सुप्रीम कोर्ट में आज मध्य प्रदेश के मंत्री और भाजपा विधायक गोविंद सिंह राजपूत से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई हो रही है। इस मामले में आरोप है कि मंत्री और उनके सहयोगियों ने एक ओबीसी व्यक्ति का कथित रूप से अपहरण कर अवैध अपनी कैद में रखा। यह मामला तब सामने आया जब ओबीसी महासभा ने एक याचिका दायर कर ‘हैबियस कॉर्पस’ की मांग की, ताकि मन सिंह पटेल नामक उस व्यक्ति को अदालत में पेश किया जा सके जो राजपूत के कब्जे में बताया जाता है।
इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुयान शामिल थे, ने 6 अगस्त को मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) को निर्देश दिया कि वह एक नई विशेष जांच टीम (SIT) का गठन करें। इस टीम में पुलिस विभाग के उच्च पदाधिकारी, जिनमें इंस्पेक्टर जनरल, सीनियर सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे, को रखा जाएगा। ध्यान रखा जाएगा कि इन अधिकारियों का स्थानीय क्षेत्रों से कोई संबंध न हो, ताकि जांच निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से की जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि अभी तक गोविंद सिंह राजपूत और अन्य निजी प्रतिवादियों को नोटिस जारी नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा कि इस आदेश का उद्देश्य उन पर किसी भी तरह का पूर्वाग्रह पैदा करना नहीं है।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस मामले से संबंधित सभी गायब व्यक्तियों की रिपोर्ट तुरंत एफआईआर के रूप में दर्ज की जाए और प्रारंभिक जांच अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ की जाए। अदालत ने यह भी कहा कि SIT शिकायतकर्ता सीता राम पटेल के बयानों को अंतिम सत्य के रूप में न माने, क्योंकि उनके बयान असंगत पाए गए हैं। हालांकि, अदालत ने इस पर कोई विस्तृत टिप्पणी नहीं की। जांच में ओबीसी महासभा और अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों को शामिल करने का निर्देश दिया गया है और उनकी बयानबाजी की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाएगी। इस मामले की जांच चार महीने के भीतर पूरी की जानी है।
मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश का स्वागत किया और एक बयान में कहा, “सुप्रीम कोर्ट के फैसले में मेरे खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की गई है, न ही कोई नोटिस जारी किया गया है। मैं उन लोगों को संबोधित करना चाहता हूँ जो मेरे बारे में गलत सूचना फैला रहे हैं। मैं SIT के गठन का स्वागत करता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि सच्चाई सामने आएगी”।
इस मामले ने मध्य प्रदेश की राजनीति में खलबली मचा दी है। विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने सरकार पर सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा SIT की निगरानी में जांच कराए जाने के फैसले को निष्पक्षता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस घटनाक्रम ने राज्य में ओबीसी समुदाय के बीच असंतोष को भी उजागर किया है।