संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एनडीए सरकार द्वारा शिवराज सिंह चौहान को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय सौंपने के फैसले का कड़ा विरोध किया है। एसकेएम ने कहा कि यह निर्णय भाजपा की 2014 और 2019 की पूर्ण बहुमत वाली सरकारों की अहंकारी और असंवेदनशील नीतियों का प्रतीक है।
एसकेएम ने यह भी घोषणा की कि उसकी आम सभा की बैठक 10 जुलाई को दिल्ली में होगी, जिसमें पूरे भारत से घटक किसान संगठनों के नेता शामिल होंगे। एसकेएम ने बताया कि इस निर्णय से देश भर के किसानों और ग्रामीण जनता में गुस्सा फैल गया है।
उल्लेखनीय है कि जून 2017 में मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों पर पुलिस और सीआरपीएफ की गोलीबारी में छह किसानों की मौत हो गई थी।
एसकेएम ने शिवराज सिंह चौहान को मंदसौर में किसानों की हत्या के लिए जिम्मेदार माना है।
एसकेएम ने रद्द किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था और कहा कि एनडीए सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में कृषि संकट और किसानों की आत्महत्याओं के समाधान के लिए कोई ठोस निर्णय नहीं लिया।
पीएम किसान सम्मान निधि में ₹20,000 करोड़ जारी करने का प्रचार एक मौजूदा योजना का हिस्सा है, जिसमें प्रत्येक किसान परिवार को केवल ₹500 प्रति माह मिलता है, जो अपर्याप्त है।
शिवराज की आलोचना और केंद्र सरकार की नीतियों पर एसकेएम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली नवगठित सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में कृषि संकट और किसानों की आत्महत्याओं को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। साथ ही, लंबे समय से लंबित मांगें जैसे कि सी2+50% पर गारंटीकृत एमएसपी, व्यापक ऋण माफी, बिजली के निजीकरण को निरस्त करना, उत्पादन लागत में कमी और सुनिश्चित बीमा और पेंशन पर भी कोई निर्णय नहीं लिया गया।
एसकेएम का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को अक्टूबर 2021 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों के परिवारों से मुलाकात करेगा। संगठन ने कहा कि 10 जुलाई को दिल्ली में होने वाली आम सभा की बैठक में चुनाव के बाद की स्थिति का आकलन किया जाएगा और भविष्य की कार्ययोजना पर विचार किया जाएगा।
गौरतलब है कि 6 जून 2017 को मंदसौर में किसान आंदोलन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में छह किसानों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद राज्य सरकार ने तत्कालीन कलेक्टर, एसपी और सीएसपी को निलंबित कर दिया था।गोलीकांड की जांच के लिए सेवानिवृत्त जज जेके जैन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया था।
जेके जैन आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी, जिसमें अधिकारियों को सीधे दोषी न मानते हुए क्लीनचिट दी गई थी। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि परिस्थितियों के अनुसार गोली चलाना आवश्यक और न्यायसंगत था।