मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए अनूपपुर जिले के भलमुडा थाने में पदस्थ पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने आदेश दिया कि थाने में मौजूद सभी दोषी पुलिसकर्मियों का 900 किलोमीटर दूर तबादला किया जाए, साथ ही उन पर 1,20,000 रुपये का मुआवजा भी लगाया जाए, जिसे याचिकाकर्ता अखिलेश पांडे को प्रदान किया जाएगा। यह मामला तब सामने आया जब अखिलेश पांडे ने थाने के आरक्षक मकसूदन सिंह और अन्य पुलिसकर्मियों पर मारपीट और फर्जी मामला दर्ज करने का आरोप लगाया था।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला सितंबर 2023 का है, जब अनूपपुर के भलमुडा थाने में याचिकाकर्ता अखिलेश पांडे के साथ मारपीट की गई और उस पर झूठे आरोप लगाए गए। अखिलेश ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने न केवल उसकी पिटाई की, बल्कि खुद के कपड़े फाड़कर उसके खिलाफ झूठी FIR दर्ज की। इसके बाद, अखिलेश ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत थाने का सीसीटीवी फुटेज मांगा और इसी आधार पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
हाईकोर्ट ने दिए सख्त निर्देश
जस्टिस अहलूवालिया ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए डीजीपी को आदेश दिया कि थाने के दोषी पुलिसकर्मियों का 900 किलोमीटर दूर तबादला किया जाए। इसके साथ ही, दोषी पुलिसकर्मियों से 1,20,000 रुपये का मुआवजा वसूला जाए और यह राशि याचिकाकर्ता अखिलेश पांडे को दी जाए। अदालत ने तीन महीने के भीतर इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
सीसीटीवी फुटेज में बड़ा खुलासा
याचिकाकर्ता ने अदालत में सीसीटीवी फुटेज पेश किया, जिसमें स्पष्ट दिखाया गया कि पुलिसकर्मियों ने अखिलेश के साथ बदसलूकी की थी। फुटेज से यह भी साबित हुआ कि पुलिसकर्मियों ने खुद अपने कपड़े फाड़े और अखिलेश पर झूठे आरोप लगाए। इसके अलावा, पुलिसकर्मी यह साजिश रच रहे थे कि अखिलेश पर सोने की चेन लूटने का झूठा मामला दर्ज किया जाए। इस घटना के बाद जब जांच हुई, तो एफआईआर को पूरी तरह से निराधार पाया गया।
प्रदेश के सभी थानों में सीसीटीवी लगाने का निर्देश
इस मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए हाईकोर्ट ने डीजीपी को यह निर्देश भी दिया कि प्रदेश के हर थाने के प्रत्येक कमरे में 18 फरवरी तक सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाएं। कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि कैमरे पूरे कमरे को कवर करें ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश
कोर्ट ने यह भी कहा कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो। इस फैसले ने न केवल अनूपपुर में बल्कि पूरे प्रदेश में एक कड़ा संदेश दिया है कि कानून और व्यवस्था से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।