ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने प्री-नर्सिंग चयन परीक्षा से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई और इसके रिजल्ट पर रोक लगा दी है।
हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने नाराजगी जताते हुए मप्र सरकार से पूछा है कि क्या शासन पर कोई नियम लागू नहीं होता या फिर शासन को नियमों में कोई छूट मिलती है। मामले की अगली सुनवाई 2 अगस्त को होगी।
मप्र शासन के निर्देश पर पिछले दिनों 7 से 9 जुलाई तक प्री-नर्सिंग चयन परीक्षा का आयोजन किया गया था। प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों में सत्र 2022-23 के एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई।
ऑल इंडिया नर्सिंग इंस्टीटयूट एसोसिएशन द्वारा सत्र निकल जाने के बाद प्रवेश परीक्षा के आयोजन के खिलाफ हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में एक याचिका दायर की गई, जिसपर आज बुधवार को सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में कहा कि जो शैक्षणिक सत्र निकल चुका है, उसकी प्रवेश परीक्षा आयोजित करवाने का क्या मतलब है। वह भी तब जब सीबीआई की जांच में 11 सरकारी कॉलेजों में कमियां और अनियमितता मिली है।
याचिका में यह भी कहा गया कि सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया अक्टूबर माह में पूरी हो जाती है यानि सत्र 2022-23 की प्रवेश प्रक्रिया को पिछले वर्ष अक्टूबर 2022 में पूरा करवा देना चाहिए था, लेकिन उस सत्र की प्रवेश परीक्षा हाल ही में करवाई गई है, इसका क्या औचित्य है?
याचिकाकर्ता के वकील जितेन्द्र शर्मा ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि शासकीय नर्सिंग कॉलेजों में सत्र 2022-23 के एडमिशन की तारीख 30 सितम्बर 2022 थी जिसे बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2022 किया गया, लेकिन प्रवेश परीक्षा नहीं कराई गई। अब जाकर ये परीक्षा कराई गई जो नियमों के विपरीत है।
उन्होंने कहा कि शासन ने फरवरी में प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए और 7 से 9 जुलाई के बीच परीक्षा आयोजित की गई जो नियमों के विरुद्ध है।