भोपाल। चुनावी साल में सरकार बनाने के लिए सत्ता पक्ष में काबिज भाजपा व विपक्षी दल कांग्रेस दोनों ही अपने-अपने दांव चल रहे हैं। दोनों ही दल मतदाताओं को लुभाने के लिए नित नई-नई घोषणाएं कर रहे हैं।
महिलाओं, युवाओं और कर्मचारियों को ध्यान में रखते हुए ही इन घोषणाओं और योजनाओं की रूपरेखा तैयार की जा रही है।
बीते दिन शिवराज सरकार ने अपनी कैबिनेट बैठक में फैसला किया है कि राज्य की तीनों तीनों विद्युत वितरण कंपनियों में कार्यरत आउटसोर्स पर लाइनमैन्स को वेतन-भत्ते के अतिरिक्त एक हजार रुपये प्रतिमाह जोखिम भत्ता दिया जाएगा।
हालांकि, इसके साथ ही सरकार ने यह चीज भी जोड़ी है कि यह भत्ता केवल आईटीआई उत्तीर्ण श्रमिकों को ही दिया जाएगा।
इस फैसले के बाद माना जा रहा था कि आउटसोर्स कर्मचारियों में थोड़ी खुशी होगी और वे इसका स्वागत करेंगे।
लेकिन, राज्य के आउटसोर्स कर्चमारियों को यह उम्मीद थी कि जिन कर्मचारियों को अपने अधिकारों की संवैधानिक लड़ाई के दौरान सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था उनकी वापसी सहित वेतन वृद्धि की जाएगी।
हालांकि, ऐसा कुछ तो हुआ नहीं और सरकार ने उन्हें सिर्फ जोखिम भत्ता देकर अपना पल्ला झाड़ लिया है।
ये आउटसोर्स कर्मचारी अब यही सवाल कर रहे हैं कि अपने अधिकारों की संवैधानिक लड़ाई के दौरान सेवा से बर्खास्त कर दिए गए निष्कासित कर्मचारियों की वापसी कब तक होगी?
इन आउटसोर्स कर्मचारियों के विभिन्न मांगों में से कुछ निम्नलिखित हैं –
- – विद्युत संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए
- – विद्युत आउटसोर्स कर्मचारियों को संविलियन अथवा संविदा पर नियोजित किया जाए
- – सेवा से निकाले गए आउटसोर्स कर्मचारियों को वापस काम पर वापस लिया जाए