पटवारी भर्ती परीक्षा को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। परीक्षा और परिणामों से नाराज़ अभ्यर्थियों की संख्या ज्यादा है और इनमें से ज्यादातर मांग कर रहे हैं कि परीक्षा निरस्त कर या फिर जांच होने तक नियुक्तियां फिलहाल रोक दी जाएं। वहीं जो अभ्यर्थी सफल हुए वे कह रहे हैं कि अगर गलतियां हुईं हैं तो सजा सभी को क्यों मिलनी चाहिए।
अब पहली बार इसी दूसरे दल ने खुलकर अपनी बात रखी और भोपाल के नीलम पार्क में एकजुट होकर नियुक्ति देने की मांग की। इस प्रदर्शन से एक बात साफ हो गई कि कर्मचारी चयन मंडल की गलतियों का खामियाजा दोनों ओर के अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ रहा है और ये छात्र न चाहते हुए भी अब आमने सामने खड़े हैं।
सोमवार को भोपाल के नीलम पार्क में हालही में पटवारी परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया। यहां सैकड़ों की संख्या में अभ्यर्थी पहुंचे थे। इनकी मांग थी कि इन्हें जल्द नियुक्ति दी जाए और मौजूद समय में चल रहे विवाद से दूर रखा जाए क्योंकि इसमें इनका कोई लेना देना नहीं है। यहां पहुंचे एक अभ्यर्थी शुभम ने बताया कि उन्होंने अपनी परीक्षा पूरी पढ़ाई करके ईमानदारी से दी और पास की है तो फिर उनकी नौकरी क्यों छीनी जानी चाहिए जबकि उनका विवाद से कोई लेना देना नहीं है।
एक अन्य महिला अभ्यर्थी ने बताया कि पटवारी परीक्षा के संबंध में जो कुछ भी कहा जा रहा है वह उन्हें भी नज़र आ रहा है और वे मानती हैं कि ग़बड़ियां हुईं हैं लेकिन वे कहतीं हैं कि वे अपने बारे में भी जानती हैं और उन्होंने कोई गड़बड़ी नहीं की है ऐसे में उन्हें सज़ा देना कितना जायज़ है। यहां पहुंचे अभ्यर्थियों ने जल्द से जल्द नियुक्ति देने के लिए सरकार से मांग की।
इस बारे में कांग्रेस नीत कमलनाथ ने भी ट्वीट कर सरकार की आलोचना की है।
पटवारी भर्ती परीक्षा में हुए घोटाले को लेकर भोपाल में हजारों की संख्या में अभ्यर्थी शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं। मैं इनके प्रदर्शन का समर्थन करता हूं।
शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश को जिस तरह से भर्ती घोटालों का प्रदेश बना दिया है, उसमें किसी भी नौजवान का भविष्य सुरक्षित नहीं…— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) July 17, 2023
इस विवाद के बाद पास हुए अभ्यर्थियों की परेशानियां भी बढ़ गई हैं। समझना मुश्किल नहीं कि मप्र में भयंकर बेरोजगारी के बीच इन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से पढ़ाई की और परीक्षा पास की। पास होने के बाद इन्हें उम्मीद रही होगी कि अब जल्दी ही नियुक्ति मिल जाएगी लेकिन तब तक यह विवाद शुरु हो गया और उन्हें नियुक्ति नहीं मिल सकी।
इनसे बात करने पर पता चलता है कि बहुत से अभ्यर्थी इस बात से इंकार नहीं कर रहे हैं कि इस परीक्षा में गड़बड़ी की संभावना नहीं थी लेकिन उन्हें ये नहीं पता कि गड़बड़ी किसने की और कैसे की। जो वे जानते हैं वह ये कि इस सब में उनका कोई दोष नहीं और उन्हें इसका नुकसान भी नहीं होना चाहिए। एक तरह से इन अभ्यर्थियों ने कहा कि कर्मचारी चयन मंडल ने अगर गलती की है तो उनके अधिकारियों और कर्मचारियों को इसकी सजा दी जाए न कि युवाओं को।
उल्लेखनीय है कि पटवारी परीक्षा के परिणाम बेहद चौंकाने वाले रहे हैं। परीक्षा लेने वाली एजेंसी कर्मचारी चयन मंडल ने पहले तो टॉप टेन की सूची जारी नहीं की लेकिन जैसे ही सूची जारी हुई तो और बवाल हो गया। दस में से सात टॉपर एक ही शहर से एक ही परीक्षा केंद्र से आए हैं। परीक्षा केंद्र जो एक भाजपा विधायक संजीव जायसवाल का है और आरोपों के मुताबिक जिसमें केवल परीक्षाएं ही ली जाती हैं।
इसके अलावा कई परीक्षार्थियों की आंसर शीट में भी कई ऐसी बातें दिखाई दे रहीं हैं जो संदेह बढ़ा रहीं हैं। आरोपों के मुताबिक पटवारी परीक्षा के दौरान अभ्यर्थियों से दस से पंद्रह लाख रुपए लेकर उन्हें नियुक्ति दी गई है। इस मामले की जांच भी सरकार ने उसी एजेंसी को सौंपी है जिसने यह परीक्षा करवाई है ऐसे में विरोध कर रहे अभ्यर्थियों को इस पर भी भरोसा नहीं है।