चुनावी महीने में भी वही हाल, खाद के लिए भटक रहे किसान, खाद की जरूरत और उपलब्धता में भारी अंतर


जिस खाद की जरुरत किसानों को नहीं मिल रहा वह खाद, मजबूरी में खरीदना पड़ रहा निजी कंपनियों का खाद, रबी सीजन की तैयारी में जुटे किसान, आठ दिन में शुरू होना है बोवनी


आशीष यादव आशीष यादव
उनकी बात Published On :
धार शहर में खाद के लिए सोसायटी के बाहर लाइन लगाकर खड़े किसान


प्रदेश में चुनाव और सरकार प्रदेश में विकास के बहुत से मुद्दों में किसान भी शामिल है। यहां सरकार किसानों की स्थिति उनकी आमदनी सुधारने के नाम पर वोट मांग रही है। हालांकि किसानों की स्थिति में ऐसा कोई बहुत सकारात्मक परिवर्तन नजर नहीं आया है। हर साल की तरह इस बार भी किसान खाद के लिए परेशान हो रहा है। हालात ये है कि जिस खाद की आवश्यकता उन्हें है वह खाद किसानों को नहीं मिल पा रहा है ऐसे में वे अन्य कंपनियों का खाद डालने को मजबूर हैं जो महंगा है और कई बार जो अपना काम करने में असफल भी हो जाता है और इस नुकसान की कोई भरपाई नहीं होती। इस दौरान जरूरत और उपलब्धता में भारी अंतर देखने को मिल रहा है।

जिले में बड़े पैमाने पर उर्वरकों की कमी देखने को मिल रही है। सोयाबीन कटाई से फुर्सत हुए किसान अब रबी सीजन की बुआई के लिए खेत तैयार कर खाद के लिए दौड़ लगा रहे हैं लेकिन सोसायटी व अन्य जगहों में किसान को निर्धारित मानक वाले उर्वकर नहीं मिल पा रहे हैं। इनके स्थान पर विकल्प के रूप में नए उर्वरक किसान को दिए जा रहे हैं। इससे किसान की उर्वरक के लिए दोगुना खर्च झेलना पड़ेगा।

दरअसल गेहूं और चने की बोवनी मालवा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर होती है। उत्पादन और क्वालिटी को बेहतर करने के लिए किसान बोवनी के वक्त डीएपी यानी डाइअमोनिया फास्फेट और एनपीके यानी नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम का इस्तेमाल करता है। इनमें प्रमाणित फार्मूला 18:46:0 प्रतिशत वाला डीएपी व 12:32:16 प्रतिशत वाला एनपीके सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इससे बेहतर उत्पादन के साथ क्वालिटी भी अच्छी मिलती है। जबकि सोसायटी से किसानों को 20:20:00:13 प्रतिशत वाला अमोनियम, सल्फेट और फास्पोरस का मिश्रित बैग ही दिया जा रहा है।

नकद काउंटर पर भी नही :  डीएपी और एनपीके मार्केटिंग सोसायटी के नकद काउंटर पर उपलब्ध नही है। जहां से छोटे किसानों को पर्याप्त मात्रा में डीएपी और एनपीके वितरण नही हो पा रहा है। इस कारण उन किसानों को परेशानी बढ़ गई है जो सोसायटी में खाताधारक है। यदि खाताधारक किसान नकद काउंटर से उर्वरक लेता है तो पहले उन्होंने संबंधित सोसायटी से लिखित में देना होगा कि सोसायटी से उर्वरक नहीं लिया है। तब जाकर नकद काउंटर से उर्वरक मिलेगा।

इस बार नए फार्मूले वाले उर्वरकः इस बार सोसायटियों में 20:20:00:13 प्रतिशत वाला अमोनियम, सल्फेट और फास्पोरस का मिश्रित बैग ही उपलब्ध है। जबकि 12:32:16 प्रतिशत वाला एनपीके तोरनोद के साथ जिले की अन्य सोसायटी में उपलब्ध नहीं है। इस बार खाद के जिला सहकारिता बैंक ने विज्ञापन के माध्यम से शून्य प्रतिशत में खाद उठाने को कहा था उसके बाद भी कही किसानों ने खाद नहीं लिया। किसान किसान सजंय यादव निवासी अनारद ने बताया इस उर्वरक में जरूरी पोषक तत्व कम है। इस कारण एक बीघा में दो बैग का इस्तेमाल करना पड़ेगा। इससे उर्वरक पर खर्च की लागत 2800 रुपए प्रति बीघा आएगी। जबकि 12:32:16 एनपीके में प्रति बीघा एक बैग ही लगता है।

भंडारण को लेकर व्यवस्था नहींः इस बार खाद के भंडारण को लेकर पहले कोई तैयारी नहीं की गई इस बार भंडारण को लेकर भी दिक्कतें देखने को मिली है पूर्व में खाद का भंडारण हो जाता था जिसके चलते किसानों को परेशानी नहीं आती है लेकिन इस बार 12 32 16 खाद की परेशानी ज्यादा देखने को मिल रही है। वहीं किसानों को खेतों में मुख्य रूप से 12 32 16 का उपयोग करते हैं क्योंकि इस खाद से किसानों को खर्च कम आता है और अलग-अलग वैरायटी के खाद खेतों में डालते हैं तो जिससे खेत खराब होने के साथ-साथ उनका खर्च भी बढ़ता है।

चुनावी साल होने के कारण भी किसान को खाद के लिए परेशान होना पड़ रहा है ना तो इस ओर नेता ध्यान दे रहे हैं ना के जिम्मेदार अधिकारी। ऐसे में किसान परेशान हो रहा है। कमल किशोर नाम एक एक किसान कहते हैं कि दूसरा खाद लेंगे तो बजट बढ़ सकता है।

हर साल यही हाल…

हर साल इसी तरह के हालात रहते हैं। किसानों को आवश्यक उर्वरक और यूरिया की उपलब्धता नहीं होती है। गत वर्ष नेनो यूरिया का फार्मूला लाई थी, लेकिन उसका भी इतना अच्छा रिजल्ट नहीं आया। इससे निपटने के लिए आवश्यक है कि शासन उर्वरक और यूरिया का अग्र्रिम भंडारण करवाएं। चुनाव साल होना के कारण ज्यादा परेशान होना पड़ रहा है।जो किसानों को खाद की आवश्यकता वो खाद नही दे रहे हैं।

         अमोल पाटीदार, मीडिया प्रभारी, भाकिसं, धार

 

डीएपी और एनपीके उपलब्ध

डीएपी और एनपीके की उपलब्ता है। 20:20:00:13 फार्मूला वाला एनपी सल्फर है, इममें यूरिया और पोटाश का मिश्रण मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। यह खाद गेंहू के लिए अच्छा है इसमें सल्फर भी है जो गेंहू के दानों में चमक लाता है। इससे यूरिया का इस्तेमाल कम करना पड़ेगा। पहले और दूसरे पानी में ही इसका उपयोग करना पड़ेगा। खाद और उर्वरक की पर्याप्त मात्रा है, बोवनी में अभी वक्त है। 12 32 16 खाद की रैक लगी है जल्दी ही मिलना शुरू होगा।

जीएस मोहनिया, डीडीए, कृषि विभाग धार

 

  जल्द मिलेगा खाद…

 अभी 12 32 16 की खाद की रैक जल्द किसान उपलब्ध होना अभी इंदौर से 450 टन ओर 350 टन उपलब्ध होना है जल्द ही किसानों को खाद मिलेगा।

प्रवीण मुदडा,जिला विपणन अधिकारी धार

रबी सीजन में आवश्यकता
● 78 हजार मीट्रिक टन यूरिया की मांग।
● 22 हजार मीट्रिक टन डीएपी की मांग।
● 23 हजार मीट्रिक टन एनपीके की मांग।
● 25 हजार 517 मीट्रिक टन एसएसपी उर्वरक की मांग।
● 1.67 लाख मीट्रिक टन कुल आवश्यकता।

उपलब्धता
● यूरिया : 78 हजार मीट्रिक टन का लक्ष्य है अक्टूबर माह के लिए, में 22 हजार 764 मीट्रिक टन उपलब्ध है।
● डीएपी : 22 हजार मीट्रिक टन की डिमांड है जबकि वर्तमान अक्टूबर में 11 हजार 224 मीट्रिक टन उपलब्ध है।
● एनपीके : 23 हजार मीट्रिक टन की मांग अक्टूबर के लिए, अब तक 8 हजार 987 मीट्रिक टन उपलब्ध है।



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