जिले की मंडी में सोमवार को सोयाबीन के मुहूर्त सौदे के साथ नीलामी हुई। पूरे साल इस नीलामी का किसानों और व्यापारियों को बेसब्री से इंतजार रहता है। इस बार बाजार में तेल के दाम बढ़ने से सोयाबीन के भी ऊंचे दाम मिलने की उम्मीद है। सुबह 10:30 बजे एसडीएम रोशनी पाटीदार की उपस्थिति में पूजा-अर्चना के बाद मुहूर्त नीलामी का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर मंडी में 6161 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सोयाबीन की खरीदी हुई, जिसे व्यापारी झमक लाल मनोहर लाल ने खरीदा।
तेजी आएगी व्यापार में: मुहूर्त की खरीदी के लिए किसान एक दिन पहले से ही ट्रैक्टरों में सोयाबीन लेकर मंडी में पहुंच गए थे। सरकारी खरीदी के बढ़े भावों के बावजूद किसानों ने नगद भुगतान के चलते मंडी में उपज बेचना पसंद किया, जिससे मंडी में व्यापार में तेजी आने की संभावना है। किसान नगद भुगतान मिलने के कारण शादी के सीजन की खरीदारी कर सकेंगे, जिससे बाजार में भी रौनक बढ़ेगी।
किसानों के लिए मुफ्त भोजन की व्यवस्था: अनाज दलहन तिलहन व्यापार समिति के अध्यक्ष अनंत कुमार अग्रवाल, राजेंद्र मोदी और मुकेश राठौर ने बताया कि इस साल मुहूर्त के अवसर पर किसानों के लिए मुफ्त भोजन की व्यवस्था की गई है। जो भी किसान अपनी उपज बेचने आता है, उसे मंडी कैंटीन में निशुल्क भोजन दिया जा रहा है।
सोयाबीन की खरीदी
धार स्थित अनाज मंडी ‘ए’ ग्रेड की प्रमुख मंडियों में गिनी जाती है। यहां 270 से अधिक लाइसेंसी व्यापारी हैं, और पूरे साल सोयाबीन की आवक बनी रहती है। इस समय रोजाना 8-10 हजार क्विंटल सोयाबीन की आवक के साथ करोड़ों का व्यापार होता है।
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दीपावली बाद मुहूर्त सौदा:
धार मंडी में सोयाबीन की खरीदी का सीजन अक्टूबर से शुरू होता है, और दीपावली के बाद मुहूर्त सौदा आयोजित होता है। इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल से नवंबर के बीच मंडी में लगभग 5.5 लाख क्विंटल सोयाबीन की आवक दर्ज हुई है। जिले की प्रमुख मंडियों में धार और बदनावर शामिल हैं, जहां सालभर सोयाबीन का व्यापार चलता रहता है।
किसानों की उम्मीदें: इस बार किसानों ने ऊंचे दाम मिलने की उम्मीद में मंडी का रुख किया है। किसान संघ के प्रांतीय मंत्री महेश ठाकुर ने बताया कि इस बार सोयाबीन फसल में बीमारी और कम उत्पादन के कारण किसानों को लागत निकालने में भी कठिनाई हो रही है। किसानों ने इस बार बेहतर मूल्य के लिए सड़क पर प्रदर्शन भी किए थे, जिसके बाद सरकार ने समर्थन मूल्य पर खरीदी की शुरुआत की, लेकिन किसान मंडी में नगद भुगतान को प्राथमिकता दे रहे हैं।