नरसिंहपुर जिले के सांईखेड़ा ब्लॉक के गांव ने एक बड़ी लकीर खींच दी है। इस गांव में प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लोकसुनवाई हुई और यहां की सरपंच ने अपने उपसरपंच और पंचों की के साथ मिलकर ये ऐलान कर दिया कि वे अपनी नदियों और प्राकृतिक संपदा को बचाएंगे। इस लोक सुनवाई में एक साथ निर्णय पारित करते हुए इस पंचायत ने कहा कि नदियों और प्रकृति का अंधाधुंध दोहन पाप है वह अपने ग्राम पंचायत क्षेत्र से रेत निकालने नहीं देंगे, इस निर्णय को सुनकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भी चौंक गए।
विकासखंड साईंखेड़ा के ग्राम मेहरागांव में मध्यप्रदेश स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड रेत खदान मेहरागांव में 22 मई को भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली के द्वारा गठित राज्य स्तरीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति भोपाल से पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए लोक सुनवाई का आयोजन मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जबलपुर के क्षेत्रीय कार्यालय के द्वारा किया गया था।
इस लोकसुनवाई में मेहरागांव की सभी महिला पंच, उपसरपंच और सरपंच मौजूद रहीं। बड़ी संख्या में मौजूद ग्रामीणों की उपस्थिति में बोर्ड व जिला प्रशासन के अधिकारी उस समय सकते में आ गए जब पंचायत ने एक साथ मिलकर यह प्रस्ताव पारित कर दिया कि नदियों और प्रकृति का अंधाधुंध दोहन पाप है और वह अब किसी भी हालत में अपने पंचायत क्षेत्र से रेत का उत्खनन नहीं होने देंगे।
मेहरागांव रेत खदान खसरा क्रमांक 380 में स्थित है, जहां करीब 20 हेक्टेयर अर्थात 50 एकड़ रकबे से 3 लाख 24000 घन मीटर सालाना रेत का उत्खनन प्रस्तावित है। पिछले कई वर्षों से यहां रेत का अंधाधुंध खनन हो रहा है। यह जिले की सबसे बड़ी उम्दा किस्म की बड़ी रेत खदान है। रेत के अंधाधुंध दोहन व परिवहन से ग्रामीण त्रस्त रहे हैं। गांव की सड़कें भारी वाहनों के कारण क्षतिग्रस्त हो गई लेकिन अब जब 22 मई 2024 बुधवार को मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय ने लोक सुनवाई का आयोजन किया और खनिज महकमें के एक युवा मैनेजर ने लोक सुनवाई के दौरान खनन के फायदे बताते हुए ग्रामीणों से कहा कि आप खनन का प्रस्ताव देंगे तो हम यहां सीएसआर के तहत 2 लाख रु सालाना पंचायत को अतिरिक्त आय के रूप में देंगे। स्वास्थ्य के लिए एक इमरजेंसी यूनिट रखेंगे। इतना कहते ही ग्रामीण यह कहने लगे कि आप हमसे ही दो के बदले चार लाख लीजिए लेकिन हम रेत खनन नहीं करने देंगे।
इसके बाद पूरे गांव ने एक साथ एक आवाज में निर्णय लेते हुए यह प्रस्ताव पारित कर दिया कि वह अपने ग्राम पंचायत क्षेत्र से किसी भी हालत में रेत का खनन नहीं होने देंगे। नदियों और प्रकृति का अंधाधुंध दोहन पाप है इसलिए वह अपने पंचायत क्षेत्र से रेत नहीं निकलने देंगे।
समूची ग्राम पंचायत के इस निर्णय से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व जिला प्रशासन के अधिकारी सकते में आ गए। पंचायत ने रेत खनन नहीं कराए जाने को लेकर एक ज्ञापन यहां जिला प्रशासन के प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित हुए डिप्टी कलेक्टर को भी सौंपा। पंचायत के इस निर्णय से मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी सहित जिला प्रशासन के अधिकारी भी सकते में है कि अब यह तकनीकी समस्या हो गई है कि पंचायत ने यह प्रस्ताव पारित कर दिया है कि वह अपने अधिकार क्षेत्र से रेत खनन नहीं होने देंगे।
ग्राम मेहरागांव ग्राम पंचायत की सरपंच माया विश्वकर्मा के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में रेत के बेजा खनन से गांव की सड़कें बदतर हो गई हैं कि लोगों का बरसात में इलाज के लिए भी शहर पहुंच पाना कठिन होता है। उप सरपंच रामेति बाई के अनुसार यहां हर साल आसपास से कई करोड़ रुपए की रेत का खनन हो चुका है लेकिन गांव की स्थिति बदहाल ही रही है।
निर्विरोध पूरी पंचायत में महिलाओं का प्रतिनिधित्वः मेहरागांव एक ऐसी निर्विरोध पंचायत है जिसमें सरपंच, उपसरपंच से लेकर सभी 10 महिलाएं पंच हैं। सरपंच माया देवी विश्वकर्मा, उपसरपंच रमेश रामेतीबाई राजपूत सहित 10 पंचों में कीर्ति बाई राजपूत, सरस्वती कहार, उमा देवी राजपूत, शकुन सोनी, इंदिरा राजपूत, मृदुलता राजपूत, अहिल्या राजपूत, पिंकी बाई और कलाबाई हैं। महिला सरपंच माया विश्वकर्मा पैड वूमेन के नाम से मध्य प्रदेश बल्कि देश में चर्चित हैं।
खनन के कारण होने वाले नुकसान गिनाए…
- जहां एक और खनिज विभाग के अधिकारी खनन के फायदे गांव के लोगों को बता रहे थे तो दूसरी तरफ महिलाएं प्रतिनिधि खड़ी हो गई और उन्होंने खनन के नुकसान बताए।
- खनन और ओवरलोड वाहन से गांव की सड़क खराब हो रही हैं।
- बताया कि अंधाधुंध दोहन से खनन स्थल पर कई फुट गहरी गड्डे कर दिए जाते हैं जिससे बरसात में जनधन की हानि होती है। पशुओं की मौत हो जाती है।
- अवैध परिवहन से चारों तरफ गांव में प्रदूषित वातावरण हो जाता है।
- हमेशा जानलेवा झगड़े होते हैं। माफियाओं में आपसी द्वंद्व का खामियाजा गांव के लोगों को भुगतना पड़ता है।
- खनन और वाहनों की धमाचौकड़ी से उड़ने वाली धूल मकान, पेड़ पौधों और लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालती है।