सनातन हिंदू एकता पदयात्रा: बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने गांव का नाम अलीपुर से हरिपुरा करने को कहा, कर रहे जात-पात छोड़कर एक होने की अपील


बागेश्वर धाम से शुरू हुई सनातन हिंदू एकता पदयात्रा का उद्देश्य जात-पात के भेदभाव को मिटाकर हिंदू समाज को एकजुट करना है। पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नेतृत्व में चल रही यह 160 किलोमीटर लंबी यात्रा ओरछा तक जाएगी।


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छतरपुर Published On :
धीरेंद्र शास्त्री की हिन्दू एकता पदयात्रा

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले से शुरू हुई सनातन हिंदू एकता पदयात्रा इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नेतृत्व में निकली यह नौ दिवसीय यात्रा अपने संदेश और उद्देश्यों के कारण लाखों लोगों को जोड़ रही है। बागेश्वर धाम से ओरछा तक करीब 160 किलोमीटर लंबी यह यात्रा 21 नवंबर को शुरू हुई थी और इसका समापन 29 नवंबर को होगा। चौथे दिन यात्रा ने उत्तर प्रदेश की सीमा पार करते हुए धसान नदी के किनारे मऊरानीपुर के देवरी बंधा तक का सफर तय किया।

इस यात्रा में हर दिन हजारों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। पं. धीरेंद्र शास्त्री पूरे रास्ते लगातार नए नए बयान दे रहे हैं और उनके बयान रोजाना सुर्खियां बन रहे हैं। इन बयानों में सामाजिक समरसता के संदेश तो हैं और साथ ही हिन्दुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने की तरकीबें भी दिखाई दे रहीं हैं।  उन्होंने कहा, “जात-पात के विचारों को मंदिर के बाहर जूतों की तरह छोड़ना होगा। हमारा नारा है—जात-पात की करो विदाई, हम सब हिंदू भाई-भाई।”

धीरेंद्र शास्त्री ने एक गांव से गुजरते हुए अपील कर दी कि गांव वाले अपने गांव का नाम अलीपुरा से बदलकर हरिपुरा कर लें, जो कि सनातन संस्कृति का प्रतीक है।

इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज को एकजुट करना और धर्म विरोधी ताकतों का सामना करने के लिए उन्हें संगठित करना है। पं. शास्त्री ने अपने संबोधनों में लव जिहाद और अन्य सामाजिक मुद्दों पर चिंता व्यक्त की और कहा कि यदि हिंदू समाज अब भी जागरूक नहीं हुआ, तो आने वाली पीढ़ियों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने लोगों को यह शपथ भी दिलाई कि वे गीता, गाय, गायत्री और गुरु का सम्मान करेंगे और सनातन संस्कृति को अपने जीवन का हिस्सा बनाएंगे।

यात्रा के दौरान, धार्मिक और सामाजिक हस्तियों की भागीदारी ने इसे और अधिक खास बना दिया है। हनुमान गढ़ी अयोध्या के महंत राजूदास महाराज, वृंदावन के कथावाचक पं. पुण्डरीक गोस्वामी, और किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर ने इस यात्रा में शामिल होकर इसे अपना समर्थन दिया। इसके अलावा, मंत्री राकेश शुक्ला और पूर्व मंत्री मानवेन्द्र सिंह भी यहां पहुंचे। यात्रा के तीसरे दिन नौगांव में पं. शास्त्री के की मौजूदगी में एक आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की बेटी का विवाह भी कराया गया।

गांव का नाम बदलने के लिए…

पदयात्रा के दौरान एक अन्य दिलचस्प पहल देखने को मिली, जब पं. शास्त्री ने अलीपुरा गांव के निवासियों से आग्रह किया कि वे अपने गांव का नाम “हरीपुरा” रखें। उन्होंने इसे सनातन संस्कृति के सम्मान का प्रतीक बताया।

पदयात्रा जहां-जहां पहुंच रही है, वहां इसे लोगों का बड़ा समर्थन मिल रहा है।स्थानीय लोगों की मानें तो वे इस यात्रा को सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति और हिंदू समाज के लिए एक आंदोलन के रूप में देख रहे हैं। नौगांव में किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर ने यात्रा का समर्थन करते हुए इसे देशभर के हिंदुओं को एकजुट करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया।

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पं. धीरेंद्र शास्त्री के अनुसार, यह यात्रा एक संदेश है कि हिंदू समाज को अपनी आंतरिक भेदभाव की दीवारें गिराकर एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा, “अगर हम एक साथ रहेंगे, तो धर्म विरोधी ताकतें खुद ब खुद कमजोर हो जाएंगी।” 

धीरेंद्र शास्त्री का कहना है कि सनातन हिंदू एकता पदयात्रा के संदेश और उद्देश्य इसे एक व्यापक जन आंदोलन का रूप दे रहे हैं। यह यात्रा केवल धार्मिकता तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक जागरूकता, समरसता, और हिंदू समाज की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।