भोपाल। आने वाले दिनों में भारत में ऐतिहासिक परिवर्तन होने जा रहा है। हमारे देश को नई संसद मिलने जा रही है। इस नए भवन को सेंट्रल विस्टा पुकारा जाएगा जिसकी लागत करीब बीस हजार करोड़ रुपये आई है।
28 मई को इसका उद्घाटन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करने जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि पुराने संसद भवन में कई परेशानियां थी जिसके कारण इस नए भव्य भवन को बनाया गया है।
इस उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री मोदी का नाम इतिहास में इस बात के लिए भी दर्ज हो जाएगा कि उन्होंने इस भवन को देश को सर्मपित किया है। मौजूदा संसद की इमारत 1927 में बनी थी और ऐसे में यह इमारत अंग्रेज़ी राज की निशानी मानी जाती है।
हालांकि नए संसद भवन को लेकर भी कई आशंकाएं हैं जो इसे भारत की वास्तु शास्त्र विद्या के मुताबिक बहुत अच्छा नहीं बताती हैं। हालांकि यह कुछ अचरज भरा है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद वास्तु के बड़े प्रशंसक रहे हैं और उन्होंने कई बार वास्तु के मुताबिक अपने आसपास की चीजों को बदला है लेकिन अपने सबसे बड़े प्रोजेक्ट में वे कैसे इसका ध्यान नहीं रख सके।
मध्यप्रदेश के उज्जैन में रहने वाले सुप्रसिद्ध वास्तु विज्ञानी कुलदीप सलूजा कई राजनीतिज्ञों के लिए व्यक्तिगत तौर पर काम कर चुके हैं। उनके क्लाइंट्स में एक नाम सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के सबसे अहम व्यक्ति का भी है जिसे वे ज़ाहिर करना नहीं चाहते।
वास्तु विज्ञानी कुलदीप सलूजा ने देशगांव को बताया कि वे इस निष्कर्ष पर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के मुख्य आर्किटेक्ट विमल पटेल के द्वारा दिए गए एक लंबे प्रेजेंटेशन को देखने और उस पर काफी बार शोध करने के बाद पहुंचे हैं।
उन्होंने संसद भवन के आकार, प्लाट और भवन, जमीन की उंचाई आदि से लेकर पीएम और कर्मचारी आवास तक को ठीक नहीं बताया है।
सलूजा ने इस पर एक पूरा रिसर्च पेपर तैयार किया है जिसमें उन्होंने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के कई आयामों पर चर्चा की है। अपनी इस रिसर्च पेपर में उन्होंने बताया है कि कैसे 64500 वर्ग मीटर में बनाई जा रही है भव्य इमारत कई मायनों में वास्तु के हिसाब से ठीक नहीं हैं और देश के लिए परेशानी भरी साबित हो सकती है।
उन्होंने कहा है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में कई छोटे-छोटे वास्तुदोष हैं जो यहां होने वाली गतिविधियों को प्रभावित करेंगे। सलूजा के मुताबिक, इन वास्तु दोषों का प्रभाव यह होगा कि भारत अपने दुश्मन देशों से जूझने में अपनी ताकत लगाने की वजह से आपसी विवाद में ही उलझा रहेगा। यही नहीं देश में कई आर्थिक कष्ट आएंगे और सुखों का अभाव होगा।
नए संसद भवन की त्रिकोणीय इमारत को लेकर पहले ही काफी सवाल उठते रहे हैं। इस बारे में वास्तु विशेषज्ञ सलूजा बताते हैं कि वास्तु शास्त्र में वर्गाकार या आयताकार प्लॉट को ही शुभ माना जाता है और मौजूदा भवन की तरह बनाया जा रहा त्रिकोणीय भवन कभी भी वास्तु के अनुसार शुभ नहीं माना जाता है। त्रिभुजाकार भूखण्ड/भवन में रहने वाले जातकों को सदैव शत्रुओं से कष्ट प्राप्त होता है।
सेंट्रल विस्टा प्रोजक्ट में पश्चिम दिशा में रायसीना हिल्स पर स्थित राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट होते हुए पूर्व दिशा में स्थित यमुना नदी वाले भाग तक जमीन की निचाई पूर्व दिशा की ओर है, लेकिन मौजूदा भवन में जो निर्माण हो रहा है उसमें नये संसद भवन के नीचे लोअर ग्राउंड फ्लोर है।
ध्यान रहे पुराने संसद भवन में लोअर ग्राउंड फ्लोर नहीं है। राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक बन रहे सेंट्रल विस्टा के मध्य में 4 प्लॉट पर 51 हजार कर्मचारियों के लिए 11 आयताकार इमारतें बनेंगी जिसमें से 9 इमारतें मंत्रालयों के ऑफिसों की, 1 सेंट्रल कान्फ्रेंस सेंटर और 1 अन्य इमारत होगी।
इन सभी के नीचे 6 मीटर गहरा लोअर फ्लोर होगा। सलूजा के अनुसार पूर्व दिशा में जमीन की उंचाई होना ठीक नहीं है। ऐसे में हार का सामना करना पड़ता है।
अपनी इस बात को पुष्ट करने के लिए सलूजा ने अपने रिसर्च पेपर में रामायण के किष्किंधा कांड की एक घटना का उल्लेख भी करते हैं। उन्होंने लिखा है कि श्रीराम व लक्ष्मण बाली वध के बाद पर्वत पर निवास के लिए अनुकूल स्थान की तलाश कर रहे थे, तब पर्वत की सुंदरता का वर्णन करते हुए एक स्थान पर रुककर राम अपने अनुज से कहते हैं- “लक्ष्मण! यह स्थान देखो, इस स्थान का पूर्व नीचा व पश्चिम ऊंचा है। यहाँ पर पर्ण कुटी बनाना श्रेष्ठ रहेगा। यह स्थान सिद्धिदायक एवं विजय दिलाने वाला है।”
उनके इस रिसर्च पेपर के अनुसार, नए संसद भवन के अंदर लोकसभा और राज्यसभा दोनों का निर्माण किया जाएगा। यह भवन अर्धवृत्ताकार आकार के होंगे। एक हेक्सागोनल डाइनिंग हॉल और एक त्रिकोणीय संविधान गैलरी होगी जो कि ठीक नहीं है।
सलूजा ने वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार कई भविष्यवाणियां की हैं। नए संसद भवन में उत्तर पश्चिम और दक्षिण पश्चिम दिशा में हो रहे विस्तारीकरण पर उन्होंने लिखा है कि ऐसा करना अर्थव्यवस्था, खुशी, बच्चों (यहां के नागरिक) और शांति को नष्ट कर देता है तथा अपमान और दुःख लाता है।
दक्षिण दिशा के कारणों के साथ दक्षिण पश्चिम का विस्तार रोग, जीवन और असामयिक मृत्यु का भय लाता है। इस विषय को विस्तार से इस पेपर में पढ़ा जा सकता है।
प्रवेश द्वारों में भी ख़ामी –
इसके अलावा नए संसद भवन में छह प्रस्तावित प्रवेश द्वार हैं। संसद सदस्यों के लिए मध्य में, जनता के लिए मिड-नॉर्थ और मिड-साउथ, अध्यक्ष और उप राष्ट्रपति के लिए मिड-वेस्ट, प्राइम के लिए नॉर्थवेस्ट, औपचारिक प्रविष्टियों के लिए, मंत्री और राष्ट्रपति के लिए दक्षिणपूर्व के द्वार हैं।
सलूजा कहते हैं कि मध्य, मध्य-दक्षिण, मध्य-पूर्व और मध्य-पश्चिम प्रवेश द्वार शुभ होते हैं जबकि उत्तर-पश्चिम और दक्षिण पूर्व का प्रवेश द्वार अशुभ होता है।
उत्तर पश्चिमी प्रवेश द्वार प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के लिए है, जो दुःख, कलह, शत्रुता, कानूनी विवाद और बदनामी का कारण बनता है।
वास्तुशास्त्र के अनुसार ऐसे घर जिनका द्वार आग्नेय कोण में रहता है वहां कलह, विवाद, अग्निभय, चोरी होने की संभावना होती है।
प्रधानमंत्री आवास में भी गड़बड़ –
उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आवास को भी अनियमित ढंग से बनाया गया है जो कि अशुभ फल देने वाला होगा। इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि वास्तु के अनुसार प्लॉट या भवन का ईशान कोण कटा होने पर, वहां रहने वाले लोगों को जीवन-यापन करने में कठिनाई होती है और उनकी आर्थिक स्थिति खराब रहती है तथा यश में कमी आती है।
सलूजा कहते हैं कि लोअर ग्राउंड फ्लोर में एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस तक जाने के लिए सर्कुलर बैटरी ट्रेन चलाने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा बेसमेंट में अंडरग्राउंड शटल चलाने की व्यवस्था की जाएगी और यहीं पार्किंग, टॉयलेट, बाथरूम इत्यादि की सुविधा भी रखी गई है।