बदनावर की नर्मदा सिंचाई परियोजना दो साल और पिछड़ी, श्रेय लेने में सब आगे


बदनावर की नर्मदा सिंचाई परियोजना 2026 तक पूरी होगी। 1587 करोड़ की इस परियोजना को लेकर राजनीतिक दलों में श्रेय लेने की होड़ शुरू हो गई है। लगभग 50 हजार हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई और 129 गाँवों में नर्मदा जल आपूर्ति की योजना है।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

बदनावर की बहुप्रतीक्षित नर्मदा सिंचाई परियोजना अब 30 जून 2026 तक पूरी होने की संभावना है। इस परियोजना की लागत 1587 करोड़ रुपये है, जिसका उद्देश्य नर्मदा के पानी को 129 गाँवों तक पहुँचाना है, जिससे लगभग 50,000 हेक्टेयर भूमि पर कृषि सिंचाई की जा सके। निर्माण कार्य तेलंगाना की ‘एस रिवरवोल्ट माइक्रो जेव्ही’ कंपनी द्वारा किया जा रहा है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने इस परियोजना की समय सीमा में देरी को देखते हुए अब इसे 2026 तक बढ़ा दिया है।

वर्तमान में परियोजना का केवल 26.36% कार्य ही पूरा हुआ है। पहले इसकी समय सीमा 16 फरवरी 2024 तय की गई थी, लेकिन कंपनी द्वारा धीमी प्रगति के कारण नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने इसे 3 सितंबर 2024 को बढ़ाकर 30 जून 2026 कर दिया। अधिकारियों का कहना है कि अब निर्माण एजेंसी ने मेनपावर और मशीनरी की व्यापक व्यवस्था की है, ताकि समय पर परियोजना पूरी की जा सके।

 

राजनीति और श्रेय की लड़ाई

इस परियोजना को लेकर राजनीति भी चरम पर है। भाजपा और कांग्रेस के बीच सोशल मीडिया पर इसे लेकर श्रेय लेने की होड़ मची हुई है। भाजपा का कहना है कि यह पूर्व उद्योग मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव की उपलब्धि है, जिन्होंने इस परियोजना में तेज़ी लाई। वहीं, कांग्रेस इसे पूर्व विधायक भंवरसिंह शेखावत की देन बताती है, जिन्होंने 2016 में इस परियोजना का भूमि पूजन करवाया था। कांग्रेस का यह भी कहना है कि 2018 से 2023 तक इस परियोजना पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया और केवल 5% काम ही हुआ।

 

अधूरे रह गए गाँवों की समस्या

परियोजना का एक उद्देश्य नर्मदा के पानी को 129 गाँवों तक पहुँचाना है, लेकिन अनारद, खरौद, और सादलपुर मंडल के कई गाँव अब भी इस परियोजना से छूट गए हैं। ग्रामीणों में इसको लेकर नाराजगी है। अनारद के रतनलाल यादव ने बताया कि 2-3 दर्जन गाँव इस योजना में शामिल नहीं हो सके। उन्हें आशंका है कि कब नई डीपीआर बनेगी और कब उन्हें नर्मदा का पानी मिलेगा, इसकी कोई निश्चितता नहीं है।

 

क्या है आगे की योजना?

पूर्व मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री से बात की थी और परियोजना में कुछ और गाँवों को जोड़ने का अनुरोध किया है। साथ ही, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने भी अब इस पर काम तेज़ करने का निर्देश दिया है। दत्तीगांव ने कहा कि परियोजना पूरी होने से क्षेत्र की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल जाएंगी।

हालांकि, कुछ दिन पहले केंद्र सरकार की एक अधिसूचना में कहा गया था कि नर्मदा के पानी को लेकर कुछ नए प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, जिससे नर्मदा परियोजनाओं के लिए नई चुनौतियाँ पैदा हो सकती हैं। इसके अलावा, नए सिंचाई परियोजनाओं के लिए टेंडर पर भी रोक लगाई जा सकती है।

 

ग्रामीणों की अपेक्षाएँ और चिंता

जहाँ एक ओर राजनीतिक दल इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं ग्रामीणों की चिंता बढ़ती जा रही है। इस परियोजना की देरी और अनिश्चितता ने क्षेत्र में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीण आत्माराम चौधरी कहते हैं, “अभी तो नर्मदा का पानी आया भी नहीं और राजनीति पहले ही शुरू हो गई है।”

नर्मदा माइक्रो उद्वहन परियोजना का समय पर पूरा होना न केवल किसानों की समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि क्षेत्र की आर्थिक स्थिति को भी मजबूती देगा। अब देखना यह है कि 2026 की नई समयसीमा में यह कार्य पूरा हो पाता है या नहीं।



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