परिवहन विभाग ने लोगों की सुविधा को देखते हुए एक नई व्यवस्था लागू की है, जिसके तहत अब ड्राइविंग लाइसेंस और वाहनों के पंजीयन की प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल हो जाएगी। शुक्रवार से लागू की गई इस नई व्यवस्था के अनुसार, अब ई-ड्राइविंग लाइसेंस और ई-रजिस्ट्रेशन कार्ड स्मार्टफोन में ही उपलब्ध होंगे, यानी भौतिक कार्ड जारी नहीं किए जाएंगे। यह नियम 1 अक्टूबर से जारी होने वाले सभी लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन पर लागू होगा।
दरअसल, चिप बनाने वाली कंपनी द्वारा काम बंद करने के बाद प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया बंद हो गई थी, जिसके बाद सरकार ने यह डिजिटल प्रणाली शुरू करने का निर्णय लिया। परिवहन विभाग ने अधिसूचना जारी कर यह घोषणा की, जिसमें कहा गया है कि वाहनों के रजिस्ट्रेशन और ड्राइविंग लाइसेंस अब पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध होंगे।
विभाग के पोर्टल ‘वाहन 4.0’ पर सभी जिला परिवहन अधिकारियों के स्कैन किए गए हस्ताक्षर मौजूद रहेंगे, जिनका उपयोग डिजिटल ई-ड्राइविंग लाइसेंस और ई-रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर किया जाएगा। ये दस्तावेज ‘एम परिवहन’ ऐप पर भी इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध रहेंगे।
नई व्यवस्था की विशेषताएं:
ई-ड्राइविंग लाइसेंस (ई-डीएल) और ई-रजिस्ट्रेशन कार्ड (ई-आरसी) को संबंधित दस्तावेज़ के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर लिंक के माध्यम से डाउनलोड किया जा सकेगा।
ये दस्तावेज प्रिंटेड पीडीएफ फॉर्मेट में होंगे, जिसमें क्यूआर कोड भी होगा जो दस्तावेज की प्रामाणिकता की पुष्टि करेगा।
ई-डीएल और ई-आरसी को स्वयं के स्तर पर, एमपीऑनलाइन सेंटर, सीएससी सेंटर या परिवहन कार्यालय से प्राप्त किया जा सकेगा।
पुलिस या किसी अधिकृत एजेंसी द्वारा जांच के दौरान ई-डीएल और ई-आरसी को डिजिटल रूप में मान्यता दी जाएगी।
डीएल या आरसी की जब्ती, निलंबन, निरस्तीकरण जैसी कार्रवाइयां ‘वाहन’ या ‘सारथी’ पोर्टल पर ही की जाएंगी।
पीडीएफ फॉर्मेट ऐसे प्राप्त करें:
ड्राइविंग लाइसेंस: आवेदन क्रमांक या लाइसेंस क्रमांक और जन्मतिथि दर्ज कर रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर ओटीपी प्राप्त करें।
रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट: वाहन क्रमांक या चेसिस नंबर के अंतिम पांच अंक दर्ज कर पोर्टल पर ओटीपी के माध्यम से डाउनलोड करें।
चिप का मामला:
नोएडा स्थित स्मार्ट चिप कंपनी, जो 2002 से काम कर रही थी, का कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त हो गया। कंपनी को जून 2024 में एक्सटेंशन मिला था, लेकिन करोड़ों का भुगतान लंबित होने के कारण उसने काम बंद कर दिया।