100 करोड़ की बेशकीमती जमीन पर आवासीय कॉलोनी या जनकल्याणकारी निर्माण? पूर्व सरपंच ने लगाई आपत्ति


धार जिले के सुसारी गांव में 22 एकड़ शासकीय जमीन पर हाउसिंग बोर्ड ने आवासीय कॉलोनी बनाने का आवेदन दिया है, जबकि पूर्व सरपंच ने इसे अस्पताल, कृषि महाविद्यालय और जनकल्याणकारी संरचनाओं के लिए इस्तेमाल करने की मांग की है। इस जमीन की कीमत करीब 100 करोड़ रुपये आंकी गई है, जिस पर जनहित और आवासीय विकास के बीच विवाद खड़ा हो गया है।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Updated On :

धार जिले के ग्राम सुसारी में स्थित लगभग 22 एकड़ कीमती शासकीय जमीन पर आवासीय कॉलोनी बनाने के लिए हाउसिंग बोर्ड ने आवेदन दिया है। इस पर तहसील न्यायालय कुक्षी ने दावे और आपत्ति के लिए एक विज्ञप्ति जारी की है। ग्राम सुसारी के पूर्व सरपंच ने इस शासकीय जमीन का उपयोग जनहितकारी संरचनाओं के लिए किए जाने की मांग करते हुए न्यायालय में आपत्ति दर्ज कराई है। उनका कहना है कि यहां कृषि महाविद्यालय और पंचायत भवन जैसे जनोपयोगी निर्माण किए जा सकते हैं।

 

22 एकड़ जमीन के लिए हाउसिंग बोर्ड का आवेदन

धार जिले के ग्राम सुसारी के सर्वे क्रमांक 316 में कुल 5949 हेक्टेयर भूमि पर गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल ने आवासीय कॉलोनी बनाने के लिए भूमि आरक्षण और आवंटन की मांग की थी। धार कलेक्टर को इस संबंध में तीन महीने पहले आवेदन प्रस्तुत किया गया, जिसे आगे जांच के लिए भेजा गया है।

 

लंबे समय से चला आ रहा विवाद

ग्राम सुसारी की यह 22 एकड़ शासकीय जमीन 2018 में घोषित की गई थी। इससे पहले, 1919 में होलकर स्टेट ने इस जमीन को राधारमण जीनिंग ग्रुप को जीनिंग उद्योग के लिए लीज पर दिया था। लेकिन, जीनिंग कार्य न होने पर 1994 में तत्कालीन सरपंच राजेंद्र पाटीदार ने इस जमीन को शासकीय घोषित करवाने के लिए कलेक्टर से लेकर हाईकोर्ट तक लड़ाई लड़ी। 2018 में हाईकोर्ट ने इस जमीन को शासकीय घोषित करते हुए इसे सरकार के आधिपत्य में लाने का निर्णय सुनाया था।

 

पूर्व सरपंच की आपत्ति

तहसील न्यायालय कुक्षी ने इस भूमि पर आवासीय योजना लागू करने के लिए दावे और आपत्तियों के लिए विज्ञप्ति जारी की थी। इस पर पूर्व सरपंच राजेंद्र पाटीदार ने इस जमीन पर अस्पताल, कृषि महाविद्यालय, बस स्टैंड और खेल मैदान जैसी जनकल्याणकारी संरचनाओं के निर्माण की मांग करते हुए आपत्ति दर्ज की है।

 

100 करोड़ की जमीन पर नजर

वर्तमान में इस जमीन की कीमत करीब 100 करोड़ रुपये है, जिस पर शासन के अधिकारी, भू माफिया और बाहरी नेताओं की नजरें टिकी हुई हैं। पूर्व सरपंच राजेंद्र पाटीदार का कहना है कि इस जमीन को ग्राम के विकास के लिए शासकीय घोषित करवाने में लंबी लड़ाई लड़ी गई है और ग्रामवासियों की मांग है कि इसे केवल जनहितकारी कार्यों के लिए ही उपयोग किया जाए।

 

हाउसिंग बोर्ड का आवेदन

हाउसिंग बोर्ड के कार्यपालन यंत्री शेरसिंह कनेश के अनुसार, शासन की नीति के तहत मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों को रियायती दरों पर आवास उपलब्ध कराने के लिए इस भूमि पर आवासीय कॉलोनी बनाने की योजना है। इस संबंध में धार कलेक्टर को आवेदन दिया गया था।

 



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