मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को हरियाणा में विधायक दल के नेता के चयन के लिए गृह मंत्री अमित शाह के साथ केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि बीजेपी ने हरियाणा में लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की है। 90 में से 48 सीटें जीतकर पार्टी ने बहुमत हासिल किया। नायब सैनी के फिर से मुख्यमंत्री बनने की चर्चा है, और 17 अक्टूबर को शपथ ग्रहण होने की संभावना है।
भाजपा की जीत और सरकार गठन की प्रक्रिया
भाजपा की इस जीत के बाद अब सरकार गठन की तैयारियां तेज हो गई हैं। अमित शाह और मोहन यादव जैसे शीर्ष नेताओं की नियुक्ति यह सुनिश्चित करती है कि सरकार का गठन सुव्यवस्थित तरीके से हो। नायब सैनी, जो मौजूदा मुख्यमंत्री हैं, के फिर से मुख्यमंत्री बनने की अटकलें हैं, क्योंकि उनके नेतृत्व में यह ऐतिहासिक जीत संभव हो पाई है।
चुनाव परिणाम और कांग्रेस की स्थिति
बीजेपी को 8 सीटों का फायदा हुआ, जबकि कांग्रेस को केवल 6 सीटों का लाभ मिला और वह 37 सीटों पर सिमट गई। इस बार के चुनाव परिणाम चौंकाने वाले थे, क्योंकि चुनाव पूर्व सर्वे में कांग्रेस की जीत की उम्मीद जताई जा रही थी। हालांकि, भाजपा ने अप्रत्याशित जीत दर्ज कर हरियाणा की राजनीति में अपनी पकड़ और मजबूत की है।
मोहन यादव की भूमिका और भविष्य की चुनौतियां
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की भूमिका हरियाणा के नए विधायक दल के नेता के चयन में अहम होगी। इस नियुक्ति से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा नेतृत्व हरियाणा में मजबूत और स्थिर सरकार की स्थापना के लिए तत्पर है।