धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में ग्रीन बेल्ट और चरनोई की जमीन पर निजी कंपनियों द्वारा कब्जा किए जाने का मामला सामने आया है। सरकार जहां एक ओर पर्यावरण संरक्षण और पौधारोपण के लिए अभियान चला रही है, वहीं दूसरी ओर जिम्मेदार अधिकारियों और स्थानीय नेताओं की लापरवाही से करोड़ों की जमीन पर निजी कंपनियों के भारी वाहनों और मिक्सर प्लांट ने कब्जा जमा लिया है।
ग्रीन बेल्ट पर कब्जा: पर्यावरण संरक्षण की अनदेखी
पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के सेक्टर तीन में, अवंतिका गैस फिलिंग सेंटर के पास एक दवाई फैक्ट्री के सामने ग्रीन बेल्ट की भूमि छोड़ी गई थी। इस जमीन पर हर साल पौधारोपण के नाम पर बड़ी धनराशि खर्च की जाती है, लेकिन हकीकत में यहां पेड़-पौधे नष्ट हो चुके हैं। इस जमीन पर वीआरएस नामक सड़क निर्माण कंपनी ने लंबे समय से अपने भारी वाहनों और मिक्सर प्लांट का कब्जा जमा रखा है। यह वही कंपनी है जो एमपीआईडीसी के लिए औद्योगिक क्षेत्र में सड़क और अन्य निर्माण कार्य करती है।
मूलभूत सुविधाओं की कमी और सरकारी उदासीनता
औद्योगिक क्षेत्र में जहां सरकार को सड़कों, बिजली, पानी, और गार्डन जैसी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करनी चाहिए, वहीं ग्रीन बेल्ट और चरनोई की भूमि पर कब्जा करके पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। स्थानीय प्रशासन और एमपीआईडीसी के अधिकारियों की सहमति से इन कंपनियों को ग्रीन बेल्ट की जमीन का किराया लेकर सुपुर्द कर दिया गया है। अधिकारियों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है, और उनकी उदासीनता से यह कब्जा कई वर्षों से जारी है।
कलेक्टर और एमपीआईडीसी की प्रतिक्रिया
इस गंभीर मामले पर कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने कहा कि वे जल्द ही इस भूमि के अतिक्रमण की जांच करेंगे और उचित कार्रवाई करेंगे। एमपीआईडीसी धार की प्रबंधक सपना जैन ने भी जानकारी मिलने पर कहा कि इस मामले की जांच कर, ज़मीन खाली करवाई जाएगी।
सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण के नाम पर चलाए जा रहे अभियानों के बावजूद, पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में ग्रीन बेल्ट और चरनोई की भूमि पर कब्जा कर निजी कंपनियों द्वारा पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इस स्थिति से निपटने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की सक्रियता और जिम्मेदारी तय करने की आवश्यकता है, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हो और पर्यावरण संरक्षित रह सके।