पिछले महीने की 27 तारीख को नरसिंहपुर जिले के आदिवासी गांवों अमोदा, कुरेला, झामर, ग्वारी, घूरपुर, पिपरिया आदि के कई ग्रामीण नरसिंहपुर तहसीलदार के दफ्तर पहुंचे। एक दिन पहले ही बांध के लिए उनकी जमीनों का अर्जन किए जाने की प्रक्रिया का नोटिस उन्हें दिया गया था। अधिकारी ने उनसे अगले दिन तहसील कार्यालय आने को कहा था। यहां उनकी जमीनों के सीमांकन और बटांकन की प्रक्रिया होनी थी।
तहसीलदार कार्यालय के सामने जुटे लोगों ने जब स्थानीय मीडिया से बात की, तब पता चला कि उनके यहां एक बांध बनाने का काम शुरू हो चुका है और उसके लिए उनकी जमीनों का मापन भी किया जा रहा है, लेकिन इसके बारे में उन्हें कुछ बताया नहीं गया है। जमीन मापने वाले वाले लोग सीधे अधिकारियों से मिलने की बात कह रहे हैं। ये ग्रामीण जब तहसीलदार के पास पहुंचे तो वहां भी उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई। उलटे, उनसे एक कागज पर दस्तखत करवा लिया गया।
नरसिंहपुर तहसीलदार संजय मेसराम से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सब कुछ तय प्रक्रिया से हो रहा है। क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है और आगे क्या होगा, इसके बारे में न गांव वालों को कुछ पता है और न ही प्रशासन बताने को तैयार है, लेकिन जो हो रहा है उसका होना ‘तय’ है- यह बात जरूर पिछले साल लोक सुनवाई के दौरान गांववालों से दो टूक कह दी गई थी।
मामला मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कही जाने वाली नर्मदा नदी के किनारे बसे नरसिंहपुर जिले का है जहां गांववालों के मुताबिक एक बांध बन रहा है जबकि प्रशासन की शब्दावली में बैराज बन रहा है। दिलचस्प बात यह है उक्त बांध 2016 में निरस्त हो चुका था और दोबारा शुरू किया गया है। शहर में खबर है कि इस बांध के बनने के बाद इलाके में सिंचाई का रकबा बढ़ जाएगा और खुशहाली आएगी। शासन प्रशासन द्वारा इसी तरह से इसका प्रचार भी किया जा रहा है।
निरस्त होने के बाद दोबारा बन रहा यह बांध नर्मदा पर दो हिस्सों में बन रहा है, जिसे चिनकी बोरास बैराज कहा जा रहा है। चिनकी बैराज करेली तहसील में बन रहा है, बोरास बैराज रायसेन जिले की उदयपुरा तहसील में बन रहा है। डाउन टु अर्थ की मानें तो दूसरी दिलचस्प बात यह है कि इस बांध से 8780 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई होगी, लेकिन इससे 6343 हेक्टेयर जमीन डूब जाएगी। इसे जब निरस्त किया गया था, तब कई कारण गिनवाए गए थे। वे सारे कारण आज अचानक गायब हो गए हैं।
चिनकी बांध से नरसिंहपुर और जबलपुर के 92 गांव डूब में आने थे, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद विधायक जालम सिंह ठाकुर ने हस्तक्षेप किया। वे केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिले और उन्होंने इस बांध को माइक्रो लिफ्ट इरिगेशन में परिवर्तित करा कर क्षेत्र को डूबने से बचा लिया। तब सरकार ने लोगों और स्थानीय विधायक के दबाव में सही निर्णय ले लिया था, हालांकि इसकी एक राजनीतिक वजह भी बताई जाती है।
2013 के विधानसभा चुनाव में जनपद मैदान में हुई आम सभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां बांध बनाने की घोषणा की थी। तब भाजपा के प्रत्याशी रहे अश्विनी धोरेलिया कांग्रेस के प्रत्याशी सुनील जायसवाल से हार गए थे। भाजपा प्रत्याशी ने अपनी हार का कारण बांध की घोषणा को बतलाया था। इसके बाद ही परियोजना को निरस्त कर के लिफ्ट इरिगेशन के तहत लिए जाने की घोषणा हुई थी।