कारम बांध के फूटने का एक सालः बर्बाद हुई खेती, टूट गए सपने अब मजदूरी करके पाल रहे हैं पेट


कारम बांध फूटे एक साल बीत चुका है और किसानों के आंसू अब भी नहीं थमे हैं


आशीष यादव आशीष यादव
धार Updated On :

रिसता पानी…बांध को खाली करने में लगी मशीनें और भोपाल से दिल्‍ली तक निगरानी के लिए लगे अफसर और नेताओं के साथ जिले के लोग कभी 14 अगस्‍त को नहीं भूल पाएंगे। इसकी वजह यह है कि भारूड़पुरा स्थित कारम नदी पर बन रहे डेम के रिसाव के बाद जो हालात बने थे, उसने शासन-प्रशासन की नींदे उड़ा दी थी।

बांध को जैसे-तैसे खाली करवाने के लिए तमाम अमला लगा। लेकिन 14 अगस्‍त की शाम को जब बांध फूटा तो आसपास के गांवों में नुकसानी करते हुए निकला। उस बर्बादी के निशां आज भी डेम की डाउन स्‍ट्रीम में मौजूद गांवों के खेतों में देखे जा सकते है।

इस नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने सर्वे करवाया, लोगों को मुआवजा बांटा गया लेकिन हालात अब भी सामान्‍य नहीं हो पाए हैं। खेतों से बह गई मिटटी के बाद आज तक खेत तैयार नहीं हो पाए हैं। लोग अब भी अपनी जमीनों पर खेती भी नहीं कर पा रहे हैं। कई लोग ऐसे हैं जिनके घर और खेत खत्म हो गए और अब वे अपनी जमीनों पर काम खेती करने की बजाए मजदूरी कर रहे हैं।

कारम डेम फूटने की जांच के भी दावे हुए। प्रदेश स्‍तर पर कमेटियां बनाई गई। इसमें कई बिंदुओं पर जांच की गई। लेकिन हालात जस के तस ही बने रहे। कंपनी से डेम निर्माण करवाने के भी दावे हुए पर एक साल बाद भी डेम निर्माण को लेकर कोई हलहचल ग्राउंड लेवल पर देखने को नहीं मिली। हालांकि विभाग इस बारिश के बाद कारम डेम का फिर से निर्माण करने की बात कह रहा है। कारम डेम का फिर निर्माण उसी कंपनी से ही करवाया जाना है लेकिन निर्माण शुरू होने का इंतजार अब सबको है।

कारम बांध फूटने का दृश्य, फाल फोटो

मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल्‍य धार जिले में करीब 11 माह पहले कारम बांध देशभर की सुर्खियां बना था। 11अगस्त 2022 को इस बांध के मिट्टी वाले हिस्से में रिसाव शुरू हो गया था। जिसके बाद प्रशासन एवं सरकार तक हरकत में आ गई थी।  प्रशासन अपनी टीम लेकर मौके पर पहुंच गया था। प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए शाम 6 बजे बाद धार एवं खरगोन जिले के 18 गांवों को खाली करवा दिया गया था।

दो दिनों तक साइड में से चैनल बनाकर पानी निकालने का प्रयास किया गया । जिसके बाद 14 अगस्त को शाम 6 बजे चैनल के पास एक बड़ा भाग गिरने के बाद बांध में भरा पानी तेज गति में निकलने लगा और नदी ने रौद्र रूप लिया जिससे आसपास की जमीनों मैं काफी नुकसान हुआ। कई जमीनें नदी में समा गईं तो कई पर बड़े-बड़े पत्थर जमा हो गए। खेतों में लगी फसलें बर्बाद हो गईं। इस घटना के एक साल बाद अब भी  यही आलम है और गांव वाले अपनी स्थिति पर आंसू बहा रहे हैं।

शासन द्वारा किसानों को फसल की मुआवजा राशि तो दे दी गई किंतु खेतों का सुधार कार्य नहीं करया गया। किसान भी चिंतित है कि हमारे खेत बर्बाद हो गए। अब हम इस खेत में खेती कैसे करें सरकार द्वारा भी कोई ध्यान नहीं दिया जाए। किसानों का कहना है कि जब बांध का निर्माण कार्य हो रहा था, तब हम बहुत खुश थे। हमें खुशी थी कि हमारे सालों का सपना पूरा होने जा रहा है। हमें अब पानी के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। हमें खेती करने के लिए डेम से पर्याप्त पानी मिल सकेगा और अच्छी हम खेती कर सकेंगे लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से निर्माणधीन बांध टूट गया और वह टूटा तो हमारे खेतों को भी बर्बाद कर गया। एक साल हो गए अभी तक डेम जैसी हालत में छोड़ा था वैसा ही पड़ा हुआ है। अभी तक कोई उसमें काम चालू नहीं हुआ।

खेती लायक नहीं बची जमीन : गौरतलब है कि गत 11 अगस्त को अचानक से इस बात की जानकारी आई थी कि कारम बांध के मिट्टी वाले बांध से पानी का रिसाव शुरू हो गया है। पहले तो इस रिसाव को संबंधित इंजीनियरों ने गंभीरता से नहीं लिया। उनका कहना था कि मिट्टी बांध से इस तरह का पानी का रिसाव होना स्वाभाविक है। लेकिन 12 अगस्त को यह रिसाव जिस तेजी से बढ़ने लगा, उससे यह तय हो गया कि यह बांध एक बड़ी आपदा लेकर आ सकता है। ऐसे में प्रशासन के अधिकारी से लेकर केंद्र व राज्य सरकार के जिम्मेदार अलर्ट हो गए। इस बांध से पानी की निकासी कर आसपास के 18 गांव में भीषण आपदा से बचाने की जुगत शुरू हुई। इसके लिए खुद मुख्यमंत्री लगातार निगरानी रख रहे थे। यहां तक कि प्रधानमंत्री भी स्वयं इस बात की प्रतिपल जानकारी ले रहे थे।

खेतों की स्थिति बताते किसान

किसानों का दर्द बरकरार : जहांगिरपुरा के जयसिंह ठाकुर ने बताया निर्माणाधीन मकान बह गया, अब झोपड़ी में रहने को मजबूर, प्रधानमंत्री आवास मिला था। इससे मकान का निमार्ण काम करवा रहा था। मकान, कुर्सी हाइट व दीवारें बन गई थी। कारम बांध फुटने में नदी के तेज बहाव के बाद मकान सहित निर्माण का रखा सीमेंट, रेती, गिट्टी आदि सामान बह गया। वे कहते हैं कि साथ ही मेरा परिवार जिस झोपड़ी में रह रहा था वह झोपड़ी भी बह गई। रखा घरेलू सामान भी पानी की तेज बहाव में बह गया था । मेरा खेत भी नदी बन गया। वे कहते हैं कि घर का सपना बह गया, अब छोपड़ी में रह रहा हूं और खेती भी नहीं कर पा रहा हूं। जयसिंह बताते हैं कि अब वे मजदूरी करके फिर पैसे कमाएंगे और घर बनाने की कोशिश करेंगे। बताते हैं कि उनका लगभग एक लाख का नुकसान था जिसमें से उन्हें मुआवजा राशि के रुप में केवल सोलह हजार रु दिए गए।

कोठिदा के गोलू ठाकुर का कहना है कि जो डैम फूटने में पूरा खेत नदी बन गया था। आज भी यहां पर नदी के बड़े बड़े पत्थर पड़े हैं। यहां अब हम खेती नहीं कर सकते हैं। हम पहले गेहूं, मक्का, कपास आदि फसल करते थे। इससे हमारा घर का जीवन चलता था। हमारे 4 बीघा खेत इधर और डैम के पास 3 बीघा दोनों खेत खत्म हो गए। मजदूरी करके जीवन यापन करना पड़ रहा है। मुआवजा राशि सिर्फ पिछले साल फसल की 4 हजार रुपए राशि दी गई थी। इसके बाद खेत खत्म होने वाला मुआवजा नहीं दिया गया।

नहीं रहा 4 बीघा का खेत : कोठिदा के गोलु ठाकुर का कहना है कि जो डैम फूटने में पूरा खेत नदी बन गया था। आज भी यहां पर नदी के बड़े बड़े पत्थर पड़े हैं। यहां अब हम खेती नहीं कर सकते हैं। हम पहले गेहूं, मक्का, कपास आदि फसल करते थे। इससे हमारा घर का जीवन यापन चलता था। हमारे 4 बीघा खेत इधर और डैम के पास 3 बीघा दोनों खेत खत्म हो गए। बताते हैं कि मुआवजा राशि सिर्फ पिछले साल फसल की 4 हजार रुपए राशि दी गई थी। इसके बाद खेत खत्म होने वाला मुआवजा नहीं दिया गया।

इस तरह समझे पूरा घटनाक्रम

  • 11 अगस्त 2022 को दोपहर 1 बजे मिट्टी के बांध से रिसाव होने की सूचना मिली थी।
  • 11 अगस्त की शाम 6 बजे खरगोन एवं धार जिले के 18 गांव को खाली कराने का आदेश जारी हुआ।
  • 12 अगस्त को सुबह 7 बजे फिर बांध की पाल खिसकने एवं तेज पानी निकलने की स्थिति बनी। दोपहर बाद हेलीकॉप्टर से निगरानी रखना शुरू की गई। वही एनडीआरएफ एवं सेना सहित कई टीम मौके पर पहुंची।
  • 12 अगस्त को दोपहर 12 बजे उद्योग मंत्री राजवर्धनसिंह दत्‍तीगांव मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लेकर नेशनल हाईवे भी बंद करवा दिया गया।
  • 12 अगस्त को ही बांध के पास से एक चैनल बनाने के बाद शुरू किया गया।
  • 13 अगस्त को रात 1 बजे बांध से पानी निकलने लगा।
  • 14 अगस्त की शाम 6 बजे अचानक से बांध के चैनल का एक बड़ा हिस्सा गिरा और वहां तेज तेज गति में पानी निकलने लगा और बाढ़ के हालात बन गए।
  • 14 अगस्त की शाम 6 बजें बांध टूटने के बाद नदी के रौद्र रूप के बाद कई घरों और खेतों में पानी घुसने से फसलें प्रभावित हुई।
  • 15 अगस्त को बांध के स्थान पर विभागीय मंत्री तुलसी सिलावट द्वारा झंडा वंदन कर सभी टीमों का सम्मान कर सभी को अच्छे कार्य की बधाई दी।

बांध के बारे में… 

  • इस बांध से 8 ग्राम डूब में आए हैं।
  •  90 हेक्टेयर निजी भूमि डूबी है।
  • 65 हेक्टेयर सरकारी जमीन डूबी है।
  • ग्राम कोठिदा में कारम नदी पर यह बांध बना है।
  • 52 ग्रामों के लोगों को सिंचाई मिलता।
  • 10500 हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता।
  • बांध की लागत 304.44 करोड़।
  • 100 करोड़ से ज्यादा खर्च हो गए जो किसी काम के नहीं रहे।



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