खारक बांध प्रभावितों का मुआवजे को लेकर धरना प्रदर्शन शनिवार को भी जारी रहा। यह प्रदर्शन का छठवां दिन था। जब बीते 24 घंटे के दौरान लगातार हो रही बारिश में भीगते हुए भी प्रदर्शनकारी आदिवासी अपने मोर्चे पर डटे रहे। इस दौरान बच्चे, बूढ़े और महिलाओं को मौके से सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया।
कल रात बारिश से हालात काफी बिगड़ गए आंदोलनकारियों के धरना स्थल पर पानी जमा हो गया है। रात भर आदिवासी महिला पुरुष बारिश में जागते हुए खड़े रहे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन की मांग को लेकर बैठ हुए आंदोलनकारियों ने कहा कि उनके संवैधानिक अधिकारों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
भारी बारिश में डटे हुए आदिवासी आंदोलनकारी तरह तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं लेकिन मध्यप्रदेश की आदिवासी विरोधी सरकार उनकी मांगो को मानने के लिए तैयार नहीं हैं।
आदिवासियों का कहना हैं कि चाहे कुछ भी हो हम धरना नही खत्म करने वाले , प्रशासन से अभी तक हमें केवल हवाई आश्वासन ही मिला है, जनप्रतिनिधियों से भी हमें कोई उम्मीद नहीं बची है।
जिला मुख्यालय पर जागृत आदिवासी दलित संगठन के नेतृत्व में चल रहा है। जिसमें खारक बांध डूब प्रभावित सैकड़ों आदिवासी महिला पुरुषों के धरने पर बैठे हैं।
इससे पहले शुक्रवार देर शाम तक आदिवासी महिलाएं अपने बच्चों सहित अपने पूरे जज्बे के साथ धरना स्थल पर मौजूद रहीं। वे तरह तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करने के बाद भी धरना स्थल पर बनीं रहीं।
ये महिलाएं कहती हैं कि शासन प्रशासन ने अभी तक उनकी मांगों की पूर्ति के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया ना ही कोई संतोषजनक जवाब मिला है। डूब प्रभावित भीमा आन्या की मौत से आक्रोशित आदिवासियों ने धरने के पांचवे दिन भी भीमा को श्रद्धांजलि अर्पित की और कड़े स्वर में “भीमा भाई को न्याय दो” के नारे लगाए। डूब प्रभावितों ने कहा कि भीमा की मौत की जिम्मेदार सरकार को ठहराया हैं।
डूब प्रभावित शिवराम सोलंकी ने बताया कि अपनी पूरी जमीन बांध निर्माण में खो चुके और पुनर्वास नही मिलने से परेशान आदिवासी भीमा सिंह ने उसी खारक बांध में कूदकर अपनी जान दे दी। यह घटना पिछले दिनों की है। भीम सिंह की 13 एकड़ जमीन डूब में आ गई है। इसके बदले उन्हें आंशिक मुआवजा मिला है।
दो दिन से जारी भारी बारिश के दौरान भी ये आंदोलनकारी डटे रहे। ये आदिवासी नागरिक इस कठिन समय में आदिवासी संघर्ष गीत गाकर अपने हौसले को बनाए हुए हैं।
सांसद गजेंद्र पटेल शुक्रवार शाम करीब साढ़े पांच बजे खारक बांध के डूब प्रभावितों से मिलने पहुँचे।
सांसद से लंबी बात करने के बाद सांसद पटेल ने आश्वासन दिया कि वो 15 दिन के अंदर आदिवासी डूब पीड़ितों की पूरी समस्याओं का निराकरण करवाएंगे। उन्होंने 15 दिन की मोहलत। आंदोलनकारियों से मांगी।
आंदोलनकारी उनकी बात से संतुष्ट नहीं हैं, आदिवासी आंदोलनकारी महिला पुरुषों ने तय किया कि जब तक हमारी दो स्पष्ट मांगो का पूरा निराकरण नही किया जाता तब तक हम डटे रहेंगे और आंदोलन जारी रहेगा।
यह है डूब प्रभावित आदिवासियों की मांग
- इंदौर GRA को भंग कर 129 परिवारों की पुनर्वास की बची हुई 50% राशि का पूरा भुगतान तत्काल किया जाए।
- खरगोन GRA को पुनः शुरू कर बचे 128 परिवारों को जिनका कोई संज्ञान प्रशासन ने अभी तक नहीं लिया है, उन्हें भी पुनर्वास की पूरी राशि का वितरण एक महीने के अंदर किया जाए।
- आंदोलनकारी आदिवासियों का कहना है कि इंदौर GRA को भंग करके 129 परिवारों की 50% पुनर्वास राशि का भुगतान तत्काल किया जाए। और 128 परिवारों के लिए खरगोन GRA शुरू कर तत्काल सुनवाई शुरू की जाए।
कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा और पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह द्वारा शुक्रवार को खारक डेम प्रभावितों के साथ करीब 1 घंटे तक सभाकक्ष में चर्चा की। इस बैठक में खारक डेम मामले के अलावा प्रभावितों को आ रही अन्य समस्याओं पर भी विचार किया गया।
कार्य की प्रगति के लिए कलेक्टर वर्मा ने कहा कि खारक डेम से सम्बंधित सभी पहलुओं के बारे में जल संसाधन विभाग के अलावा जिला और पुलिस प्रशासन द्वारा भी शासन और न्यायालय स्तर पर प्रभावितों का पक्ष रखा गया है। हाईकोर्ट के सेवानिवृत तीन जज आरके महाजन, एसके गुप्ता और वेदप्रकाश शर्मा को सरदार सरोवरों परियोजना के शिकायत निवारण प्राधिकरण इंदौर में पद पर कार्यभार ग्रहण करने के एक वर्ष तक या प्रकरणों के निराकरण होने तक नियुक्त रहेंगे।
कलेक्टर वर्मा ने कहा कि तीन जजों में एक जज को अपीलीय फोरम का अध्यक्ष मनोनीत कर अपीलीय फोरम द्वारा खारक के 129 प्रकरणों को सुना जाएगा। प्रभावितों में भीकला भाई ने कहा कि शासन इसमें त्वरित निर्णय ले तो हम सब के लिए बेहतर है। इसके अलावा उन्होंने बिजली की समस्या भी रखी। इस पर कलेक्टर वर्मा ने कहा कि जो जिलास्तर से किया जा सकता है। उन्हें वे हाथों हाथों करवाएंगे। जहां तक सड़क का मामला है। स्वीकृति के बाद टेंडर प्रोसेस में आने के बाद प्रारम्भ होने की स्थिति में है। प्रभावितों ने 2 सप्ताह में निर्णय की मांग की है। कलेक्टर वर्मा और एसपी सिंह दोनों ने 129 प्रकरणों की सुनवाई जल्द से जल्द कराने के लिए शासन के निरतंर समन्वय में रहेंगे।
तकनिकी और कोरोना के कारण मामला निर्णय तक नहीं पहुँचा
जल संसाधन कार्यपालन यंत्री पीके ब्राम्हणे ने कहा कि 2019 से अपीलीय फोरम में सुनवाई शुरु हुई है। लेकिन पिछले 2 वर्षों में कोरोना महामारी के कारण स्थितियां बदलीं हैं। इसके बाद हर स्तर पर इसमें प्रगति आयी है। 25 अगस्त को तीन जजों की नियुक्ति की गई है। इसके अलावा भी शासन स्तर पर तकनीकी पहलुओं पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। बैठक में प्रभावितों की ओर से बलिराम सोलंकी सुभाष डुडवे, सुभाष और शिवराम कनासे ने पक्ष रखा।