धार जिले में दशहरा उत्सव की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है। 12 अक्टूबर को शहर के दो प्रमुख स्थानों दशहरा मैदान और नौगांव किला मैदान पर रावण दहन के भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
सार्वजनिक दशहरा उत्सव समिति ने पिछले 46 वर्षों से इस आयोजन के माध्यम से सांप्रदायिक सौहार्द और सद्भाव की मिसाल कायम की है। समिति के संयोजक भगत सिंह चौहान ने बताया कि इस बार भी रावण दहन पूरी भव्यता के साथ आयोजित किया जाएगा, जिसमें सभी समुदायों के लोग परंपरागत रूप से अपना योगदान देंगे, ताकि यह सांस्कृतिक पर्व एकता और सौहार्द का प्रतीक बना रहे।
इस साल रावण के पुतले को विशेष रूप से 51 फीट ऊंचा बनाया जा रहा है, जो 360 डिग्री तक घूम सकेगा, ताकि दर्शक किसी भी दिशा से कार्यक्रम का आनंद ले सकें। नौगांव किला मैदान में राऊ के कलाकार पुतले को तैयार करने में जुटे हैं, जबकि मैदान की सफाई और गाजर घास की कटाई जैसे कार्यों को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। रावण दहन का इस बार का मुख्य थीम ‘नारी शक्ति’ पर केंद्रित रहेगा, जो समाज में महिलाओं की भूमिका और शक्ति को रेखांकित करेगा।
विजयादशमी के इस मौके पर दशहरा मैदान पर नगर पालिका द्वारा रावण दहन का आयोजन किया जाएगा, जहां आतिशबाजी मुख्य आकर्षण के रूप में प्रस्तुत की जाएगी। नगर पालिका के अजय अग्रवाल ने जानकारी दी कि कार्यक्रम से पहले शाम 7 बजे राम, लक्ष्मण और हनुमान की झांकी के साथ वानर सेना का जुलूस निकलेगा। इसके अलावा, नौगांव किला मैदान पर भी विशेष आतिशबाजी का आयोजन होगा, जिसमें बच्चों के लिए खास पटाखों का प्रदर्शन किया जाएगा, ताकि वे भी इस सांस्कृतिक आयोजन का आनंद उठा सकें।
समिति के सदस्य मनोज चौहान के अनुसार, हर साल की तरह इस बार भी दर्शकों के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग इस सांस्कृतिक पर्व में शामिल होकर इसका हिस्सा बन सकें। समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ अभिभाषक एन.एम. शर्मा होंगे, जबकि महेशचंद्र माहेश्वरी कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। समिति के संयोजक भगत सिंह चौहान और उनकी टीम दिन-रात मेहनत कर इस आयोजन को सफल बनाने में जुटे हुए हैं। समिति ने शहरवासियों से अपील की है कि वे बड़ी संख्या में उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाएं।
दशहरा उत्सव समिति का उद्देश्य आयोजन को राजनीति से दूर रखना है और हर वर्ग और समुदाय को इसमें शामिल कर सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देना है। दशकों से यह आयोजन धार्मिक और सामाजिक समरसता का प्रतीक बनकर लोगों के मन में सांप्रदायिक सौहार्द और एकता की भावना को मजबूत करता आया है।