्रीय आयोजन के साथ स्थानीय पर्यटन को भी प्राथमिकता दी जाए।