भोपाल। मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल लोक में सप्तऋषियों की 7 में से 6 मूर्तियां खंडित होने का मामला फिलहाल ठंडा होता नहीं दिख रहा है क्योंकि विपक्षी दल कांग्रेस लगातार इस मामले में शिवराज सरकार पर हमलावर है।
बीते दिनों आई हल्की आंधी में सप्तऋषियों की 7 में से 6 मूर्तियां खंडित होने के बाद इसके निर्माण कार्य व इसकी गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं और महाकाल लोक निर्माण में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का आरोप विपक्षी दल कांग्रेस ने लगाया है।
इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने अब इन मूर्तियों को बनाने व लगाने वाले ठेकेदार की गिरफ्तारी की मांग उठाई है और कहा है कि भारतीय जनता पार्टी धर्म के नाम पर व्यवसाय करती है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बुधवार को राजधानी भोपाल में मीडिया से चर्चा में कहा कि
महाकाल मंदिर विकास के लिए कमलनाथ सरकार ने 350 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे। दुर्भाग्यपूर्ण कांग्रेस की सरकार चली गई और मंदिर निर्माण का ठेका गुजरात की कंपनी को दे दिया गया। इस प्रोजेक्ट में सप्तऋषि की मूर्तियों को बनाने में 45-45 लाख रुपये खर्च किए गए, लेकिन वे मामूली हवा के झोंके में गिर गए और शासन-प्रशासन अब यह कह रहा है कि बहुत तेज हवा चली जिसमें ये गिर गए व इसमें कोई दोषी नहीं है।
दिग्विजय ने कहा कि कांग्रेस विधायक महेश परमार ने लोकायुक्त में भ्रष्टाचार की शिकायत भी की थी जिसकी जांच चल रही है। जो मूर्तियां गिरी हैं उसके लिए ठेकेदार के साथ ही वे अधिकारी भी जिम्मेदार हैं जिन्होंने यह ठेका मंजूर किया। ठेकेदार को तो गिरफ्तार करने की जररूत है।
दूसरी तरफ, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने भी प्रदेश की शिवराज सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि
शिवराज सरकार ने भगवान महाकाल को भी नहीं बख्शा। एक ही आंधी में महाकाल कॉरिडोर के निर्माण की पोल खुल गई। यदि तूफान आ जाता तो क्या स्थिति होती। अब घोटाला उजागर होने के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है। इसका मतलब साफ़ है कि भ्रष्टाचारियों को मुख्यमंत्री का संरक्षण प्राप्त है।