बुरहानपुर। बुरहानपुर जिले के केला उत्पादक किसानों से लगता है इस बार भगवान ने भी मुंह फेर लिया है। इन केला उत्पादक किसानों पर इस साल लगातार ही प्राकृतिक आपदा की मार पड़ रही है
इतना ही नहीं बीते तीन साल से असमय वर्षा और आंधी उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर रही है। इससे भी ज्यादा दुःखद पहलू यह है कि उन्हें फसल खराब होने के बावजूद भी फसल बीमा का लाभ भी नहीं मिल रहा है।
बीते रविवार की रात आई आंधी और ओलावृष्टि ने एकबार फिर सौ एकड़ से ज्यादा की केला फसल को चौपट कर दिया जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान नेपानगर और खकनार क्षेत्र में हुआ है।
नेपानगर क्षेत्र के डवाली खुर्द के कई किसानों के 20 एकड़ क्षेत्र में लगे केले के पौधे तूफान से गिर गए। इसके अलावा अंबाड़ा, नेवरी, हिंगना, लिंगा, डवाली खुर्द, डवाली कला को मिलाकर करीब सौ एकड़ में लगी केला फसल को नुकसान हुआ है।
इसी तरह खकनार के शेखापुर निमंदड़, सावली व धाबा आदि गांवों को मिला कर करीब 40 एकड़ से ज्यादा की केला फसल को नुकसान पहुंचा है।
सोमवार को नेपानगर एसडीएम अजमेर सिंह गौर ने खेतों में जाकर फसलों को हुए नुकसान का जायजा लिया और प्रशासन द्वारा हरसंभव मदद दिए जाने का भरोसा किसानों को दिया।
बता दें कि मौसम बदलने के कारण बीस दिन में ही कई बार बुरहानपुर जिले के केला उत्पादक किसानों की फसलों को भारी नुकसान हो चुका है। इससे पहले 28 अप्रैल को आंधी तूफान और ओलावृष्टि से सैकड़ों एकड़ में लगे केले के पौधे लेट गए थे जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था।
जिला प्रशासन ने राजस्व, कृषि और उद्यानिकी विभाग के संयुक्त दल से सर्वे कराया था जिसके बाद 17 करोड़ रुपये मुआवजा तय किया गया था। इसकी रिपोर्ट प्रदेश सरकार को भेजी जा चुकी है, लेकिन अब तक किसानों के खातों में मुआवजा राशि नहीं आई है।
बार-बार हो रही बारिश-आंधी की वजह से जिले के हल्दी व मक्का व्यापारियों को भी इस बार काफी नुकसान उठाना पड़ा है। पूर्व में दो बार खेतों में सूख रही हल्दी, मक्का आदि फसलें भीग चुकी थीं।
रविवार रात फिर खकनार क्षेत्र के व्यापारियों की खुले में पड़ी हल्दी भीग गई। व्यापारियों के मुताबिक, बार-बार भींगने से हल्दी का बाजार में अच्छा दाम नहीं मिलेगा और उन्हें नुकसान उठाना पड़ेगा।