भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) हरियाणा में लगातार तीसरी बार सत्ता की ओर अग्रसर है, जिससे पार्टी को आगामी विधानसभा चुनावों से पहले बड़ा संबल मिला है। यह जीत न केवल राज्य में बीजेपी की मजबूत स्थिति का प्रतीक है, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में पार्टी की प्रमुखता को भी बनाए रखेगी। लोकसभा चुनावों में बहुमत से चूकने के बाद, बीजेपी की इस जीत से उसे महत्वपूर्ण राजनीतिक बढ़ावा मिलेगा।
इस चुनाव में बीजेपी ने हरियाणा में प्रमुख प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस को पीछे छोड़ते हुए अपनी पकड़ मजबूत की है। कांग्रेस की जाट वोटों पर ज्यादा ध्यान देने की रणनीति उलटी साबित हुई, क्योंकि इससे अन्य समुदाय बीजेपी की ओर खिंच गए। खासकर दलित वोट, जिसे कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में अपने पक्ष में किया था, पूरी तरह से बीजेपी के पास से नहीं खिसका।
बीजेपी ने भारी एंटी-इनकंबेंसी के बावजूद एक संतुलित अभियान चलाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 की तुलना में कम रैलियां कीं, परन्तु स्थानीय नेताओं को अहमियत दी गई। बीजेपी ने किसान आंदोलन, पहलवानों के आक्रोश, और अग्निवीर योजना जैसे मुद्दों के बावजूद राज्य में अपने मतदाताओं को एकजुट रखा। खासकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के छह महीने के छोटे कार्यकाल का फायदा उठाते हुए, पार्टी ने सत्ता विरोधी लहर से बचने में सफलता पाई।
बीजेपी के अभियान की एक प्रमुख खासियत थी, “बिना पर्ची, बिना खर्ची नौकरी” का वादा, जो कांग्रेस के शासनकाल में नौकरियों में सिफारिश और घूस के आरोपों के विपरीत था। पार्टी ने अपने कार्यों को रोजगार, सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों के विकास पर केंद्रित किया, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए क्रीमी लेयर की वार्षिक आय सीमा 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये करने का उल्लेखनीय फैसला शामिल था।
जम्मू और कश्मीर में बीजेपी की स्थिति:
जम्मू और कश्मीर में भी, भले ही बीजेपी सरकार नहीं बना रही है, लेकिन वहां भी पार्टी ने अपने गढ़ों को मजबूत किया है। कांग्रेस के खिलाफ अपने अभियान को मजबूत करते हुए, बीजेपी ने कश्मीर घाटी के बाहर के क्षेत्रों में अपनी स्थिति को बनाए रखा है। यह न केवल जम्मू-कश्मीर में बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी बीजेपी की बढ़त को दिखाता है।
राष्ट्रीय राजनीति पर असर:
हरियाणा में बीजेपी की जीत दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे अन्य चुनावी राज्यों में भी पार्टी के लिए मनोबल बढ़ाने का काम करेगी। दिल्ली में, जहां पार्टी पिछले 25 वर्षों से जीतने में नाकाम रही है, वहां भी इस जीत का असर देखने को मिल सकता है। इसके अलावा, महाराष्ट्र में सहयोगी दलों के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर चल रहे मतभेदों में बीजेपी की यह जीत उसकी स्थिति को मजबूत करेगी।
बीजेपी की हरियाणा में यह जीत न केवल राज्य की राजनीति में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगी। यह जीत कांग्रेस की उम्मीदों को झटका देगी, क्योंकि कांग्रेस को उम्मीद थी कि वह इस बार जाट और अन्य प्रमुख समुदायों के सहारे बीजेपी को हराने में सफल होगी। लेकिन बीजेपी ने अपने संगठनात्मक ढांचे और चुनावी रणनीतियों से कांग्रेस के इस मंसूबे को नाकाम कर दिया।
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