धार की ऐतिहासिक भोजशाला में हाईकोर्ट के आदेश पर भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण की टीम द्वार भोजशाला में वैज्ञानिक पद्धति से सर्वेक्षण चल रहा है। आज सर्वे का 39वां दिन है और आज का दिन इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आज ही इस सर्वे को लेकर हाईकोर्ट में पेशी होनी है। इस दौरान सर्वे टीम हाईकोर्ट के सामने अब तक हुई जांच का ब्यौरा भी देगी।
इसके अलावा सर्वे की अवधि को बढ़ाने के लिए भी हाईकोर्ट ने हामी भर दी है। सोमवार को इस मामले में सुनवाई हुई। एएसआई की टीम इसे आठ हफ्ते और यानी करीब दो महीने तक बढ़ाना चाहती है। इसके पीछे दलील दी जा रही है कि इससे सर्वे का दायरा बढ़ेगा और इस इमारत के इतिहास से जुड़ी ज्यादा जानकारी सामने आएगी। उम्मीद जताई जा रही है कि हाईकोर्ट इस अर्ज़ी को स्वीकार कर लेगा।
इससे पहले रविवार को सर्वे के 38वें दिन एएसआई की टीम के 20 अधिकारी 37 मजदूरों के साथ भोजशाला पहुंचे थे। जानकारी के मुताबिक अब तक सर्वे के दौरान कई प्राचीन अवशेष भी मिले है जिन्हें विभिन्न तकनीकों के माध्यम से जांच कर एसआई की टीम ने संरक्षित कर लिया है। वहीं दूसरे जो स्ट्रक्चर मिले हैं वहां से मिट्टी हटाने का काम अब भी जारी है।
इससे पहले सर्वे की जानकारी देते हुए टीम के साथ मौजूद रहे हिन्दू पक्ष से जुड़े भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा ने बताया कि पिछले दो दिनों से हैदराबाद से आए विशेषज्ञों ने भोजशाला और कमाल मौलाना दरगाह परिसर और 50 मीटर के दायरे में उपकरण से जीपीआर मशीन से जांच के लिए स्थान चिह्नित किया है। शर्मा ने बताया कि इस सप्ताह जीपीआर मशीन आने वाली है जो भोजशाला, कमाल मौलाना दरगाह परिसर और 50 मीटर के दायरे में कच्चे व पक्के स्थानों पर प्राचीन अवशेषों का पता लगाएगी। साथ ही कहा कि कल हाई कोर्ट इंदौर में सुनवाई होना है।
वहीं मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद के साफ किया कि सर्वे में उनका पूरा सहयोग है लेकिन जो कुछ नियमों और आदेशों के खिलाफ हो रहा है वे उससे सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने जो आदेश दिया था उसके खिलाफ जो चीजे की गई हैं उस पर उन्हें आपत्ति थी और उनके समाज द्वारा यह आपत्तियां एएसआई के सामने दर्ज कराई गई हैं। इसे लेकर भी 29 अप्रैल को होने वाली सुनवाई के दौरान उनके वकील कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे। मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि एएसआई सर्वे के समय को आगे बढ़ाने के लिए वे भी हाईकोर्ट से मांग कर रहे हैं क्योंकि अब तक जांच के दौरान जो गड्ढे खोदे गए है उन्हें भरा नहीं गया है। ऐसे में इमारत को नुकसान पहुंच सकता है।