धार। नालछा ब्लॉक से आए ग्रामीणों ने इस भीषण गर्मी में पेयजल संकट की परेशानी दूर करने के लिए कलेक्टर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। ये नाराज ग्रामीण अपनी बात रखने के लिए कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे, लेकिन यहां पर कलेक्टर प्रियंक मिश्रा के नहीं मिलने से नाराज ग्रामीण जमीन पर बैठ गए और नारेबाजी करने लगे।
ग्रामीणों की नारेबाजी के बाद कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ग्रामीणों से मिलने पहुंचे और उनकी समस्या सुनकर तत्काल पीएचई ईई राकेश डावर को मौके पर बुलवाया। मौके पर ही उन्होंने ईई डावर को ग्रामीणों की समस्या का निराकरण करने के लिए कहा जिसके बाद ग्रामीण आश्वस्त होकर वापस लौटे।
ग्रामीणों के साथ कांग्रेस के संभागीय प्रवक्ता रेवती रमन राजूखेड़ी भी पहुंचे थे। राजूखेड़ी के नेतत्व में ग्रामीण अपनी समस्या लेकर कलेक्टर मिश्रा से मिलने पहुंचे थे। कलेक्टर के किसी बैठक में होने के कारण डिप्टी कलेक्टर समस्या सुनने पहुंचे, लेकिन ग्रामीण कलेक्टर से ही मिलने पर अड़े रहे।
ये ग्रामीण वहीं जमीन पर बैठकर धरना देने लगे जिसके बाद कलेक्टर मिश्रा खुद पहुंचे और उनसे बात की। इस दौरान कांग्रेस नेता राजूखेड़ी ने नालछा ब्लॉक के बंगरेड़, कछाल और आमखो में ग्रामीणों को आ रही पेयजल समस्या के बारे में अवगत कराया और निराकरण की मांग की। इस दौरान उन्होंने एक ज्ञापन भी सौंपा।
ज्ञापन में खोली है भ्रष्टाचार की पोल –
ज्ञापन में बताया गया है कि जिले की धरमपुरी विधानसभा के ब्लॉक नालछा के गांवों में जल जीवन मिशन के तहत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग धार द्वारा नल-जल योजनाओं का काम किया गया है। योजनाएं पूरी कर ली गई हैं, लेकिन धरातल पर लोग पानी के लिए मोहताज हैं।
योजना के तहत टंकियां बनाई गई हैं और पाइपलाइन बिछाई गई हैं, लेकिन योजना के जरिये ग्रामीणों को पानी उपलब्ध करवाने के लिए पानी का स्त्रोत ही गांव में उपलब्ध नहीं है।
सिर्फ योजना के नाम पर करोड़ों रुपये निर्माण पर खर्च कर दिए गए, लेकिन पानी का स्त्रोत देखे बगैर ही टंकियां बनाई गईं हैं जिससे योजना पूरी होने के बाद से अब तक ग्रामीणों को पानी देने का सपना साकार नहीं हो पाया है।
नालछा ब्लॉक की ग्राम पंचायत बंगरेड़, कछाल, आमखो सहित अन्य गांव में योजना के तहत टंकी का निर्माण कर पाइपलाइन पूरे गांव में बिछाई गई। इस पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी धार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन गांव में टंकी को भरने के लिए कोई पेयजल स्त्रोत उपलब्ध नहीं है।
योजना के क्रियान्वयन से पहले इस बात का ध्यान नहीं रखा गया। इस कारण ग्रामीण योजना के पूरी होने के बाद भी पानी के लिए भटक रहे हैं। ग्राम पंचायत बंगरेड़ व कछाल में टंकियां बनाई गई है, जिससे आसपास के गांवों में पानी देने की योजना थी, लेकिन योजना पूरी तरह फेल हो गई।
नालछा ब्लॉक के इन गांवों में पीने के पानी के स्त्रोत उपलब्ध नहीं हैं। जल जीवन मिशन के तहत तैयार हुई योजना से ग्रामीणों को काफी उम्मीदें थीं, लेकिन पीएचई की अनदेखी और मनमानी के कारण इस पर भी पानी फिर गया।
ग्रामीणों को इस भीषण गर्मी में पीने के पानी के लिए भी मीलों का सफर तय करना पड़ता है, जो पानी के स्त्रोत हैं उनमें पानी की आपूर्ति बमुश्किल हो पा रही है। इससे ग्रामीणों में रोष है और नाराजगी है।
पानी की उपलब्धता नहीं होने के कारण गांव से लोगों का पलायन हो रहा है। साथ ही बच्चों की शिक्षा भी पलायन के कारण प्रभावित होती है।
गांवों में पानी की व्यवस्था करने के लिए मुख्यमंत्री सरोवर योजना के तहत सर्वे कर स्टॉपडेम बनाने की योजना थी, लेकिन योजना बंद होने के कारण काम नहीं हो पाया।
ग्रामीणों की मांग है कि पानी के स्त्रोत उपलब्ध करवाने के लिए शासन की योजना के तहत स्टॉपडेम बनाने की मंजूरी दी जाए, जिससे कछाल, बंगरेड व आमखो सहित आसपास के गांवों में पानी की उपलब्ध आसानी से हो सके।