केंद्रीय पुरातत्व विभाग (ASI) के सर्वे का काम भोजशाला परिसर में अभी भी जारी है। हालही में भोजशाला और कमाल मौलाना परिसर में वैज्ञानिक पध्दति से सर्वेक्षण हुआ है। कोर्ट के निर्देश अनुसार यहां पर मिट्टी हटाने का काम बंद किया जा चुका है किंतु अभी टीम के सदस्य प्रतिदिन सर्वे में मिले अवशेषों का दस्तावेजीकरण सहित अन्य काम में जुटे हैं।
मंगलवार को एएसआई के अधिकारी 103वें दिन भोजशाला पहुंचे। कोर्ट के आदेश के मुताबिक इस दिन हिंदू समाज के लोगों को पूजा का अधिकार है इसलिए यहां पूजा जारी रही। वहीं हालही में जैन समाज ने भी भोजशाला को लेकर अपना दावा किया है। इसी के चलते स्थानीय समग्र जैन समाज के लोग भी यहां पहुंचे लेकिन उन्होंने इंदौर में विश्व जैन संघटन द्वारा लगाई गई याचिका का विरोध किया है।
समाज के अध्यक्ष वीरेंद्र जैन, अशोक जैन ने बताया कि धार की समग्र जैन समाज को इसकी कोई जानकारी नहीं है, जिस व्यक्ति ने याचिका लगाई है, वो यहां का नहीं है और उससे हमारा कोई लेनादेना नहीं हैं।
सम्पूर्ण समाज भोजशाला में हिंदू समाज के आंदोलन के साथ हैं। हाई कोर्ट इंदौर खंडपीठ में लगाई गई याचिका का विरोध किया है।
दरअसल विश्व जैन संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सलेक चंद्र जैन ने अपने अधिवक्ता पी.के. शुक्ला ओर आशुतोष शुक्ला के माध्यम से है कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की हैं। याचिका में बताया है की जैन तीर्थंकर, देवी देवताओं की कई मूर्तियां व शिलालेख मिले हैं, जो बताता है कि भोजशाला में जैन गुरुकुल था।
सुंदरकांड का हुआ आयोजन
भोजशाला के गौरव की पुनर्स्थापना को लेकर भोज उत्सव समिति द्वारा यहां पर प्रति मंगलवार सत्याग्रह किया जाता है। इस बार भी पूजा व अर्चना के लिए बडी संख्या में हिंदू समाज के लोग सुबह के समय पहुंचे, गर्भगृह में मां वाग्देवी सहित भगवान हनुमान का तेल चित्र रखकर पूजन किया गया।
इस दौरान सरस्वती वंदना सहित सुंदरकांड करते हुए आरती की गई व प्रसादी का वितरण भी किया गया। पूजा अर्चना के दौरान भी सर्वे रोका नहीं गया, टीम के सदस्य बाहरी क्षेत्र में अपना काम करते रहे। इधर मंगलवार होने के चलते अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात किया गया था।
रिपोर्ट पर फोकस
उच्च न्यायालय में हिंदू फॉर जस्टिस की याचिका पर 11 मार्च को वैज्ञानिक सर्वे के आदेश दिए थे। एएसआई की टीम के आला अधिकारियों द्वारा 22 मार्च से यहां पर सर्वे शुरु किया गया था, पहले कोर्ट ने 6 सप्ताह का समय दिया था, किंतु एएसआई की और से अतिरिक्त समय की मांग की गई। जिसमें 8 सप्ताह सर्वे के लिए और दिया गया था, पिछले करीब तीन माह से बगैर रुके एएसआई के अधिकारी व कर्मचारी नियमित रुप से यहां पर सर्वे कर रहे है। अवकाश के दिनों से लेकर बारिश के बावजूद अधिकारियों ने सुबह से लेकर शाम तक यहां पर काम किया है। धार में पहली मर्तबा सर्वे का काम इतने बडे स्तर पर चला है।
कोर्ट ने एएसआई की टीम को 2 जुलाई को सर्वे की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा था, साथ ही प्रकरण की अगली सुनवाई की तारीख 4 जुलाई नियत है। ऐसे में पिछले कुछ दिनों से अधिकारियों का पूरा फोकस दस्तावेजीकरण सहित रिपोर्ट बनाने की और रहा है। मिट्टी हटाने के दौरान यहां पर छोटे-बडे करीब 1700 अवशेष मिले हैं, जिन्हें संरक्षित एएसआई की टीम द्वारा किया गया था।
रिपोर्ट बनाने के लिए समय माँगा
एएसआई द्वारा धार की भोजशाला में सर्वे किया गया था, कोर्ट के निर्देश अनुरूप मिट्टी हटाने का काम अब बंद हो चुका है। अब टीम के सदस्य सिर्फ रिपोर्ट बनाने, फोटोग्राफी व अवशेषों की वीडियो ग्राफ़ी कर रहे हैं। इधर रिपोर्ट बनाने में एएसआई टीम को समय लग रहा हैं, क्योंकि 98 दिनों तक सर्वे चला हैं। जिसकी रिपोर्ट बनाना और हर एक बिंदु को स्पष्ट करने में समय लग रहा हैं। इसी कारण रिपोर्ट बनाने के लिए समय माँगा गया हैं। एएसआई की और से तीन से चार सप्ताह का समय देने के लिए एक आवेदन हाईकोर्ट में दायर किया हैं, इस आवेदन पर अब चार जुलाई को सुनवाई होगी। कोर्ट ही तय करेगा की रिपोर्ट के लिए कितना समय दिया जाए।