धार। किसान अब पारंपरिक खेती के साथ आधुनिक खेती को भी बढ़ावा दे रहा है। जहां एक ओर सरकार किसानों की आय बढ़ाने की बात करती है तो दूसरी और किसान नवाचार के रूप में अपनी आय खुद बढ़ाने में लगे हुए हैं।
आधुनिक जमाने के साथ खेतों में आधुनिक फसलों को लगाकर अपनी खेती से आमदनी में इजाफा कर रहे हैं। देशभर में कई किसान अब परपंरागत खेती करने की बजाय नित नए नवाचार कर कृषि उपज को बढ़ावा देते हुए आमदानी में इजाफा कर रहे हैं।
अब जापानी वैरायटी के रेड डायमंड अमरूद ने धार व इसके आसपास के इलाकों में दस्तक दे दी है। बदनावर तथा रतलाम क्षेत्र में सबसे पहले जाबड़ा के किसानों ने जापान के रेड डायमंड अमरूद की खेती करीब डेढ़ वर्ष पहले शुरू की थी।
यह एक ऐसा अमरूद है जो अंदर से तरबूज जैसा सुर्ख लाल होता है और इसकी मिठास नाशपाती जैसी होती है यानि रेड डायमंड अमरूद का टेस्ट हर किसी को अपनी ओर आकर्षिक करता है।
वीएनआर अमरूद की तुलना में इसके भाव 20 से 30 रूपये प्रति किलो अधिक मिलते हैं। एक बार निवेश करने के बाद करीब 15 सालों तक कमाई ले सकते हैं। कमाई के मामले में भी अव्वल रहने से किसान समृद्धि की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
इन दिनों जापानी रेड डायमंड अमरूद की खेती में भी अब रूझान बढ़ रहा है। बीते साल गुजरात के भरूच स्थित नर्सरी से पौधे लाए थे, लेकिन अब तो क्षेत्र में ही किसान इसकी नर्सरी तैयार कर रहे हैं।
सरदारपुर के चालनी व राजोद में भी इसकी खेती किसान करने लगे हैं तथा राजोद में नर्सरी में करीब 25 हजार पौधे तैयार किए गए हैं। क्षेत्र में पौधे तैयार होने से क्रांति आ जाएगी और अगले वर्ष कई किसान इसकी खेती करने लगेंगे।
अमरूद के इस विशेष किस्म रेड डायमंड की खेती की रतलाम और बदनावर क्षेत्र में सबसे पहले शुरुआत में करीब 18 माह पहले ग्राम जाबड़ा के कन्हैयालाल बाबूलाल जाबड़ा व नारायण पाटीदार ने की थी।
उन्होंने बताया कि दिल्ली की मंडियों में जब इस फल का आकर्षण, विशेषता और बाजार में इसकी मांग देखी तो उसकी खेती करने में उत्सुकता बढ़ी। इसके लिए यूट्यूब व सोशल मीडिया के माध्यम से सर्च किया तो गुजरात के भरूच के पास जारवी नर्सरी में इसके पौधे मिलने की जानकारी मिलने पर वहां से करीब दो हजार पौधे 200 रूपये प्रति पौधे की कीमत देकर लाए।
एक बीघा भूमि में करीब 350 पौधे लगाए गए और करीब 15 माह में इसकी पैदावार शुरू हो गई। फिलहाल वीएनआर अमरूद की खेती बदनावर में करीब 250 से 300 हेक्टेयर में की जाती है, लेकिन उसकी तुलना में इस फल में मिठास अधिक है।
फल के अंदर इसका रंग गुलाबी व लाल तरबूज जैसा दिखाई देता है। बीज भी नाममात्र के होते है जो फल के बीचोबीच होते हैं। अन्य अमरूद की तुलना में इसकी मिठास अधिक है जिससे लोग भी खाना पसंद करते हैं।
एक अमरूद का वजन भी करीब 600 से 700 ग्राम तक होता है तथा भाव भी करीब 20 से 30 रूपये किलो अधिक मिलते हैं। सीजन में दिल्ली मंडी में यह 80 से 140 रूपये प्रति किलो तक बिक जाता है।
पहले वर्ष प्रति पौधे पर दस किलो अमरूद का उत्पादन आया। अगले वर्ष यह उत्पादन भी दुगुना हो जाएगा। एक बार पौधे लगाने से करीब 15 सालों तक उत्पादन कर कमाई कर सकते हैं। यह देख अन्य किसानों का भी रूझान इसकी खेती की और बढ़ा तथा वे इस नई किस्म को देखने के लिए आने लगे।
वहीं के मधुसुदन पाटीदार ने 500, सुनील शर्मा ने 400 पौधे लगाए। अब ग्राम संदला, रूपाखेड़ा, कोद में भी किसानों ने रेड डायमंड अमरूद की खेती शुरू की है तथा इस वर्ष करीब दस से 15 हजार पौधे लगाए गए हैं। इसकी मांग को देखते हुए इसके पौधों की डिमांड भी बढ़ी है।
रेट और टेस्ट में भी बेस्ट –
राजोद के किसान वीरेंद्र धाकड़ ने बताया कि जापानी वैरायटी के इस रेड डायमंड अमरूद की डिमांड अचानक से एक वर्ष में काफी बढ़ गई है क्योंकि इसकी खेती करने में लागत भी काफी कम होती है तथा रासायनिक दवाइयों का भी उपयोग भी नाममात्र को होता है।
इसके अंदर निकलने वाले बीज सॉफ्ट होने से बच्चे भी आसानी से खा सकते हैं। टेस्ट अच्छा होने से इसके रेट भी अच्छे मिलते हैं। इसकी डिमांड को देखते हुए फिलहाल नर्सरी में 25 हजार पौधे तैयार किए गए थे जो महाराष्ट्र, राजस्थान समेत प्रदेश के प्रमुख शहरों के किसान खरीद कर ले जा चुके हैं।
अब और नए पौधे तैयार किए जा रहे हैं यानि आने वाले समय में पौधों की पर्याप्त उपलब्धता के कारण इसकी खेती में क्रांति आ जाएगी और यह क्षेत्र भी जापानी वैरायटी वाले अमरूद के उत्पादन में अग्रणी साबित होगा तथा यहां के अमरूद की मिठास देश के लोगों को खूब भाएगी।