सरकारी लापरवाही से हमारी ज़िंदगी उजड़ गई और मुआवज़ा मिला है बस सवा लाख का… भूख हड़ताल पर हैं हरदा हादसे के पीड़ित


हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट में पीड़ित तीन दिन से भूख हड़ताल पर, आज बुलाया जा रहा बंद


DeshGaon
उनकी बात Updated On :

हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए हादसे की खबरें भले ही अब न आ रहीं हों लेकिन यहां जमीन पर काफी कुछ हो रहा है। पटाखा फैक्ट्री में हुए हादसे के बाद स्थानीय पीड़ित परिवार भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनका कहना है कि इस हादसे में उनकी जीवन भर की पूंजी खत्म हो गई लेकिन उन्हें बस सवा लाख रुपए मुआवज़ा देकर इतिश्री कर ली गई। पीड़ितों की यह भूख हड़ताल तीन दिनों से जारी है और अब तक तीन महिलाओं की तबियत बिगड़ चुकी है जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

हरदा में पटाखा फैक्टरी में हुए ब्लास्ट को तीन हफ्ते बीत चुके हैं। शुरुआत में सरकार के आदेश पर प्रशासन ने काफी तेजी से कार्रवाई की हालांकि इस दौरान बहुत सी जानकारियां छिपाने के आरोप भी लगे लेकिन इन आरोपों को बहुत ज्यादा सुना और सुनाया नहीं गया। इसके बाद अब खुद पीड़ित आगे आ रहे हैं और कह रहे हैं कि प्रशासन ने उन्हें जो मुआवजा दिया है वह नाकाफी है। वे कहते हैं कि प्रशासन ने केवल सवा लाख रुपए बतौर मुआवजे के रुप में दिये हैं जबकि उनका घर उसमें रखा सामान, रोटी रोजगार सब कुछ जा चुका है। ऐसे में कोई उन्हें बताए कि सवा लाख रुपए में अपनी जिंदगी पहले की तरह कैसे शुरु करें। वहीं फैक्ट्री के मालिकों को अब तक जमानत भी मिल चुकी है।

पीड़ितों का कहना है कि दरअसल इस पूरे हादसे का जिम्मेदार प्रशासन ही है क्योंकि इस तरह के अपराध को रोकना उनकी जिम्मेदारी होती है और प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी कभी नहीं निभाई। ऐसे में जब हादसा हुआ तो आम लोग इसका शिकार हुए और प्रशासनिक स्तर पर केवल तबादले देकर उन अधिकारियों को सज़ा दे दी गई जो सामने नजर आए जबकि जो पीड़ित हैं उन्हें छोटा सा मुआवजा देकर अधिकारियों और नेताओं ने अपने आप को मददगार दिखा दिया।

इस मामले में एसडीएम केसी परते का कहना है कि शनिवार को पीड़ित परिवारों का एक प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर से मिला है जहां उनकी बातें सुनने के बाद उन्हें नियमानुसार राहत राशि दिलाने का भरोसा दिलाया गया। बताया जा रहा है कि कलेक्टर ने मांगें पूरी करने संबंधी मौखिक आश्वासन दिया है लेकिन धरने पर बैठी महिलाएं लिखित आश्वासन की मांग कर रही हैं। इस मामले में अब विरोध के तौर पर 26 फरवरी को हरदा बंद का बुलाया गया है।

धरने में शामिल वकील अवनी बंसल ने कहा कि स्थानीय एसडीएम पीड़ितों पर हड़ताल समाप्त करने का दबाव बना रहे हैं। लिखित में कुछ भी नहीं दिया जा रहा है, केवल मौखिक वादे किए जा रहे हैं। बैतूल से कुछ साथी धरना देने के लिए आए थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें वापस लौटा दिया। आरोपी राजेश अग्रवाल का ड्राइवर अमित प्रजापति को जमानत दे दी गई है। वह पीड़ितों पर दबाव बना रहा है। कलेक्टर-एसपी अलग-अलग ग्रुप में ले जाकर पीड़ितों से बात कर रहे थे।

 लोगों की मांगें…

  •  मृतकों के परिजनों को 15 लाख और घायलों को 5 लाख मुआवजा दिया जाए।
  •  जिनके घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, उनके निर्माण की बाज़ार भाव से लागत मिले।
  • किराएदारों के लिए ढाई लाख रुपए राहत दें।
  • विकलांगों एवं मृतकों के परिजन-आश्रित को रोज़गार मिले।
  •  मृतकों के सही आंकड़े जानने के लिए विशेष टीम गठित करें।
  • पूछताछ, शिनाख़्त, सर्वे, फॉरेंसिक जांच, डिटेल स्टडी के ज़रिए मृतकों की सही संख्या पता लगाया जाए।



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