भोजशाला में सर्वे का तेरहवां दिन: धार का किला भी बनेगा गवाह, हाईकोर्ट से और समय मांग सकती है ASI


एएसआई की टीम का फोकस भोजशाला से जुडी कडियों पर, टीम ने एक कुएं को भी किया चिन्‍हित, इसी कुएं के पास मिली है प्राचीन मूर्ति


आशीष यादव आशीष यादव
धार Updated On :

भोजशाला में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के द्वारा सर्वे किया जा रहा है। बुधवार को 13वें दिन भी सुबह टीम के सदस्‍य मजदूरों के साथ भोजशाला पहुंचे और करीब 9 घंटों तक परिसर में सर्वे किया। सर्वे में हिंदू और मुस्लिम पक्ष के लोग भी शामिल हुए। शाम पांच बजें सर्वे दल के सदस्‍य भोजशाला से बाहर आए। भोजशाला में टीम सर्वे के दौरान कई ऐसे शिलालेख भी उन्हें मिल रहे हैं जो किसी एक पक्ष के दावे को मजबूत करते हैं। यह टीम 13 दिनों से लगातार 8 से 10 घंटे तक सर्वे में लगी हुई है।

धार किला भी बनेगा भोजशाला के सर्वे का गवाह : भोजशाला के सर्वे में लगा केंद्रीय पुरातत्व संरक्षण के विशेषज्ञों का दल धार के प्राचीन किले भी पहुंचेगा। यहां भोजशाला से लाए गए शिलालेख को संग्रहालय में रखा गया है। इतिहास के जानकारों के अनुसार यह यह शिलालेख राजा भोज के काल के हैं और परमार कालीन प्रसिद्ध नृत्य नाटिका पारिजात मंजरी के एक भाग का कुछ अंश उस शिलालेख पर प्राकृत भाषा में लिखा हुआ है। वहीं धार किले में 1010 ईसवी पुराना ताम पत्र भी है जो  प्राकृत भाषा में है। वहीं नीचे की ओर एक चित्र भी महत्वपूर्ण है, जिसमें राजा का नाम और ईसवी लिखी हुई है। एएसआई का सर्वे दल यहां पहुंचकर पूरा अवशेषों का अध्ययन कर भोजशाला के प्रामाणिक इतिहास को सामने लाने का प्रयास करेगा।

भोजशाला से जुडी कडियों पर टीम का फोकस : भोजशाला में हाईकोर्ट के निर्देश पर किए जा रहे सर्वे में एएसआई की टीम कई अहम सबूत भी मिले हैं। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की सर्वे टीम का फोकस भोजशाला के साथ-साथ उससे जुड़ी कडियों पर भी है। सर्वे टीम ने भोजशाला के पिछले हिस्‍से में दो कुओं को भी चिन्‍हित किया है।

बताया जा रहा है कि इन कुओं के पास प्राचीन मूर्तियां रखी हुई हैं। यह मुर्तियां यहां कहां से आईं और कितने समय से यहां पर हैं, इसकी जानकारी निर्णायक हो सकती है। बुधवार को सर्वे टीम ने भोजशाला के पिछले हिस्‍से में खेत में बने दो कुएं में से एक कुएं को चिन्‍हि‍त किया है। इस कुएं के पास भी एक प्राचीन मूर्ति है। हालांकि सर्वे टीम की तरफ से इसमें किसी तरह की पुष्टि नहीं की गई है लेकिन सूत्रों की मानें तो टीम द्वारा इस कुएं को खाली भी कराया जा सकता है ताकि पता लगाया जाए कि कुएं में और कोई मूर्ति तो नहीं है।

नींव को लेकर भी खुदाई जारी: भोजशाला की नींव का पता लगाने के लिए भी चार स्‍थानों पर खुदाई की जा रही है। नींव की खुदाई में विगत दिनों टीम को गर्भगृह के प‍िछले हिस्‍से में सीढि़या मिली थी। जिसको लेकर भी यह कहा जा रहा है कि भोजशाला की इमारत के नीचे तहखाना या कोई गुप्‍त रास्‍ता हो सकता है। हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्‍टी नहीं की गई है। सर्वे टीम इन सभी बातों को जांच रिपोर्ट में शामिल किया है और एएसआई इन्हें हाईकोर्ट में पेश करेगी।

याचिककर्ता भी सर्वे में हुए शामिल :
बुधवार को हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की राष्ट्रीय अध्यक्ष और लखनऊ की एडवोकेट रंजना अग्निहोत्री और याच‍िकाकर्ता सुनील सारस्वत भी भोजशाला पहुंचे और सर्वे कार्य में शामिल हुए। उन्‍होंने मीडिया से चर्चा में बताया कि हाईकोर्ट के परिपालन में आदेश पर एएसआई टीम विध‍िवत सर्वे कर रही है। अग्निहोत्री ने आगे बताया कि ASI की जो वैज्ञानिक विधि है, उनकी स्लो प्रक्रिया होती है। सर्वे में एक्सकैवेशन प्रक्रिया, क्लीनिंग, ब्रशिंग, वाशिंग होती है।

उन्होने बताया कि एक्सकैवेशन (खुदाई) के दौरान छोटी छोटी खुरपी होती हैं, ताकि कोई भी परत डैमेज नहीं होने पाए, जो विषय वस्तु प्राप्त हो रही है उसको भी नुकसान नहीं होने पाए। निश्चित ही यह प्रक्रिया बहुत स्लो है और ASI को इसमें समय लग सकता है। सर्वे में अभी और समय भी लग सकता है जिसके लिए एएसआई कोर्ट में समय बढ़ाने की मांग के लिए एप्लीकेशन दे सकता है। भोजशाला प्रकरण में उच्च न्यायालय इंदौर खंडपीठ में याचिका को रंजना अग्निहोत्री, आशीष जनक, आशीष गोयल, सुनील सारस्वत और मोहित गर्ग ने ही दाखिल की थी।



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