अहिल्या पंथ योजना निरस्त करने की मांग पर किसानों का विरोध प्रदर्शन: हजारों किसानों ने सुपर कॉरिडोर पर जताया विरोध


इंदौर में किसानों ने अहिल्या पंथ योजना के विरोध में तीन घंटे तक सुपर कॉरिडोर पर प्रदर्शन किया। उनका आरोप है कि 25 साल पहले अधिग्रहित जमीनों का सही उपयोग नहीं हुआ और अब नई योजनाओं के तहत उनकी जमीनें छीनी जा रही हैं। किसान नेताओं ने मांग की है कि योजना को रद्द किया जाए और पुरानी जमीनें उन्हें वापस दी जाएं। विरोध प्रदर्शन में विभिन्न गांवों के किसान और मातृशक्ति शामिल हुए।


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उनकी बात Published On :

इंदौर के बड़ा बांगडदा स्थित सुपर कॉरिडोर पर हजारों किसानों ने अहिल्या पंथ योजना के विरोध में तीन घंटे तक जबरदस्त प्रदर्शन किया। किसानों का कहना है कि 25 साल पहले भी उनकी जमीनें अधिग्रहित की गई थीं, जिनका आज तक सही उपयोग नहीं हुआ। अब नई योजनाओं के जरिए उनकी बची हुई जमीनें भी छीनी जा रही हैं, जिससे किसानों में गहरा आक्रोश है। प्रदर्शन में न केवल पुरुष, बल्कि महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल हुई, जिनके घर और जमीनें इस योजना से प्रभावित हो रही हैं।

 

किसानों की नाराजगी:

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे इस आंदोलन के किसान नेता हंसराज मंडलोई ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ‘अहिल्या पंथ योजना संघर्ष समिति’ के बैनर तले ग्राम भंवरासाला, रेवती, बरदरी, लिंबोदा, गारी, पालाखेड़ी, बड़ा बांगड़दा, जंबूडी हप्सी, नैनोद, रिंजलाई, बुडानिया समेत कई गांवों के किसानों ने धरना दिया। बुजुर्ग किसानों ने कहा कि अंग्रेजों ने कभी उनकी जमीनों पर नजर नहीं डाली, लेकिन प्रदेश सरकार और विकास प्राधिकरण लगातार नई-नई योजनाएं लाकर उनकी जमीनें छीनने पर आमादा हैं।

 

पुरानी योजनाओं से भी मुक्त कराने की मांग:

किसान नेताओं का कहना है कि 25 साल पहले विकास प्राधिकरण और हाउसिंग बोर्ड ने किसानों की जमीनें अधिग्रहित की थीं, लेकिन आज तक उन्हें ना तो उनका हक मिला और ना ही उनकी जमीनें वापस की गईं। किसानों ने मांग की है कि सरकार अहिल्या पंथ योजना को रद्द करे और पुरानी स्कीमों में अधिग्रहित जमीनों को भी किसानों के अधिकार में लौटाए।

बुजुर्ग किसानों का आक्रोश:

प्रदर्शन में शामिल बुजुर्ग किसानों ने कहा, “हमारे बाप-दादाओं की जमीनें लगातार छीनी जा रही हैं। इससे बर्बादी की कगार पर खड़े हैं। मुगलों और अंग्रेजों ने भी इतना जुल्म नहीं किया, जितना यह विकास प्राधिकरण कर रहा है।” किसानों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि उनकी जमीनों पर नई योजनाएं लाने की कोशिश भी न की जाए।

 

विभिन्न परियोजनाओं का विरोध:

इस विरोध प्रदर्शन में न सिर्फ अहिल्या पंथ योजना, बल्कि इंदौर-बुधनी रेलवे लाइन, आउटर रिंग रोड, इंदौर-पीथमपुर लॉजिस्टिक्स पार्क और पीथमपुर कॉरिडोर से प्रभावित किसान भी शामिल थे। उन्होंने एक मत होकर कहा कि इंदौर प्रदेश की आर्थिक राजधानी होने के कारण भू-माफियाओं की नजर यहां की जमीनों पर लगी हुई है। किसानों ने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश सरकार भू-माफियाओं के दबाव में आकर उनकी जमीनों का अधिग्रहण कर रही है।

 

किसान नेताओं का समर्थन और ज्ञापन सौंपा:

वरिष्ठ एडवोकेट चावड़ा, सुनील सुनेर, रामेश्वर मंत्री, सरपंच शैलेंद्र पटेल और आउटर रिंग रोड के किसान नेता कृष्णकांत पटेल ने आंदोलन में हिस्सा लिया और किसानों के संघर्ष को मजबूती दी। उन्होंने अपने भाषणों में कहा कि विकास प्राधिकरण ने भू-माफियाओं के चक्कर में किसानों की जमीनें हड़पने की योजना बनाई है।

 

किसानों ने विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि अहिल्या पंथ योजना को तुरंत रद्द किया जाए और पुरानी योजनाओं में अधिग्रहित की गई जमीनों को किसानों को वापस किया जाए। किसानों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो वे आगे और बड़ा आंदोलन करने के लिए तैयार हैं।

 

इस प्रदर्शन में जिले के विभिन्न गांवों और आसपास के क्षेत्रों के हजारों किसान शामिल हुए, जिन्होंने एकमत होकर विरोध जताया। सभी ने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार और विकास प्राधिकरण को अब किसानों की आवाज अनसुनी नहीं करनी चाहिए। इसके साथ ही किसानों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी जमीनों पर किसी भी नई योजना का सपना देखा गया, तो वे इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।

 



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