सालों तक पिता और ताऊ ने किया नाबालिग बेटियों का शोषण, समाज खुद से पूछ रहा बेटियों की सुरक्षा और अधिकारों पर तीखे सवाल


सिमरोल में एक पिता अपनी नाबालिग बेटियों से काफी समय से दुष्कर्म कर रहा था। यह मामला सामने आने के बाद यहां के लोगों में एक किस्म की बेचैनी दिखाई दी। लोग जैसे खुद से ही पूछ रहे हैं कि बेटियों को क्या अलग मान लिया गया है और क्या उन्हें सम्मान और आज़ादी से जीने का अधिकार भी नहीं है।


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इन्दौर Updated On :

प्रदेश में महिलाओं के साथ होने वाले यौन अपराधों को लेकर लगातार परेशान करने वाली खबरें आ रही हैं।  इंदौर के महू में पिछले दिनों एक महिला के साथ सामुहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया था तो अब इसी तहसील के सिमरोल से एक और घटना सामने आई है, घटना जो समाज को उसके गिरते स्तर के प्रति सचेत करती है। यहां सिमरोल क्षेत्र में एक व्यक्ति ने अपनी ही नाबालिग बेटियों का लंबे समय से यौन शोषण किया। इस अपराध में पिता का बड़ा भाई भी शामिल था।

मामला तब सामने आया जब बच्चियों ने एक रोज इस बात का विरोध किया और फिर घर से भाग निकलीं और एक समाज सेविका की मदद से महिला बाल विकास विभाग में अपनी शिकायत दर्ज कराई। विभाग ने तुरंत पुलिस को सूचित किया, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी पिता और उसके भाई (ताऊ) को गिरफ्तार कर लिया है।

2015 से घर में अकेली हैं बेटियां

सिमरोल थाना प्रभारी अमित कुमार ने बताया कि बच्चियों की मां का निधन 2015 में हो गया था, जिसके बाद से ही उनके पिता ने उनका शोषण करना शुरू कर दिया था। 12 सितंबर की रात को भी आरोपी ने बेटियों के साथ इसी तरह की हरकत की, जिसके बाद बच्चियों ने घर से भागकर एक समाज सेविका से मदद मांगी।

इस बारे में समाज सेविका माया देवी ने बच्चियों की मदद की उन्होंने बताया कि जब “बच्चियां उनके पास आईँ तो उनकी हालत देखकर मुझे शक हुआ, और जब उनसे बात की, तो उन्होंने अपनी आपबीती सुनाई। इसके बाद मैंने तुरंत उन्हें महिला बाल विकास विभाग के पास भेजा, ताकि कानूनी कार्रवाई की जा सके। मायादेवी के मुताबिक वे खुद भी इस मामले को सुनकर अचरज में थीं और महसूस कर रहीं थीं कि इन बच्चियों की गरिमा का ख्याल इनके पिता ने ही नहीं किया। मायादेवी कहती हैं कि वे सोचती रहीं कि हम कैसा समाज बना रहे हैं। ”

आरोपी गिरफ्तार

बच्चियों की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया है। थाना प्रभारी ने बताया कि बच्चियों की शिकायत की पुष्टि होने के बाद आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और सभी आवश्यक कानूनी कदम उठा रही है।

जिला महिला बाल विकास अधिकारी रामनिवास बुधोलिया ने बताया कि बच्चियों को तुरंत एक सुरक्षित आश्रय में भेजा गया है और उनकी काउंसलिंग की जा रही है। उन्होंने कहा, “बच्चियों की मानसिक और शारीरिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उनकी पूरी देखभाल की जा रही है और मामले की निगरानी बाल कल्याण समिति द्वारा की जा रही है।”

कानूनी कार्रवाई

आरोपी पिता और ताऊ को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है, और पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है। बाल कल्याण समिति और जिला प्रशासन बच्चियों के पुनर्वास के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहे हैं। विपक्ष ने इस घटना को लेकर सरकार की आलोचना की है। कांग्रेस नेता राधिका शर्मा ने कहा, “यह घटना सरकार की विफलता को उजागर करती है। राज्य में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर कठोर कदम उठाने की जरूरत है।”

 

समाज के समाज पर सवाल

यह घटना समाज में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। स्थानीय नागरिक राजेश शर्मा कहते हैं कि उन्हें अंदाज़ा नहीं था कि यह सब हो रहा है, शर्मा के मुताबिक वे अब स्तब्ध हैं और सोच रहे हैं कि क्या लड़की होना भी आजादी और इज्जत से जीवन जीने में कोई बाधा हो सकता है।

सिमरोल के एक अन्य रहवासी राकेश वर्मा ने कहा, “यह घटना हमें झकझोर कर रख देती है और यह बताती है कि हमें समाज में इन मुद्दों पर और अधिक जागरूक और सक्रिय होना चाहिए।” सिमरोल के रहने वाले कुछ अन्य लोगों ने बताया कि वे इस बारे में सोचकर ही घबरा रहे हैं कि कैसे बच्चे अपने परिवारों में असुरक्षित हैं। लोगों ने कहा कि मां के गुजर जाने के बाद बेटियां अकेली रह गईं। उनकी परवरिश की जिम्मेदारी पिता पर थी, लेकिन जब पिता ही इस तरह का अपराध करे, तो इन बच्चियों की अपनी जिंदगी जीने की आजादी खतरे में पड़ जाती है। भविष्य में वे सम्मान से जीने की कल्पना भी मुश्किल से कर पाएंगी।

लोगों ने कहा कि इस तरह की घटनाएं समाज में लड़कियों की स्थिति और उनके प्रति बरते जाने वाले भेदभाव को उजागर करती हैं। इन बच्चियों की गरिमा और उनके स्वतंत्र जीवन जीने के अधिकार को गंभीर ठेस पहुंचाई गई है।

 



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