धार में भोजशाला में सातवें दिन पुरातत्व विभाग का सर्वे शुरू हो चुका है। गुरूवार को भोजशाला के पिछले हिस्से में तीन स्थानों पर खुदाई चल रही है। दरअसल यह खुदाई भोजशाला की नींव का पता लगाने के लिए है। नींव से इस जगह के इतिहास को लेकर काफी कुछ जानकारी मिल सकती है। हालांकि गर्भ गृह के पीछे अब तक यहां करीब 9 फुट से अधिक की खुदाई हो चुकी थी लेकिन नींव का अंदाज़ा नहीं लगा था।
चुनाव के बीच सुर्ख़ियां बना रही धार शहर की भोजशाला में बुधवार को भी एएसआई का सर्वे जारी रहा। सर्वे के इस छठवें दिन भी एएसआई की टीम सुबह सवा आठ बजे ही मौके पर पहुंची। इस बार कुछ नए उपकरण भी टीम के पास थे। भोजशाला और कमाल मौला मस्जिद के बीच जारी इस विवाद का फैसला इसी सर्वे के आधार पर होना है। ऐसे में इस सर्वे को लेकर खासी सुगबुगाहट है।
भोजशाला परिसर में प्रवेश करने से पहले सभी मजदूरों की मेटल डिटेक्टर से जांच की गई। इसके बाद ही उन्हें अंदर प्रवेश दिया गया। फिलहाल, बुधवार को टीम द्वारा दिशा-निर्देशों के अनुसार सर्वेक्षण शुरु कर दिया गया है। सर्वे के लिए भोजशाला को तीन हिस्सों में बांटा गया और सर्वे की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए एएसआई की सर्वे टीम लगातार 6 दिनों से भोजशाला और बाहरी हिस्से में सर्वे कर जानकारी एकत्रित कर रही है।
सर्वे के लिए 50 मीटर के एरिया निर्धारित: हिंदू पक्ष की ओर से कोर्ट में याचिका दायर करने वाले आशीष गोयल ने बुधवार को मीडिया से चर्चा में उन्होंने कहा कि टीम वैज्ञानिक तकनीक के आधार पर ही अपने काम कर रही है। हम सर्वे से संतुष्ट हैं। सर्वे टीम ने उनके स्टैंडर्ड बना रखे हैं। कोर्ट ने आदेश में एक-एक चीज स्पष्ट कर दी है।
टीम ने सर्वे के लिए 50 मीटर के क्षेत्र को निर्धारित किया है। गोयल ने आगे बताया कि GPR तकनीक, उत्खनन आदि सभी तकनीक का उपयोग सर्वे के दौरान किया जा रहा है। इसके अलावा ग्राउंड लेवल की टीम को बहुत काम करने होते हैं। पिछले 5 दिनों में टीम ने खुदाई की, मैपिंग की, कई जगह के मेजरमेंट किए। सैंपलिंग के लिए कुछ मिट्टी भी ली गई है, जिसे टीम जांच के लिए अपने साथ ले गई।
रोज की तरह आज भी टीम अलग अलग टीम बनाकर टीम ने सर्वे को आगे बढ़ाते हुए पिछले हिस्से में तीन स्थानों पर खुदाई जारी रखी। वहीं टीम के साथ 17 मजदूर काम कर रहे है । वहीं टीम ने सर्वे के खुदाई के दौरान इनमे से पाषाण हिंदू धर्म के प्रतीक चिन्ह भी निकलने की बात सामने आ रही है। हालांकि इसे ठोस प्रमाण के साथ सर्वे से पहले नहीं कहा जा सकता है। इसी के साथ बुधवार को गर्भगृह में भी सर्वे टीम ने निरीक्षण कर जानकारी एकत्रित की और कुछ स्थानों को चिन्हित भी किया है वहीं भोजशाला के भीतरी हिस्से में भी आने वाले दिनों में खुदाई की संभावना व्यक्त की जा रही है । वही बुधवार की खुदाई के दौरान भोजशाला में पीछे के हिस्से में नींव की खुदाई की जिसमे नीचे का बेस का पता किया जायेगा कि कितना पुराना है गहरा है।
खुदाई के दौरान क्या हुआ!
- भोजशाला को अंदर बाहर नापा गया मतलब लम्बाई चौड़ाई का मेजरमेंट मिलाया गया।
- भोजशाला के अंदर बाहर से मिट्टी के सैंपल लिए गए।
- खुदाई करके निकाले गए पत्थरों के नमूना लिए गए जिससे भोजशाला की उम्र पता की जा सके।
- कार्बन डेटिंग की गई, भोजशाला के अंदर मौजूद पत्थरों पर मौजूद कलाकृतियों को रिकॉर्ड किया उनके सबूत लिए।
- भोजशाला के बाहरी हिस्से में अबतक 3 से अधिक पांच से 6 फुट तक के गड्डे खोदे गए जिनमें से मिट्टी और पत्थर निकाले गए
- भोजशाला के बाहर कमाल मौला मस्जिद तक मार्किंग की गई।
क्या है भोजशाला:
11वीं शताब्दी में मध्य प्रदेश के धार जिले में परमार वंश का शासन था. 1000 से 1055 ई. तक राजा भोज धार के शासक थे. खास बात यह थी कि राजा भोज देवी सरस्वती के बहुत बड़े भक्त थे। 1034 ई. में राजा भोज ने एक महाविद्यालय की स्थापना की थी, यह महाविद्यालय बाद में ‘भोजशाला’ के नाम से जाना गया, जिस पर हिंदू धर्म के लोग आस्था रखते हैं।