अधूरे वादे, टूटती उम्मीदें: अतिथि शिक्षक की नई लड़ाई शुरू


मध्य प्रदेश के अतिथि शिक्षक एक बार फिर सरकार से किए गए वादों के अधूरे रहने पर नाराज हैं। एक साल पहले की गई घोषणाओं के पूरा न होने से असंतुष्ट शिक्षकों ने आंदोलन का रास्ता अपनाया है।


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उनकी बात Published On :

मध्य प्रदेश में अतिथि शिक्षकों की समस्याओं और उनके नियमितीकरण की मांगों को लेकर एक बार फिर आंदोलन की स्थिति उत्पन्न हो रही है। पिछले साल 2 सितंबर 2023 को भोपाल में आयोजित अतिथि शिक्षक महापंचायत में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की थीं, जिनमें मानदेय वृद्धि और नियमितीकरण के आश्वासन शामिल थे। हालाँकि, अब तक केवल मानदेय वृद्धि पर ही कार्रवाई हुई है, जबकि अन्य वादों पर सरकार और शिक्षा विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

 

अतिथि शिक्षकों ने बताया कि हजारों अतिथि शिक्षकों को अब तक कोई लाभ नहीं मिल पाया है। वर्तमान में प्रमोशन और अति‍शेष के नाम पर कई अतिथि शिक्षकों को बेरोजगार कर दिया गया है। साथ ही ऑनलाइन ज्वाइनिंग के दौरान पोर्टल में भी कई विसंगतियाँ देखने को मिल रही हैं, जिसके चलते कई शिक्षक सेवा से बाहर हो गए हैं। 15-16 साल की अल्प मानदेय सेवा के बाद अब उनके सामने परिवार के भरण-पोषण का संकट उत्पन्न हो गया है। इससे निराश होकर कुछ शिक्षकों ने अपनी जान भी गँवा दी है। ऐसी स्थिति में अतिथि शिक्षक फिर से आंदोलन की राह पर जाने को मजबूर हैं।

 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल ने सोशल मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री मोहन यादव को उनके 6 साल पुराने पत्र की याद दिलाई है। इस पत्र में, जो उन्होंने विधायक रहते हुए लिखा था, उन्होंने अतिथि शिक्षकों की समस्याओं को हल करने की मांग की थी। अब, जब वे स्वयं मुख्यमंत्री हैं, तो इन मांगों का निराकरण न होना खेदजनक है। अजय सिंह ने यह भी याद दिलाया कि पूर्व में मुख्यमंत्री रहते मोहन यादव ने लल्लनटॉप को दिए एक इंटरव्यू में अतिथि शिक्षकों की समस्याओं को हल करने का वादा किया था, लेकिन अभी तक जमीन पर कुछ नहीं हुआ है।

 

शिवराज सिंह चौहान द्वारा 2 सितंबर 2023 को भोपाल में की गई घोषणाओं में अतिथि शिक्षकों के लिए मानदेय में वृद्धि, एक साल का अनुबंध, शिक्षक भर्ती में 50% आरक्षण, और नियमितीकरण की दिशा में योजना बनाने की बात शामिल थी। हालाँकि, मानदेय वृद्धि के अलावा अन्य घोषणाओं पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे अतिथि शिक्षक खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

 

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी इस मुद्दे पर अतिथि शिक्षकों का समर्थन किया है और मुख्यमंत्री मोहन यादव को उनके पत्र की याद दिलाई है। उन्होंने कहा कि जब मोहन यादव विधायक थे, तब वे अतिथि शिक्षकों के पक्ष में मुख्यमंत्री को पत्र लिखते थे, अब जब वे स्वयं मुख्यमंत्री हैं, तो उन्हें अतिथि शिक्षकों के अनुभव और योग्यता के आधार पर नियमित करने की कृपा करनी चाहिए।

 

मध्य प्रदेश में अतिथि शिक्षकों की नाराजगी अब धीरे-धीरे बढ़ रही है। एक साल पहले की गई घोषणाओं के अब तक पूरा न होने से नाराज अतिथि शिक्षक 5 सितंबर को भोपाल में तिरंगा यात्रा निकालने की योजना बना रहे हैं। इसके अलावा, वे राजधानी में रैलियां भी निकाल रहे हैं, जिसमें करीब 70 हजार अतिथि शिक्षकों के शामिल होने की संभावना है।

 

अतिथि शिक्षकों की इस लड़ाई में सरकार के सामने चुनौती यह है कि वे अपने वादों को कैसे पूरा करते हैं। अगर जल्द ही समाधान नहीं निकला, तो यह मामला राजनीतिक रूप से और अधिक संवेदनशील हो सकता है, खासकर आगामी चुनावों के मद्देनजर।



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