मध्य प्रदेश के उज्जैन में जीएसटी विभाग के इतिहास में पहली बार दो महिला अफसरों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया है। लोकायुक्त ने गुरुवार को जीएसटी विभाग के ऑफिस में ट्रैप लगाकर इन दोनों अधिकारियों को गिरफ्तार किया। ये अधिकारी एक रोड कांट्रेक्टर से जीएसटी रजिस्ट्रेशन के बदले 3,500 रुपये की घूस मांग रही थीं।
कौन हैं पकड़ी गईं अधिकारी?
गिरफ्तार किए गए अधिकारियों में एक इंस्पेक्टर विजया भिलाला और दूसरी सहायक ग्रेड-3 किरण जोशी हैं। दोनों जीएसटी विभाग के भरतपुर क्षेत्र स्थित कार्यालय में कार्यरत हैं। लोकायुक्त डीएसपी राजेश पाठक की टीम ने गुरुवार दोपहर दोनों को उनके कार्यालय में रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। इस घटना के बाद जीएसटी विभाग में हड़कंप मच गया है।
क्या था मामला?
इंदौर रोड स्थित महावीर बाग कॉलोनी के निवासी और रोड कांट्रेक्टर दीपसिंह बुनकर ने अपनी ‘श्री राधा कांट्रेक्टर’ फर्म के नाम से उज्जैन-बदनावर रोड पर एक सीमेंट गिट्टी के काम के लिए जीएसटी नंबर के लिए आवेदन किया था। बुनकर ने 23 अगस्त को जीएसटी नंबर के लिए ऑनलाइन आवेदन किया, लेकिन इंस्पेक्टर विजया भिलाला और सहायक किरण जोशी ने जीएसटी रजिस्ट्रेशन के बदले 6,000 रुपये की घूस मांगी।
दीपसिंह ने जब इतनी बड़ी रकम देने में असमर्थता जताई तो दोनों अधिकारी 3,500 रुपये पर सहमत हो गईं। रिश्वत की मांग और बातचीत की रिकॉर्डिंग करने के बाद बुनकर ने यह सबूत लोकायुक्त के पास जमा कराए।
ट्रैप और गिरफ्तारी
गुरुवार को पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार बुनकर घूस की राशि लेकर जीएसटी कार्यालय पहुंचे। वहां, विजया भिलाला और किरण जोशी ने रिश्वत की रकम अपनी दराज में रखते ही लोकायुक्त की टीम ने उन्हें धर दबोचा। महिला अधिकारियों की गिरफ्तारी लोकायुक्त की महिला अफसर सुनीता चौधरी, रेखा राजपूत, अंजलि पुरानिया और दो आरक्षकों ने मिलकर की।
डीएसपी राजेश पाठक ने बताया कि बुनकर की शिकायत पर योजनाबद्ध तरीके से ट्रैप की कार्रवाई की गई। उन्होंने यह भी कहा कि मामले में आगे की जांच की जाएगी और यदि अन्य लोग भी इसमें शामिल पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जीएसटी विभाग में पहली बार लोकायुक्त की कार्रवाई
उज्जैन में जीएसटी विभाग के इतिहास में यह पहली बार है जब लोकायुक्त ने रिश्वतखोरी के मामले में किसी अधिकारी को रंगे हाथ पकड़ा है। इस घटना से जीएसटी विभाग में हड़कंप मच गया है। इससे पहले भी विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन जीएसटी विभाग की यह पहली बड़ी कार्रवाई है।
क्या कहता है कानून?
घूसखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों में भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत सख्त सजा का प्रावधान है। ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर जेल की सजा के साथ-साथ आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है।
लोकायुक्त की इस कार्रवाई ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि भ्रष्टाचार और घूसखोरी के खिलाफ आम नागरिक भी आवाज उठा सकते हैं। दीपसिंह बुनकर जैसे लोगों की जागरूकता और हिम्मत से ही ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर लगाम लगाई जा सकती है। यदि आप भी किसी अधिकारी की रिश्वतखोरी का शिकार बनते हैं, तो तुरंत लोकायुक्त या संबंधित विभाग में शिकायत दर्ज कराएं।
उज्जैन में जीएसटी विभाग के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी लोकायुक्त द्वारा रिश्वतखोरी के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में लोकायुक्त द्वारा पकड़े गए रिश्वतखोरी के मामलों में वृद्धि हुई है।