आदिवासी गांव का हाल, स्कूल की छत पर अब महुआ सूखता है


बिजली मिली पर रास्ता नहीं, गांव में एक स्कूल था अब बंद हो गया, बच्चे पढ़ाई से दूर हो गए, न बच्चों को आंगनवाड़ी, न युवाओं को रोजगार


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उनकी बात Updated On :
The closed school building in Mali village is getting dilapidated - Deshgaon News
मली गांव में बंद पड़ा स्कूल


इंदौर। प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल उठते रहते है। यहां स्कूलों की बदहाली दिखाई देती है। स्कूलों में शिक्षक नहीं है। इंदौर जिले के मानपुर में मली गांव का हाल भी ऐसा ही है। जाने के लिए कठिन रास्तों वाले हर सुविधा को मोहताज इस गांव की कहानी अलग है। यहां कुछ साल पहले एक स्कूल होता था लेकिन अब वह बंद हो चुका है। गांव में बहुत से बच्चे अब भी स्कूल जाना चाहते हैं लेकिन अब वे या तो घर पर ही रहकर पढ़ते हैं या किसी रिश्तेदार के यहां जा चुके हैं और कई बच्चों ने तो पढ़ाई छोड़कर मजदूरी शुरु कर दी है।

महू तहसील में मानपुर क्षेत्र के मली गांव की पूरी आबादी आदिवासी है। विंध्याचल के पहाड़ों के बीच में बसा ये गांव बेहद खूबसूरत है और अक्सर लोग यहां ट्रैंकिंग के लिए आते हैं। गांव में पहुंचना मुश्किल है क्योंकि इसके लिए कोई रास्ता नहीं है। गांव में करीब तीस परिवार रहते हैं। इनका मानपुर या आसपास के कस्बों में रोज आना जाना नहीं होता।

मली गांव में पहले एक प्राथमिक स्कूल हुआ करता था जहां एक शिक्षक तैनात थे लेकिन करीब तीन साल पहले यह स्कूल बंद हो चुका है। गांव वालों को नहीं पता कि शिक्षा विभाग ने स्कूल क्यों बंद कर दिया। अब यहां के कई बच्चों का शिक्षा से कोई जुड़ाव नहीं है। कुछेक ग्रामीण बताते हैं कि वे अपने बच्चों को घर पर ही पढ़ाते हैं और तो कई ने बताया कि उनके बच्चे आसपास के गांवों में उनके रिश्तेदारों के यहां रहते हैं ताकि वहां स्कूल जा सकें।

Villagers dry Mahua on the roof of the closed school in Mali village: Photo Deshgaon News
बंद पड़े सरकारी स्कूल की स्कूल की छत पर अब महुआ सुखाते हैं ग्रमीण

घर के बाहर झाड़ू लगा रही एक 13 वर्षीय बच्ची ने हमें बताया कि वह गांव में घर के सामने बने इसी स्कूल में जाती थी लेकिन फिर स्कूल बंद हो गया और उसकी पढ़ाई भी छूट गई। इसी तरह गांव में कई किशोर अब खेती का काम ही करते हैं वे कहते हैं कि उन्होंने शुरुआती पढ़ाई की है लेकिन अब कुछ भी याद नहीं स्कूल गए हुए भी बहुत साल हो गए।

ग्रामीणों से बात करने पर पता चलता है कि यहां के लोगों के लिए स्कूल अब प्राथमिकता नहीं है। यहां बिजली आ चुकी है पानी भी मिल जाता है लेकिन चलने के लिए रास्ता नहीं है। ऐसे में वे गांव में ही कैद हो जाते हैं। गांव में रास्ते की स्थिति ऐसी है कि गांव में दाख़िल होने के लिए करीब आठ सौ से एक हजार फुट पहाड़ी से गुजरना होता है।

गांव की ही एक महिला ज्योति बताती हैं कि अक्सर लोग यहां बीमार हो जाते हैं तो उन्हें टांग के गांव के बाहर ले जाना होता है।  वे कहती हैं कि स्कूल बंद पड़ा है ऐसे में बच्चों की शिक्षा के लिए भी कोई इंतज़ाम नहीं है।

इस मामले में शिक्षा विभाग से कोई ठोस जानकारी नहीं मिली। अधिकारियों ने बताया कि स्कूल में कम विद्यार्थी हैं संभवतः इसीलिए स्कूल बंद हो गया। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी जिला परियोजना समन्वयक अक्षय सिंह राठौर ने बताया कि उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं है लेकिन अगर ऐसा है तो वे इन बच्चों के लिए प्रयास करेंगे कि इन्हें अन्य किसी नजदीकी स्कूल में या हॉस्टल में लाकर पढ़ाया जा सके।

Children picking Mahua fruits in Mali village, there is no facility of Anganwadi in the village. Deshgaon News
मली गांव में महुआ के फल बीनते छोटे बच्चे, गांव में आंगनवाड़ी की सुविधा भी नहीं है।

गांव में कई छोटे-छोटे बच्चे हैं जिनके लिए आंगनवाड़ी होनी चाहिए थी लेकिन गांव में इसकी उम्मीद भी नहीं है। ये बच्चे भी दिन भर महुआ बीनते हैं और खेलते हैं।   गांव के एक किसान बताते हैं कि उन्होंने इस बार चालीस क्विंटल गेहूं उगाया है लेकिन मंडी में सही समय पर अगर नहीं पहुंचेगा तो दाम नहीं मिलेगा। ये बताते हैं कि मंडी तक पहुंचना आसान नहीं क्योंकि पूरी फसल को पीठ पर उठाकर पहाड़ पार कराना होता है। जो कि कठिन काम है ऐसे में फसल को उपर ले जाने में ही काफी समय लग जाता है।

ये लोग मली गांव में रास्ते की मांग करते रहे हैं लेकिन इनकी मांग नहीं सुनी गई। कुछ समय पहले मंत्री और स्थानीय विधायक उषा ठाकुर ने भी यहां सुविधा देने की बात कही थी लेकिन अब तक यह भी नहीं हो सका। गांव के युवा खेती के दौरान ही गांव में व्यस्त रहते हैं वर्ना वे अक्सर धार या महू जैसे इलाकों में मजदूरी के लिए चले जाते हैं। ये बताते हैं कि गांव में रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है न इस बारे में स्थानीय पंचायत की ओर से कोई जानकारी दी जाती है।



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