फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर ताउम्र की नौकरी, फर्जीवाड़े के आरोप में प्राचार्य की अग्रिम जमानत हुई खारिज


गढ़ेवाल पांच साल पहले ही रिटायर हो चुके हैं, गाडरवारा कोर्ट ने खारिज की जमानत की अर्जी


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Updated On :

व्याख्याता फिर उत्कृष्ट विद्यालय नरसिंहपुर में प्राचार्य बनाकर ताउम्र फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी की। मामले का खुलासा हुआ तो धारा 420 सहित कूटरचित दस्तावेज तैयार करने के मामले में अपराध दर्ज हुआ और अब 24 मई को रिटायर्ड प्राचार्य की अग्रिम जमानत खारिज हो गई है।

मामला उत्कृष्ट विद्यालय नरसिंहपुर में प्राचार्य के पद पर पदस्थ रहे जीडी गढ़ेवाल का है। गढ़ेवाल परआरोप है कि उनकी मूल जाति कोष्टी है जो पिछड़ा वर्ग में आती है लेकिन उन्होंने कूट रचित तरीके से जाति हलवा लिखकर अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल की और नौकरी की सारी सुविधाएं प्राप्त कीं।

इस तरह उन्होंने शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई। इस मामले में शासन की तरफ से एक उच्च स्तरीय छानबीन जांच समिति भी गठित की गई थी जिसमें आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव, आदिवासी विकास संस्थान भोपाल के आयुक्त, आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान भोपाल के संचालक तथा मध्य प्रदेश राज्य अनुसंधान अनुसूचित जनजाति आयोग के सचिव समेत अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि सदस्य सम्मिलित थे।

कुछ वर्ष पहले गढ़ेवाल को उनके स्कूल के परिणाम के लिए सम्मानित भी किया गया था। (नईदुनिया 8 अप्रैल 2021, नरसिंहपुर संस्करण)

इस समिति ने जांच में पाया कि जीडी गढ़ेवाल यानी घनश्याम दास गढ़ेवाल अनुसूचित जनजाति वर्ग के सदस्य नहीं हैं। उन्होंने फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर शासन से अवैध लाभ प्राप्त किया। इसी समिति की जांच रिपोर्ट के आधार पर गढ़ेवाल के खिलाफ भादवि की धारा 420 , 467, 468 एवं 471 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया।

इस मामले में बीते दिवस 24 मई को ही जीडी गढ़ेवाल की तरफ से प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश गाडरवारा की अदालत में जमानत अर्जी दायर की गई थी जिसे न्यायालय ने बिना टिप्पणी किए हुए खारिज कर दी कि यह मामला गंभीर है। रिटायर्ड प्राचार्य की तरफ से अधिवक्ता दिनेश वर्मा के द्वारा दलील दी गई कि पुलिस द्वारा गिरफ्तारी से रिटायर्ड प्राचार्य को शासकीय तौर पर और 66 वर्ष की उम्र होने पर मानसिक क्षति हो सकती है इसलिए उन्हें अग्रिम जमानत दी जाए लेकिन अपर लोक अभियोजक सर्वेश शर्मा ने आपत्ति दर्ज कराई कि यह गंभीर प्रकृति का मामला है हालांकि अंततः न्यायालय ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी ।