हरियाणा में भाजपा की तीसरी बार ऐतिहासिक जीत पार्टी के लिए बड़ी सफलता है, खासकर लोकसभा चुनावों में बहुमत से थोड़ी कमी के बाद। इस जीत से भाजपा को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भी ताकत मिलेगी।
जम्मू-कश्मीर में सरकार न बना पाने के बावजूद, भाजपा अपने मजबूत गढ़ों को बरकरार रखने या विस्तार करने की स्थिति में दिख रही है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर दोनों ही राज्यों में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल था। भाजपा का यहां बढ़त लेना दिखाता है कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की उम्मीदों के बावजूद, राष्ट्रीय राजनीति में उसकी पकड़ मजबूत है।
हरियाणा में भाजपा को सत्ता-विरोधी लहर, किसान और पहलवानों के लंबे विरोध प्रदर्शन, और अग्निवीर योजना पर नाराजगी का सामना करना पड़ा। लेकिन भाजपा ने यहां व्यापक रणनीति अपनाई। प्रधानमंत्री मोदी ने भले ही 2019 के मुकाबले कम रैलियां की हों, लेकिन पार्टी ने स्थानीय नेताओं और जाट विरोधी वोटों पर फोकस किया।
कांग्रेस का जाट वोट पर अत्यधिक ध्यान देने से बाकी समुदाय भाजपा के साथ खड़े हो गए। कांग्रेस की लोकसभा चुनावों में दलित वोटरों पर बनी पकड़ भी यहां उतनी असरदार नहीं रही। भाजपा ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा, जिन्होंने केवल छह महीने पहले ही पदभार संभाला था। इस रणनीति ने पार्टी को 10 साल की सत्ता विरोधी लहर से बचाने में मदद की। इसके उलट, कांग्रेस ने अपने सभी मौजूदा विधायकों को दोबारा टिकट दिया, जबकि भाजपा ने कई नए चेहरों पर दांव खेला।
भाजपा के अभियान में एक प्रमुख वादा था “बिना पर्ची, बिना खर्ची नौकरी”। कांग्रेस शासन में नौकरियों के लिए सिफारिश और घूस की जरूरत का आरोप लगाकर भाजपा ने जनता को लुभाने की कोशिश की। पार्टी ने मुख्यमंत्री सैनी के नेतृत्व में किए गए सुधारों, खासकर ओबीसी वर्ग के लिए क्रीमीलायर की सीमा 6 लाख से 8 लाख करने जैसे फैसलों पर भी जोर दिया।
भाजपा ने अपने नेताओं के बीच असंतोष और लोकसभा चुनावों में अपेक्षा से कम प्रदर्शन के बाद उठे विद्रोह को गंभीरता से लिया। हरियाणा चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और उनकी टीम ने उम्मीदवारों के चयन में अहम भूमिका निभाई, हालांकि अंतिम फैसला केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने किया।
भाजपा की इस जीत का असर दिल्ली, महाराष्ट्र और झारखंड में भी पड़ सकता है, जहां चुनाव या राजनीतिक खींचतान जारी है। हरियाणा की जीत दिल्ली में पार्टी के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकती है, जहां भाजपा पिछले 25 साल से सत्ता में नहीं आई है। इसके साथ ही, महाराष्ट्र और झारखंड में सहयोगियों के साथ सीटों के बंटवारे में भी भाजपा को इस जीत से फायदा होगा।
कुल मिलाकर, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में भाजपा की सफलता कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है, और उसके सहयोगी अब महाराष्ट्र और झारखंड में ज्यादा सख्त मोलभाव की स्थिति में होंगे।
- 2024 election updates Haryana
- 2024 चुनावी अपडेट हरियाणा
- BJP comeback Haryana 2024
- BJP election strategy 2024
- BJP victory in Haryana 2024
- BJP vs Congress 2024
- BJP's historic win
- Congress defeat in Haryana 2024
- Haryana assembly elections 2024
- Haryana election results 2024
- Modi rallies Haryana 2024
- कांग्रेस की हार हरियाणा 2024
- भाजपा की ऐतिहासिक जीत
- भाजपा चुनावी रणनीति 2024
- भाजपा बनाम कांग्रेस 2024
- मोदी रैलियां हरियाणा 2024
- हरियाणा 2024 में भाजपा की जीत
- हरियाणा चुनाव परिणाम 2024
- हरियाणा में भाजपा की जीत 2024
- हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024